यूपी के सीपीए सम्मेलन ने खोले संसदीय व्यवस्था के नए रास्ते

जन प्रतिनिधियों की भूमिका विषय पर राष्ट्रमंडल संसदीय संघ भारत क्षेत्र के दो दिवसीय 7वें सम्मेलन का आज समापन हो गया। सम्मेलन में भारत केंद्र शाखा (भारत की संसद) और राज्य क्षेत्र शाखाओं से 35 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। साथ ही सीपीए रीजन के प्रतिनिधियो ने भी हिस्सा लिया।

Update: 2020-01-17 16:14 GMT

श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: जन प्रतिनिधियों की भूमिका विषय पर राष्ट्रमंडल संसदीय संघ भारत क्षेत्र के दो दिवसीय 7वें सम्मेलन का आज समापन हो गया। सम्मेलन में भारत केंद्र शाखा (भारत की संसद) और राज्य क्षेत्र शाखाओं से 35 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। साथ ही सीपीए रीजन के प्रतिनिधियो ने भी हिस्सा लिया। इसके अलावा, इन दो दिनों के सम्मेलन में, यूपी सरकार के मंत्रियों विधानमंडल के सदस्यों को नई जानकारियां भी हासिल हुई। सम्मेलन में लगभग 270 विधायक उपस्थित हुए।

सम्मलेन में ऑस्ट्रेलिया मलेशिया के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के 53 देशों का जिसमें 180 विधानमंडल आते हैं। इससे पहले छठा अधिवेशन 2018 में पटना में संपन्न हुआ था। उसके पहले दिल्ली में भी सभी पीठासीन अधिकारियों की एक बैठक हुई इसमें कुछ एजेंडे तय किए गए। इसके अलावा नियमों की एक बैठक देहरादून में हुई उसके बाद यह अंतर संवाद लखनऊ में हुआ।

लखनऊ में दो विषयों पर विशेष रूप से चर्चा हुई। एक तो बजट प्रस्ताव की समीक्षा और जनप्रतिनिधियों की क्षमता बढ़ाना दूसरी विषय विधाई कार्य में विधायक की भूमिका। इन सम्मेलन का उद्देश्य किस तरीके से हम लोकतंत्र को मजबूती दी जा सके।

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दो दिवसीय विशेष अधिवेशन में इस बात का फैसला लिया गया कि साल के आखिरी तक सभी कार्यों को पूरा करने का कार्य पूरे कर देंगे ताकि उन्हें डिजिटल भी किया जा सके। जब विधानमंडल की लाइब्रेरियां डिजिटल हो जाएगी तो यह सब हम एक प्लेटफार्म पर देख सकेंगे।

वहीं दूसरी तरफ आज समापन सत्र में प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि विगत वर्षों के दौरान विधानमंडलों के कार्य के स्वरूप में बदलाव हुए हैं। उनके यह भी विचार थे कि आज के समय विधानमंडल न केवल विधि निर्माण का कार्य कर रहे हैं।

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लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने कहा कि विधानमंडलों को कार्यपालिका की वित्तीय जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एक सजग प्रहरी की तरह कार्य करना चाहिए। इसके लिए, यह आवश्यक है कि जन प्रतिनिधियों को वित्तीय शब्दावली और बजटीय प्रक्रियाओं की बेहतर समझ हो।

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उन्होंने बजटीय प्रक्रिया की बारीकियों को समझने के लिए जनप्रतिनिधियों की क्षमता को बढ़ाने के लिए अनुभवी सांसदों और पदाधिकारियों की टीम को भेजने का प्रस्ताव रखा।

मुख्तार अब्बास नकवी ने कही ये बात

केन्द्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने अपने मुख्य भाषण में कहा कि विधायकों का मुख्य कार्य कानून बनाना है और इसलिए उन्हें नीतिगत मुद्दे की पहचान करने के साथ ही उस मुद्दे का समाधान करने के लिए संभावित विधायी विकल्पों का चयन करने तथा संबंधित हितधारकों के साथ परामर्श करने में सक्षम होना चाहिए।

सीपीए सम्मेलन में आए केन्द्रीय मंत्री नकवी ने कहा कि कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित करना भी विधानमंडलों का एक महत्वपूर्ण कार्य है । इन विधायी जिम्मेदारियों को निभाने के लिए यह आवश्यक है कि विधायकों को क्षेत्र विशेष से संबंधित शोध सहायता उपलब्ध हो । इस दिशा में, उन्होंने इस बात की प्रशंसा की कि विधायी कार्य को संसद में प्रस्तुत किए जाने से पहले उसके संबंध में संक्षिप्त जानकारी प्रदान करने की सुविधा आरंभ की गई है ।दूसरे पूर्ण सत्र के दौरान कई प्रतिनिधियों ने अपने विचार व्यक्त किए।

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उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सभापति रमेश यादव ने भी समापन समारोह में धन्यवाद देते हुए कहा कि विधायक सांसद के पास सिर्फ बोलने का अधिकार है। बेशक वह निर्बाध है। लेकिन अवसरों की कमी भी होती है। सदन में सब बोलने आते हैं। सुनने की भी जरूरत होती है। बिना सुने बोलना प्रासंगिक नहीं होता। सुनना प्रतीक्षा धर्म है। इसी धर्म के पालन में ही बोलना राष्ट्रधर्म बनता है।

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