बिजली विभाग का नोटिस: बनारस में सबसे बड़ा बकायेदार, चुकाने होंगे 515 करोड़

बिजली कनेक्शन के लिहाज से बनारस में दो तरह के सरकारी विभाग हैं। इसके तहत कुछ ऐसे विभाग हैं जिनमें बिजली बिल का भुगतान स्थानीय स्तर से होता है। जबकि दूसरे स्तर के विभागों में बिजली बिल का भुगतान केंद्रीय स्तर से होता है।

Update:2020-10-10 09:28 IST

वाराणसी। उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के निजीकरण के फैसले को लेकर पिछले दिनों जब कर्मचारी हड़ताल पर गए तो प्रदेश बुरी तरह प्रभावित हुआ। बिजली आपूर्ति बाधित बाधित हुई तो लोग बूंद-बूंद पानी के लिए लोग तरस गए। जनजीवन बेपटरी हो गया। हालाँकि बाद में बातचीत में हल निकला और योगी सरकार ने निजीकरण के फैसले को अगले 3 महीनों के लिए टाल दिया। अब कार्य पर लौटे कर्मचारियों ने बिजली विभाग में बकाया भुगतान के लिए मुहिम छेड़ दी है। बिजली कर्मचारियों के निशाने पर अब वो सरकारी विभाग हैं, जिनपर करोड़ों रुपए का बिजली बिल बकाया है।

बिजली विभाग ने चलाया बकाया वसूली अभियान

बकाया वसूली के लिए बिजली विभाग ने अभियान शुरु किया है। इसके तहत सरकारी विभागों को नोटिस भेजकर बिजली बिल जमा करने को कहा गया है। बिल ना देने पर विभाग बिजली कनेक्शन विच्छेदन करने का काम करेगा। अगर वाराणसी की बात करें तो सरकारी विभागों पर 570 करोड़ रुपए बकाया है। इसमें सबसे अधिक जलकल विभाग के ऊपर 515 करोड़ रुपए का बिजली बिल बकाया है। बिजली विभाग की नोटिस मिलने के बाद सरकारी विभागों में हड़कंप की स्थिति बनी हुई है।

जलकल विभाग सबसे बड़ा बकायेदार

बिजली कनेक्शन के लिहाज से बनारस में दो तरह के सरकारी विभाग हैं। इसके तहत कुछ ऐसे विभाग हैं जिनमें बिजली बिल का भुगतान स्थानीय स्तर से होता है। जबकि दूसरे स्तर के विभागों में बिजली बिल का भुगतान केंद्रीय स्तर से होता है। बिजली विभाग के अधिक्षण अभियंता विजय भान के अनुसार केंद्रीय स्तर पर 541 करोड़ रुपए का बिल बकाया है। इसमें सबसे अधिक 515 करोड़ जलकल विभाग, 24 करोड़ रुपए गंगा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जबकि राजकीय नलकूप विभाग के ऊपर 2 करोड़ का बकाया है।

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वहीं दूसरी तरफ स्थानीय स्तर के विभागों पर 29 करोड़ रुपए का बिजली बिल बकाया है। इसमें राजस्व, प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, स्टॉम्प व पंजीकरण और नगर निगम सहित कई महत्वपूर्ण विभाग हैं।

सरकारी विभागों पर नजर हुई टेढ़ी

दरअसल पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम सबसे अधिक घाटे में चल रहा है। शायद यही कारण है कि निगम को घाटे से उबारने के लिए राज्य सरकार इसके निजीकरण करने की तैयारी कर रहा है। हालांकि बिजली विभाग के कर्मचारी लगातार इसका विरोध कर रहे हैं। पिछले दिनों तो कर्मचारियों ने पूरे प्रदेश में विद्युत आपूर्ति बाधित कर दी थी।

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बातचीत के बाद सरकार ने अपना फैसला कुछ महीनों के लिए टाल दिया है। दूसरी ओर बकाया बिल की वसूली के लिए बिजली विभाग ने कमर कस ली है। बिजली विभाग आम लोगों के साथ अब सरकारी महकमों को भी बख्शने के मूड में नहीं है।

आशुतोष सिंह

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