Sonbhadra News: नाबालिग के साथ दुष्कर्म के दोषी को 10 वर्ष की कठोर कैद, वाराणसी स्थित थाने के आवासीय परिसर में ले जाकर बनाया था संबंध

Sonbhadra News Today: पुलिस ने दी गई तहरीर के आधार पर 363, 506 आईपीसी के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की तो प्रकरण नाबालिग के साथ दुष्कर्म का निकला।;

Update:2025-02-11 17:39 IST

Sonbhadra Crime News in Hindi

Sonbhadra News: सोनभद्र । छह वर्ष पूर्व राबटर्सगंज कोतवाली क्षेत्र की एक नाबालिग को बहला-फुसलाकर वाराणसी के एक थाने के आवासीय परिसर में ले जाकर रखने और उसके साथ दुष्कर्म के दोषी को 10 वर्ष कठोर कैद की सजा सुनाई गई है। 45 हजार का अर्थदंड भी लगाया गया है। अपर सत्र न्यायाधीश / विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट अमित वीर सिंह की अदालत ने मंगलवार को मामले की फाइनल सुनवाई की। अधिवक्ताओं की तरफ से पेश की गई दलीलांें, पत्रावली उपलब्ध कराए गए साक्ष्यों और गवाहों की तरफ से दोषसिद्ध पाया गया और दोषी दोषी प्रभात कुमार गौतम को कठोर कैद के साथ अर्थदंड की सजा सुनाई गई। अर्थदंड अदा न करने की दशा मेंएक माह का अतिरिक्त कारावास भुगतने के लिए कहा गया। अर्थदंड जमा होने के बाद 45 हजार में से 35 हजार पीड़िता को प्रदान करने के आदेश दिए गए।

यह था प्रकरण, जिसको लेकर सुनाया गया फैसला

अभियोजन कथानक के अनुसार प्रकरण राबटर्सगंज कोतवाली क्षेत्र के एक गांव से जुड़ा हुआ है। गत तीन अप्रैल 2018 को पीड़िता के मां की तरफ से रॉबर्ट्सगंज कोतवाली पहुंचकर तहरीर सौंपी गई थी। कहा गया था कि प्रभात कुमार गौतम पुत्र स्व. शिवराम दरोगा निवासी लंका कंपाउंड, थाना लंका, जिला वाराणसी, मूल निवासी कुआटी, थाना सादात, जिला गाजीपुर 14 अप्रैल 2018 की शाम सात बजे अपने बहन- बहनोई, अपनी मां भाई की साजिश से उसकी उसकी 16 वर्षीय बेटी को बहला-फुसलाकर भगा ले गया है। उसे अंदेशा है कि प्रभात कुमार गौतम उसकी लड़की के साथ शारीरिक संबंध स्थापित करने के बाद उसे जान से मार देगा।

पुलिस ने शुरू की जांच तो दुष्कर्म का मामला आया सामने

पुलिस ने दी गई तहरीर के आधार पर 363, 506 आईपीसी के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की तो प्रकरण नाबालिग के साथ दुष्कर्म का निकला। इसके बाद मामले में धारा 376 आईपीसी और धारा-3/4 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 यानी पाक्सो एक्ट की बढ़ोत्तरी की गई। विवेचना पूरी होने के बाद पर्याप्त सबूत मिलने का दावा करते हुए चार्जशीट न्यायालय में प्रेषित कर दी ।

बचाव पक्ष पीड़िता के सहमति की देता रहा दलील

बताते हैं कि प्रकरण की सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष इस अपराध में पीड़ि़ता की सहमति होने की दलील पेश करता रहा। पीड़िता के ही माता-पिता पर, पीड़ितउा के साथ अमानवीय व्यवहार का भी आरोप लगाया गया। पीडिता का चिकित्सकीय परीक्षण न कराए जाने को भी बचाव का आधार बनाने की कोशिश की गई। छत्तीसगढ़ जाकर दोनों द्वारा विवाह रचाए जाने का भी दावा किया गया। वहीं अभियोजन पक्ष की दलील थी कि पीड़िता के परिवार वालों को आरोपी पक्ष की तरफ से बराबर धमकी दी जाती रही। जिस समय अपराध किया गया, उस समय पीड़िता नाबालिग थी इसलिए उसकी सहमति मायने नहीं रखती।

नाबालिग के साथ शारीरिक संबंध स्थापित करना सामाजिक अपराध

न्यायालय ने पाया कि पीडिता की उम्र घटना के समय मात्र 16 वर्ष रही जिससे पीड़िता का घटना के समय नाबालिग होना दर्शित होता है। आरोपी पक्ष ने पीड़िता के साथ शारीरिक सम्बन्ध स्थापित किए जाने का भी तथ्य न्यायालय के सामने रखा गया। विवेचना के दौरान सामने आए तथ्यों के आधार पर धारा-376 आईपीसी और धारा-3/4 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की बढ़ोत्तरी की गई। नाबालिग के साथ शारीरिक संबंध स्थापित करना सामाजिक अपराध है।

इस-इस अपराध के लिए सुनाई गई सजा

अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी अधिवक्ता दिनेश प्रसाद अग्रहरि, सत्य प्रकाश त्रिपाठी और नीरज कुमार सिंह ने न्यायालय में दलीलें पेश की। बताया कि मामले में दोषी प्रभात कुमार गौतम को धारा 376 आईपीसी और पाक्सो एक्ट के तहत दोषी पाया गया। इसके लिए दोषी को 10 वर्ष के कठोर कैद और 45 हजार अर्थदंड की सजा सुनाई गई। अर्थदंड अदा न करने पर एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी।

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