Varanasi News: 15 साल पहले धमाकों से दहल उठी थी काशी की कचहरी, अब कितने बदले हालात

Varanasi News: पंद्रह साल पहले 23 नवम्बर को ही वाराणसी की कचहरी बम धमाकों से दहल उठी। चारों तरफ चीख पुकार मच गई थी।

Newstrack :  Sangeeta Singh
Update:2022-11-23 17:08 IST
धमाके में मरे वकीलों को याद करते हुए

Varanasi News: पंद्रह साल पहले 23 नवम्बर को ही वाराणसी की कचहरी बम धमाकों से दहल उठी। चारों तरफ बारुद की धुंध छाई थी और चीख पुकार से कचहरी का कोना कोना गूंज उठा था। धमाके की टीस आज भी यहां के अधिवक्ताओं के जेहन में शूल की तरह चुभता है। इन पंद्रह सालों बाद कचहरी कितनी महफूज बनी ? धमाके की भेंट चढ़ने वाले अधिवक्ताओं के परिजनों को इंसाफ मिला ? इसी बात की पड़ताल के लिए Newstrack की टीम ने वाराणसी अदालत परिसर का जायजा लिया और वकीलों से बात की।

15 साल बाद भी नहीं बदले हालात

वाराणसी के कचहरी परिसर में आज अधिवक्ताओं ने कचहरी बम ब्लास्ट की बरसी पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया। वकीलों ने 23 नवंबर 2007 के दिन हुए कचहरी ब्लास्ट वाले दिन को याद करते हुए एक काला दिन करार दिया। अधिवक्ताओं के चेहरे पर गम और गुस्सा दिखा।

कचहरी की सुरक्षा व्यवस्था के लिए कोई ठोस इंतजाम नहीं किए गए: अधिवक्ता

Newstrack से बात करते हुऐ अधिवक्ता नित्यानंद गिरी बताते हैं कि का कहना है कि " वाराणसी के कचहरी में किसने ब्लास्ट कराया इस घटना के दोषी कौन लोग हैं ? उन्हें क्या दंड दिया गया है ? इसके बारे में भी हमें कुछ नहीं पता है। इतना ही नहीं इतने बड़े बम ब्लास्ट के बावजूद अप्रैल 2016 परिसर में हैंडग्रेनेड मिलना और फरवरी 2018 में असामाजिक तत्वों द्वारा सीजेएम गेट पर सुतली बम रखा जाना बताता है कि कचहरी की सुरक्षा व्यवस्था के लिए कोई ठोस इंतजाम नहीं किए गए।"

सुरक्षा के नाम पर सिर्फ रस्मअदायगी

पंद्रह साल बाद भी सुरक्षा के नाम पर कचहरी परिसर में सिर्फ रस्मअदायगी निभाई जा रही है। सभी प्रमुख गेटों में दिखावे के लिए सुरक्षा कर्मी तैनात रहते हैं। मेटल डिडेक्टर किस हालात में ये किसी से छिपा नहीं हैं। आने जाने वाले की शायद ही कभी चेकिंग होती है। हैरानी इस बात की है कि कचहरी परिसर में ही जिलाधिकारी के अलावा पुलिस के आलाधिकारी भी बैठते हैं।

23 नवम्बर 2007 को कचहरी के दो स्थानों पर तेज धमाका: अधिवक्ता

कचहरी के अधिवक्ता आज भी इस दिन को याद कर सिहर उठते हैं। अधिवक्ता कमलेश त्रिपाठी बताते हैं 23 नवम्बर 2007 का दिन था। कचहरी में चहल-पहल थी वकील और मुवाकिल अपने अपने काम में व्यस्त थे। तभी अचानक दोपहर में सिविल व कलक्ट्रेट के दो स्थानों पर तेज धमाका हुआ। चारों तरफ चीख-पुकार मच गई। मौके पर ही तीन अधिवक्ता समेत नौ लोगों की दुखद मौत हो गई थी। मरने वाले लोगों के चिथड़े उड़ गए थे। 50 से अधिक लोग इस बम ब्लास्ट में गंभीर रूप से घायल हुए थे।

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