Varanasi News: शिवभक्तों का एलान, गंगाजल से नहीं होगा बाबा का जलाभिषेक, जानें वजह
Varanasi News: गंगा के साथ हो रही बेकद्री से नाराज शिवभक्तों ने एलान किया है कि इस बार निर्जला एकादशी को श्री काशी विश्वनाथ का जलाभिषेक नहीं किया जाएगा।
Varanasi News: काशी में पतित पावनी गंगा (Ganga) की हालत दिनों दिन बिगड़ती जा रही है। आचमन तो छोड़िये अब तो स्नान लायक भी गंगा का पानी नहीं रह गया है। इस बात की पुष्टि स्थानीय प्रशासन ने भी की है। गंगा के साथ हो रही बेकद्री से शिवभक्त नाराज हैं। शिव भक्तों ने इस बार निर्जला एकादशी को श्री काशी विश्वनाथ (Shri Kashi Vishwanath) का जलाभिषेक नहीं करने का फैसला किया है।
शिवभक्तों ने इस साल जलाअभिषेक की जगह दुधाभिषेक करने का फैसला किया है। दरअसल निर्जला एकादशी पर श्री काशी विश्वनाथ की वार्षिक कलश यात्रा (Kalash Yatra) निकालने की रवायत है। इस दौरान शिवभक्त राजेंद्र प्रसाद घाट से गंगा जल लेकर बाबा का जलाभिषेक करते हैं। लेकिन इस साल भगवान शंकर का जलाभिषेक की जगह दुधाभिषेक होगा।
कलश यात्रा के संयोजक जगदम्बा तुलस्यान कहते हैं कि हरा हो चुके गंगा जल का पानी और मटमैला रंग आचमन के योग्य नहीं है। अतः जिस गंगा जल को हम आचमन नहीं कर सकते है उसे अपने भगवान को कैसे चढ़ाएं?
आचमन योग्य नहीं है गंगा का जल
दरअसल, पिछले कुछ दिनों से गंगा में हरे शैवालों की बाढ़ आ गई है। इसकी वजह से वाराणसी में गंगा का पानी आचमन और स्नान योग्य नहीं है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी श्रद्धालुओं से अगले कुछ दिनों तक गंगा में स्नान और आचमन न करने की अपील की है। गंगा के बदले रंग को लेकर लिए गए सैम्पल की जांच में ये खुलासा हुआ था।
डीएम की ओर से गठित जांच समिति ने अपने रिपॉर्ट में बताया था कि हरे शैवाल के कारण गंगा जल में नाइट्रोजन और फॉस्फोरस का स्तर बढ़ गया है। गंगा जल में नाइट्रोजन और फॉस्फोरस के बढ़ जाने के वजह से पानी में ऑक्सीजन का लेवल कम हुआ है। गंगा जल में ऑक्सिजन स्तर में आई कमी जलीय जंतुओं के साथ ही गंगा में स्नान और आचमन करने वाले आम लोगों के लिए खतरनाक हो सकता है।
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