हत्यारी शबनम को फांसी: प्रेम संबंध में ऐसे की हत्याएं, रातों-रात हैवानियत की ये कहानी

शबनम ने अपने प्रेम में बाधा बन रहे अपने ही माता-पिता, भतीजे, दो भाई, एक भाभी और रिश्ते की बहन को दूध में नशीला पदार्थ देकर बेहोश होने के बाद एक-एक करके कुल्हाड़ी से मार दिया। इस कांड से पूरे गांव में आक्रोश की लौं आज भी प्रजज्विलित है।

Update:2021-02-22 19:40 IST
ये बात है 14 अप्रैल 2008 उत्तर प्रदेश के अमरोहा के हसनपुर के बावनखेड़ी गांव की। कई साल बीते जाने के बाद आज भी गांव के लोग इस हत्याकांड को भुला नहीं सके हैं।

नई दिल्ली: अपने प्रेमी से शादी करने के लिए सात लोगों समेत एक निर्मम मासूम की हत्या करने वाली शबनम इन दिनों काफी चर्चा का विषय बनी हुई है। वैसे तो शबनम के गुनाह पर फांसी देने पर कई सवाल और ऐतिहासिक बयान सामने आ रहे हैं। साथ ही ये भी कहा जा रहा कि स्वतंत्र भारत में फांसी के फंदे पर जाने वाली पहली महिला शबनम होगी। अपने प्रेेम संबंध में पड़ने वाली अड़चनों को खत्म करने के लिए शबनम ने अपने ही मां-बाप, भतीजे, दो भाई, एक भाभी और रिश्ते की बहन को दूध में नशीला पदार्थ देकर रातों-रात मौत के घाट उतार दिया।

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लोगों को डर आज भी लगता

ये बात है 14 अप्रैल 2008 उत्तर प्रदेश के अमरोहा के हसनपुर के बावनखेड़ी गांव की। कई साल बीते जाने के बाद आज भी गांव के लोग इस हत्याकांड को भुला नहीं सके हैं। शबनम के घर में अगल-बगल में उसके परिवार के सात लोगों की कब्रें है। उसके घर के आस-पास से भी निकलने में लोगों को डर आज भी लगता है।

शबनम ने अपने प्रेम में बाधा बन रहे अपने ही माता-पिता, भतीजे, दो भाई, एक भाभी और रिश्ते की बहन को दूध में नशीला पदार्थ देकर बेहोश होने के बाद एक-एक करके कुल्हाड़ी से मार दिया। इस कांड से पूरे गांव में आक्रोश की लौं आज भी प्रजज्विलित है। गांव के अधिकतर लोगों को लगता है कि शबनम को उसके गुनाह की सज़ा बहुत पहले ही मिल जानी चाहिए थी।

ऐसे में पुलिस ने जाँच में बताया था कि शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने पिता, मां, दो भाइयों, एक भाभी, भतीजे और रिश्ते की बहन की हत्या कर दी थी। जिसके बाद इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शबनम और सलीम, दोनों को फाँसी की सज़ा सुनाई है, और राष्ट्रपति ने दया याचिका खारिज कर, उनकी फांसी की सज़ा को बरकरार रखा है।

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अपराध माफी के क़ाबिल नहीं

फोटो-सोशल मीडिया

हत्यारी शबनम के चाचा सत्तार तो हैवानियत की इस घटना को याद करके ही खौफ में आ जाते हैं। वे कहते हैं, "शबनम को फांसी की सज़ा मिलने में देरी हो गई है। उसने जो अपराध किया वो माफी के क़ाबिल नहीं है।"

चाचा सत्तार उसके प्रेस प्रसंग के बारे में बताते हैं, "शबनम और सलीम के बीच ये रिश्ता पता नहीं कब से चल रहा था। लेकिन घटना वाली रात तो मेरे पास कुछ गांववाले ताहरपुर पहुंचे और उन्होंने मुझसे इस हत्याकांड के बारे में बताया।

फिर मैं और मेरी पत्नी वहां पहुंचे तो मेरा दिल बैठ गया। पहुंचते ही सामने मंज़र डरावना था। वहां लाशें पड़ी थीं, उनके सिर और शरीर कटे हुए थे। भैया-भाभी, कुंवारा भतीजा, बड़ा भतीजा और उसकी बीवी-बच्चा की लाशें थीं, कटे हुए पड़े थे। देखते ही हमारी रूहें कांप उठी।"

असली कातिल शबनम बैठी रो रही

फोटो-सोशल मीडिया

इस घटना के बारे में फ़ातिमा बताती हैं, "जब हम बावनखेड़ी पहुंचे तो यहां पैर रखने की भी जगह नहीं थी। जब शवों को एक-एक कर घर से बाहर लाया गया तो हमारा दिल दहल उठा। शबनम ने सभी को कुल्हाड़ी से काट दिया था। लेकिन उस वक़्त तक किसी को पता नहीं था कि जो शबनम रो रही है, दरअसल वही क़ातिल है।"

वहां उस वक्त बैठी शबनम ने कहा था कि घर पर हमला हुआ था। फिर बाद में हुई जांच में पता चला तो असली गुनाहगार कौन है। दरअसल शबनम ने इस हत्याकांड में अपने रिश्ते के भाई को फंसाना चाहा था। वो चाहती थी कि वह अपने पिता की संपत्ति के हक़दार बनकर सलीम के साथ रहे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया और वो पकड़े गए।"

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उसके चाचा ने बताया कि उनके घर रोज़ एक किलो दूध जाया करता था, लेकिन वारदात वाले दिन उसने दो किलो दूध ख़रीदा था, उसने दूध में कुछ नशीला पदार्थ मिलाकर सबको पिला दिया था। फिर सभी को मौत में मुंह में ढकेल दिया।

महंत परमहंस दास ने राष्‍ट्रपति से की अपील

ऐसे में अब इतने सालों बाद जब ये मामला फिर से उठा है तो हत्‍यारिन शबनम की फांसी को रोकने के लिए मांगें उठने लगी है। इसमें पहली मांग अयोध्‍या से उठी है। अयोध्या के तपस्‍वी छावनी के महंत परमहंस दास ने राष्‍ट्रपति से अपील की है कि वे शबनम की फांसी की सजा को माफ कर दें।

इस मामले में महंत ने कहा कि देश की आजादी के बाद आज तक किसी महिला को फांसी नहीं दी गई। यदि शबनम को फांसी दी जाती है तो यह पहला मामला होगा। एक महिला को फांसी दिए जाने से देश को दुर्भाग्‍य और आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है।

आगे अयोध्या के महंत ने कहा कि 'हिंदू शास्‍त्रों में नारी का स्‍थान पुरुष से बहुत ऊपर है। एक नारी को मृत्‍युदंड दिए जाने से समाज का कोई भला नहीं होगा। उल्‍टे इससे दुर्भाग्‍य और आपदाओं को न्‍यौता मिलेगा।' यह सही है कि उसका अपराध माफ किए जाने योग्‍य नहीं है लेकिन उसे महिला होने के नाते माफ किया जाना चाहिए। वहीं अब इस मामले को लेकर कई बयान सामने आ रहे हैं।

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रिपोर्ट-विदुषी मिश्रा

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