Varanasi News : कबीर धरोहर को मिली नई पहचान, हाईटेक झोपड़ी में सुनाई देगी इनके लोकप्रिय भजन
Varanasi News : बनारस में 10 साल पहले 'कबीर धरोहर' को नई पहचान देने की जो कवायद शुरू की गई थी वो आज पूरी हो गई।
Varanasi News : बनारस (Banaras) में 10 साल पहले 'कबीर धरोहर' को नई पहचान देने की जो कवायद शुरू की गई थी वो आज पूरी हो गई। संत कबीर (Sant Kabir) की कर्मभूमि कबीरचौरा मूलगादी पर कबीर की हाईटेक झोपड़ी (hi-tech hut) देश-दुनिया के दर्शनार्थ मानस पटल पर नजर आने के लिए बनकर तैयार हो चुकी है। जिसके लिए लगभग 10 सालों से प्रयास चल रहा था। इस हाईटेक झोपड़ी में ना सिर्फ कबीर के जीवन के सबसे महत्वपूर्ण हिस्से को लोगों के सामने प्रस्तुत किया जाएगा, बल्कि लगभग 8 मिनट के अंदर संत कबीर (Sant Kabir) खुद अपनी जीवन गाथा लोगों को सुनाएंगे।
आधुनिकता के इस युग में मूलगादी में जर्मनी (Germany) और नीदरलैंड (Netherlands) की तकनीक से हाइटेक झोपड़ी नीरू टीला के केंद्र में बनाई गई है। बताया जाता है कि इस जगह संत कबीर (Sant Kabir) का लालन-पालन करने वाले नीरू और नीमा की मजार और वह कुआं है जिसका पानी कबीर उपयोग में लाते थे। दो कमरों वाली झोपड़ी के एक हिस्से में कबीर दास का स्वचालित ताना-बाना दिखाई देगा। झोपड़ी के अंदर प्रवेश करते ही करघे की आवाज के साथ कबीर के लोकप्रिय भजन 'झीनी-बीनी चदरिया सुनाई देगी। यही नहीं थोड़ा आगे बढ़ने पर वहां रखा दीपक अपने आप जलने लगेगा।
दिखेगा मोक्ष का दसवां द्वार
स्मारक से निकलते समय यात्रा पथ 'रंग महल के दस दरवाजे' की तरह मोक्ष की कठिन अवधारणा की व्याख्या करते दिखाई देंगे। साथ ही शिखर में लगने वाले इटैलियन कांच से निकलने वाली रोशनी भी आत्मा और परमात्मा को एकाकार करते हुए अंधकार से रोशनी की ओर जाने का मार्ग प्रशस्त करते हुए मोक्ष का दसवां द्वार दिखाएगी। पीठाधीश्वर आचार्य महंत विवेक दास ने बताया कि कबीर की हाईटेक झोपड़ी देश-दुनिया के दर्शनार्थ मानस पटल पर नजर आएगी। इस वैज्ञानिक युग में कबीर को विश्व पटल पर लोग करीब से जान सकें इसके लिए हाईकेट झोपड़ी का निर्माण कराया गया है। कबीर की हाईटेक झोपड़ी उसी नीरू टीले पर यादगार होगी, जहां 15वीं शताब्दी में नीरू-नीमा नामक जुलाहा दंपती ने उनका पालन-पोषण किया था।
कबीर के जीवन आदर्श से होगा साक्षात्कार
आचार्य विवेकदास ने कहा कि कबीर साहेब के व्यक्तित्व-कृतित्व व आदर्शो के प्रचार प्रसार में झोपड़ी मील का पत्थर साबित होगी। इसमें स्वचालित यंत्रों के जरिए लोगों का कबीर के जीवन आदर्श से साक्षात्कार होगा। संत के आदर्शों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए मूलगादी की ओर से कबीरचौरा मठ सोशल मीडिया केंद्र की भी स्थापना की गई है।