Sonbhadra News: मानसून की बेरूखी ने बढ़ाई रिहंद डैम की प्यास, सामान्य जलस्तर में छह फिट तक की गिरावट
Sonbhadra News: देश के विशालतम जलाशयों में एक तथा एशिया के सबसे बड़े कृत्रिम झील का दर्जा रखने वाले रिहंद डैम का जुलाई में रहने वाले सामान्य स्तर से छह फीट नीचे चला गया है
Sonbhadra News: देश के विशालतम जलाशयों में एक तथा एशिया के सबसे बड़े कृत्रिम झील (artificial lake) का दर्जा रखने वाले रिहंद डैम की प्यास लगातार बढ़ती जा रही है। मानसून की बेरूखी के चलते रिहंद डैम का जलस्तर, जुलाई में रहने वाले सामान्य स्तर से छह फीट नीचे चला गया है। इसके चलते जहां बांध स्थित जल विद्युत इकाइयां इमरजेंसी स्थिति में ही चलाई जा रही हैं। वहीं जल्द अच्छी बारिश न होने की दशा में तापीय जल विद्युत गृहों को होने वाली आपूर्ति पर असर पड़ने की आशंका ने पावर सेक्टर में हड़कंप की स्थिति उत्पन्न करनी शुरू कर दी है।
हालांकि अभी हालात नियंत्रण में बताए जा रहे है लेकिन श्रावण मास (Sawan 2022) की शुरुआत होने के बावजूद, जिस तरह आसमान से बादल गायब दिख रहे हैं, उसने यूपी से लेकर बिहार तक बेचैनी की स्थिति पैदा कर दी है।
बिजलीघरों के साथ ही बिहार को पानी देने की है जिम्मेदारी
बताते चलें कि उर्जा जगह का प्राण कहे जाने वाले रिहंद डैम पर ही, यूपी के सोनभद्र और इससे सटे मध्यप्रदेश के सिंगरौली स्थित तापीय विद्युत गृहों में पानी की आपूर्ति और संयंत्रों का शीतलन कार्य निर्भर है। इसके अलावा एनसीएल के आवासीय कालोनियों, रेणुकूट, पिपरी नगर पंचायत के साथ ही, हाल में ही संचालित होनी शुरू होनी हुई कुलडोमरी पेयजल परियोजना की आपूर्ति निर्भर है।
इसके अलावा इस बांध से रिहंद जल विद्युत गृह (Rihand Hydro Power Station) के संचालन ओबरा बांध के जलस्तर, ओबरा जल विद्युत गृह के संचालन के लिए पानी देने के साथ ही, बिहार में सोन नदी स्थित इंद्रपुरी बैराज से सिंचाई के लिए दिए जाने वाले पानी के लिए, वर्ष में दो बार 15-15 दिन पानी उपलब्ध कराए जाने की जिम्मेदारी है।
पिछले साल के न्यूनतम जलस्तर से भी नीचे पहुंचा पानी
पिछले वर्ष 16 जून को रिहंद बांध का न्यूनतम जलस्तर 839.8 फीट दर्ज किया गया था। वहीं 14 जुलाई पहुंचते-पहुंचते जलस्तर 844 फीट हो गया था। वहीं इस वर्ष अब तक अवर्षण की स्थिति ने, रिहंद बांध का जलस्तर पिछले वर्ष के न्यूनतम जलस्तर से भी नीचे पहुंचा दिया है। बृहस्पतिवार की सुबह यहां का जलस्तर 838.3 फीट रिकार्ड किया गया, जो इस तिथि को पिछले वर्ष के जलस्तर के मुकाबले जहां लगभग छह फीट नीचे पहुंच गया है।
वहीं पिछले वर्ष के न्यूनतम जलस्तर से भी यह डेढ़ फीट तक कम है। इसके चलते पावर सेक्टर के लोगों की बेचैनी बढ़ गई है। वहीं जल्द अच्छी बारिश न होने की दशा में सस्ती बिजली देने वाले बिजलीघरों का उत्पादन प्रभावित होने की आशंका जताई जाने लगी है। बता दें कि सोनभद्र और सिंगरौली स्थित बिजलीघरों से रोजाना लगभग 20 से 21 हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है, जिससे यूपी, एमपी के साथ ही देश की राजधानी दिल्ली सहित अन्य राज्यों की जरूरतें पूरी की जाती हैं।
लगातार बिजली की रिकार्ड मांग बढ़ाए हुए है बेचैनी
एक तरफ जहां रिहंद डैम में श्रावण माह की शुरुआत होने के बाद भी न्यूनतम जलस्तर चिंता का विषय बना हुआ है। वहीं जुलाई माह में बिजली की रिकार्ड खपत (Record consumption of electricity) ऊर्जा जगत के लोगों का होश उड़ाए हुए है। जुलाई में रिकार्ड मांग और खपत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जहां आठ जुलाई को बिजली की यूपी तब की सबसे अधिक मांग 26544 मेगावाट और सबसे अधिक खपत 25857 मेगावाट दर्ज हो चुकी है। वहीं उसके बाद से लगातार मांग 26 हजार मेगावाट के उपर बनी हुई है। बुधवार की रात भी बिजली की अधिकतम मांग 26124 मेगावाट दर्ज की गई। हालात संभालने के लिए महंगी बिजली खरीदने और पीक आवर में आपात कटौती का क्रम बना रहा।