UP: घोटाले दर घोटाले, अब डिप्टी सीएम ने लिखी सीएम को चिट्ठी

बैठक में 17 मार्च को हुए निवेश पर सवाल उठाने के बजाय बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की बैठक में यह भी प्रस्ताव पास हुआ कि सचिव, ट्रस्ट केस-टू-केस बेसिस मामले में निदेशक वित्त से अनुमोदन लेंगे।

Update:2019-11-15 12:17 IST
UP: घोटाले दर घोटाले, अब डिप्टी सीएम ने लिखी सीएम को चिट्ठी

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में एक के बाद एक कई घोटाले सामने आ रहे हैं। घोटालों को सामने आने का सिलसिला खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। ताजा मामला सामने आया है कि प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिख कर लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) में घोटालों की सूची भेजी है।

यह भी पढ़ें: महाराष्ट्र पर सस्पेंस खत्म: बाल ठाकरे की पुण्यतिथि पर शिवसेना ऐसे बनाएगी सरकार

उपमुख्यमंत्री ने कमर्शियल प्लॉट के आवंटन से लेकर शान-ए-अवध को बेचने का आरोप लगाया है। केशव प्रसाद मौर्य ने अपने लिखे पत्र में इन मामलो को कार्रवाई की मांग की है। आवास विभाग के प्रमुख सचिव को इस संबंध में 31 अगस्त को पत्र भेजा गया था।

कई गड़बड़ियां सामने आई हैं

LDA में पिछले एक वर्ष में कमर्शियल प्लाटों की नीलामी में कई गड़बड़ियां सामने आई हैं, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। फर्जी तरीके से समायोजन किया गया है। टीपी नगर, गोमतीनगर और जानकीपुरम के सैकड़ों प्लाटों के आवंटन से जुड़ी फाइलें और जानकारियां तक नहीं हैं।

यह भी पढ़ें: भारत -चीन बॉर्डर पर रक्षा मंत्री ने लिया सुरक्षा व्यवस्था का जायजा, कही ये बड़ी बात

आश्चर्य की बात तो यह है कि कई मामलों में कमिश्नर के स्तर पर हुई जांच में LDA के वित्त नियंत्रक राजीव कुमार सिंह और सयुंक्त सचिव डीएम कटियार को हटाने की सिफारिश भी कर दी गई, लेकिन आवास विकास के अधिकारी अभी तक इस फैसला नहीं

ले सके। अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए LDA के अधिकारीयों ने करोड़ों के भू-खंड को कौंड़ियों के दाम में बेच दिए।

यह भी पढ़ें: डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग चलाने की पुरजोर कोशिश

कानपुर रोड, वसंत कुंज और जानकीपुरम समेत कई पुरानी योजनाओ में जिन्हें 30 से 40 वर्ग मीटर का प्लाट दिया गया उन्हें बाद में इसके बदले गोमती नगर विस्तार में 150 वर्ग मीटर का प्लाट दे दिया गया। इस संबंध में कमिश्नर मुकेश मेश्राम का बयान आया है। मुख्यमंत्री कार्यालय से कार्रवाई के संबंध में जो भी निर्देश आया है उसे पूरा किया जाएगा। LDA से रिपोर्ट मिलने के बाद इस मामले में आगे की कार्यवाही की जाएगी।

होम गार्डों के वेतन निकासी में फर्जीवाड़ा

उत्तर प्रदेश में होम गार्डों के वेतन निकासी का ऑडिट होगा। होमगार्ड के वेतन निकासी में फर्जीवाड़े के मामले पर मंत्री चेतन चौहान ने ऑडिट से पहले एरियर भुगतान नहीं करने के आदेश दिए हैं। नोएडा में होमगार्डों के वेतन भुगतान में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद होमगार्ड विभाग ने पूरे प्रदेश में वेतन निकासी का ऑडिट करने का फैसला किया है।

UPPCL PF घोटाला

उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन (यूपीपीसीएल) में करीब 2600 करोड़ रुपए का पीएफ घोटाला सामने आया है। दरअसल साल 2014 में फैसला हुआ कि उन कंपनियों में उत्तर प्रदेश स्टेट पावर सेक्टर एंप्लॉइज ट्रस्ट और उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन अंशदायी भविष्य निधि ट्रस्ट के पैसे का निवेश किया जाए, जहां से ज्यादा ब्याज मिले। इसके बाद दिसंबर, 2016 से हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों में निवेश शुरू कर दिया गया है।

यह भी पढ़ें: World News : तेल भंडार में ईरान ने सऊदी अरब को पीछे छोड़ा

मार्च, 2017 में पावर सेक्टर एंप्लॉइज ट्रस्ट ने करीब 4,121 करोड़ रुपये का निवेश हाउसिंग फाइनेंस कंपनी DHFL में किया। यह निवेश दो एफडी के रूप में किया गया। एक एफडी एक साल के लिए और दूसरी एफडी तीन साल के लिए की गई। एक साल की एफडी में करीब 1,854 करोड़ और तीन साल की एफडी में करीब 2,268 करोड़ रुपये का निवेश हुआ।

पैसा ट्रस्ट को वापस मिल गया

एक साल की FD दिसंबर, 2018 में मेच्योर हो गई, जिसका पैसा ट्रस्ट को वापस मिल गया। वहीं, तीन साल की एफडी मार्च, 2020 में पूरी होगी। अब यही पैसा कंपनी में फंस गया है। यहा पैसा इसलिए फंसा है, क्योंकि बॉम्बे हाईकोर्ट ने कई संदिग्ध कंपनियों और सौदों से जुड़े होने की सूचना के बाद DHFL के भुगतान पर बैन लगा दिया है। अब यही डर है कि कहीं कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई फंस न जाए।

यह भी पढ़ें: CJI गोगोई का SC में आज आखिरी दिन, इन 5 फैसलों के लिए किया जाएगा याद

ईओडब्ल्यू ने शुरुआती जांच में पाया है कि पीएफ के निवेश के लिए कोई टेंडर जारी नहीं हुआ था। सिर्फ कोटेशन के जरिए DHFL में 2,268 करोड़ रुपये निवेश कर दिए गए। बताया जाता है कि कर्मचारियों के 2268 करोड़ रुपये न फंसते। DHFL में पहला निवेश 17 मार्च, 2017 को हुआ। इसके बाद 24 मार्च, 2017 को जब बोर्ड ऑफ ट्रस्ट की बैठक हुई तब कंपनी में निवेश हुआ।

यह भी पढ़ें: जब गोडसे ने बापू को मारी थीं तीन गोलियां, जानें उस दिन की पूरी कहानी

बैठक में 17 मार्च को हुए निवेश पर सवाल उठाने के बजाय बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की बैठक में यह भी प्रस्ताव पास हुआ कि सचिव, ट्रस्ट केस-टू-केस बेसिस मामले में निदेशक वित्त से अनुमोदन लेंगे। अगर 24 मार्च, 2017 को ही बोर्ड बैठक में इस प्रस्ताव पर सवाल खड़ा कर दिया जाता तो शायद बिजली कर्मचारियों का 2268 करोड़ रुपये नहीं फंसता।

Tags:    

Similar News