UP Politics: सरकार-संगठन के बीच सबकुछ ठीक नहीं, केशव के ट्वीट के बाद योगी ने बनाई दूरी!
UP Politics: उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने रविवार को एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने लिखा था 'संगठन सरकार से बड़ा है'।
UP Politics: उत्तर प्रदेश में सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी में एक बार फिर सब कुछ ठीक नहीं नजर आ रहा है। विधानसभा का चुनाव हारने के बाद केशव प्रसाद मौर्य जिस प्रकार से बैकफुट पर आ गए थे। लेकिन पिछले एक महीने में एकाएक फ्रंटफुट पर आकर बैटिंग करने लगे हैं। उनके बयान और ट्वीट से साफ नजर आ रहा है कि उन्हें दिल्ली से आशीर्वाद प्राप्त है और वह प्रदेश अध्यक्ष की रेस में सबसे आगे भी चल रहे हैं। दरअसल इस बात को जोर उस वक्त मिला जब मंगलवार को बीजेपी प्रदेश कार्यालय पर एक बड़ी बैठक हुई। जिसमें चारों क्षेत्रों के पदाधिकारियों के साथ नए संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह सैनी और राष्ट्रीय मंत्री सुनील बंसल ने बैठक की। इस बैठक में दोनों उपमुख्यमंत्री के साथ तमाम बड़े नेता भी शामिल हुए लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नहीं पहुंचे। इतनी अहम बैठक में सीएम योगी के ना आने से चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया कि बीजेपी के अंदर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।
आपको बता दें उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने रविवार को एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने लिखा था 'संगठन सरकार से बड़ा है' इसके बाद लखनऊ में धर्मपाल सिंह की पहली बैठक में सीएम योगी के शामिल नहीं होने से यह चर्चा का विषय बन गया। बीजेपी के नेता ही दो धड़ों में बटते नजर आए। कुछ नेताओं ने कहा की संगठन महामंत्री धर्मसिंह सैनी सुबह सीएम आवास पर जाकर मुख्यमंत्री से मिल चुके थे इसलिए वह इस बैठक में शामिल नहीं आए तो दूसरा धड़ा यह कह रहा है कि 4 क्षेत्र की इतनी महत्वपूर्ण बैठक में योगी का ना आना कहीं ना कहीं या दिखाता है की अंदरखाने कुछ गड़बड़ है।
चुनाव हारने के बाद बैकफुट पर थे केशव
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सिराथू से सपा प्रत्याशी और अपना दल (के) की पल्लवी पटेल से चुनाव हारने के बाद जिस तरह से केशव प्रसाद मौर्य का कद घटा था। हालांकि उन्हें उपमुख्यमंत्री तो बनाया गया लेकिन पीडब्ल्यूडी की जगह एक छोटा मंत्रालय ही मिला था। पिछले एक महीनों में इसमें तेजी से बदलाव हुआ। केशव की बॉडी लैंग्वेज जिस तरह से बदली है वह दर्शाती है कि दिल्ली से उन्हें कुछ संदेश जरूर मिला है. इसी के तहत प्रदेश अध्यक्ष और जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह के अचानक विधान परिषद के नेता सदन से इस्तीफा देकर केशव को कुर्सी सौंपना उनके बड़े कद को दर्शाता है।
पीएम मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद बदली बॉडी लैंग्वेज
बता दे सरकार और पार्टी में केशव प्रसाद मौर्य के कद को लेकर अटकलें लगभग 3 महीने तक चलती रही। लेकिन 19 जुलाई को मानसून सत्र के बीच उनकी पीएम मोदी से मुलाकात चर्चा का विषय बन गई। संसद सत्र के बीच पीएम मोदी ने उनसे मिलने का समय दिया और दोनों नेताओं की संसद भवन में मुलाक़ात हुई। इसके 20 दिन बाद वह विधान परिषद के नेता नियुक्त हो गए। हालांकि केशव प्रसाद मौर्य और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के रिश्तों को लेकर पहले कार्यकाल में जमकर खबरें चलती रही हैं कि दोनों के बीच रिश्ता अच्छा नहीं है। लेकिन दूसरी पारी में दोनों नेताओं के बीच नजदीकियां बढ़ती दिखाई दी थीं। सीएम योगी और केशव एक साथ दिखाई दिए। सीएम योगी अपने साथ केशव को गाड़ी में बिठाकर विधानसभा भी पहुंचे थे। लेकिन अब जिस तरह से एक बार फिर केशव प्रसाद मौर्य एक्टिव मोड में आ गए हैं, वह यह दर्शाता है कि उनका कद छोटा नहीं हुआ है। क्योंकि बीजेपी आलाकमान को ओबीसी वोट बैंक की चिंता है और केशव प्रसाद मौर्य उन्हीं का प्रतिनिधित्व करते हैं। यही वजह है की शायद पीएम मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा 2024 के चुनाव से पहले केशव प्रसाद मौर्य का कद बढ़ाकर उन्हें फिर से यूपी में बड़ी जिम्मेदारी देने का प्लान बना रहे हैं।