Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मंदिर या मस्जिद? 354 वर्षों के विवाद का सर्वे से होगा अंत, जानिए क्या है पूरा मामला

ज्ञानवापी में एएसआई सर्वे कर रहा है। पुलिस और प्रशासनिक विभाग हाई अलर्ट पर है। कोर्ट ने कहा है कि एएसआई की रिपोर्ट में यह स्पष्ट होना चाहिए कि क्या मंदिर को ध्वस्त कर उसके ढांचे के ऊपर मस्जिद बनाई गई है।

Update: 2023-08-04 08:28 GMT
Gyanvapi Case (photo: social media )

Gyanvapi Case: एएसआई के सर्वे से ज्ञानवापी को लेकर 354 वर्षों से चल रहे विवाद के समाधान की एक उम्मीद जगी है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम ज्ञानवापी स्थित सील वजूखाने को छोड़कर शेष अन्य हिस्से का सर्वे कर रही है। टीम बिना मशीनों के प्रयोग से ही पूरे परिसर का नक्शा शीट पर उतार रही है। ज्ञानवापी को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्ष अपने-अपने दावे कर रहे हैं। इन दोनों के दावे की हकीकत सर्वे से सामने आने की उम्मीद है।

हिंदू पक्ष का ये है दावा-

ज्ञानवापी को लेकर हिंदू पक्ष का दावा है कि औरंगजेब ने 1669 में मंदिर को ध्वस्त करा कर उसके ढांचे को बदल दिया। तभी से हिंदू अपना अधिकार पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अब कानूनी तरीके से अधिकार पाने के प्रयास में लगे हैं। वहीं, मुस्लिम पक्ष को हिंदू पक्ष के इस दावे पर आपत्ति है। उसका कहना है कि ज्ञानवापी परिसर में 600 वर्षों से नमाज अदा की जा रही है। ज्ञानवापी परिसर के एएसआई से सर्वे का वाद वाराणसी के जिला अदालत में दाखिल करने वाले सीता साहू, रेखा पाठक, लक्ष्मी देवी और अंजू व्यास ने इसको लेकर तमाम दावे किए हैं। इन्होंने शपथ पत्र दाखिल कर कोर्ट को बताया है कि उत्तरवाहिनी गंगा के किनारे स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान आदि विश्वेश्वर का मंदिर है।

सर्वे से ही संभव है समाधान-

मुगल शासक औरंगजेब के फरमान से वर्ष 1669 में इसे ध्वस्त किया गया था। इसके खिलाफ काशी और देश के अन्य हिस्सों में हिंदू धर्म में आस्था रखने वालों ने आवाज उठानी शुरू कर दी थी। मांग थी कि द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक भगवान आदि विश्वेश्वर का मंदिर पुनः मूल स्वरूप में स्थापित किया जाए। अब 354 वर्षों से चल रहे इस विवाद का समाधान एएसआई सर्वे से ही संभव है।

औरंगजेब ने कोई मंदिर नहीं तुड़वाया था-मुस्लिम पक्ष-

हिंदू पक्ष के इन दावों पर मुस्लिम पक्ष की तरफ से अंजुमन इंतेजामिया कमेटी ने सवाल उठाए और कोर्ट में आपत्ति भी दाखिल की। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि हिंदू पक्ष का दावा ठीक नहीं है। औरंगजेब ने कोई मंदिर नहीं तुड़वाया था। हिंदू पक्ष दावा कर रहा है, लेकिन साक्ष्य नहीं दे रहा। ज्ञानवापी में लंबे समय से नमाज पढ़ी जा रही है। बहरहाल, दावे और आपत्ति के बीच जिला जज की अदालत ने एएसआई को सर्वे का आदेश दिए थे।

हाईकोर्ट ने भी लगा दी मुहर-

अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी ज्ञानवापी के सर्वे पर अपनी मुहर लगा दी है। ऐसे में विवाद के समाधान की उम्मीद जगी है। हिंदू पक्ष का कहना है कि एएसआई के सर्वे में जो कुछ आएगा, उसे मानकर आगे बढ़ा जाएगा। हालांकि, मुस्लिम पक्ष अब भी सर्वे के पक्ष में नहीं है। अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने सर्वे रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है।

सर्वे रिपोर्ट से ही अयोध्या विवाद का भी हुआ था अंत-

हिंदू पक्ष के अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी ने कहा कि अयोध्या में राम जन्मभूमि के विवाद का अंत एएसआई की सर्वे रिपोर्ट से ही हुआ था। रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार करके अपना फैसला सुनाया था। मुस्लिम पक्ष को सहयोग की भावना के साथ आगे आना चाहिए। 354 वर्ष से चल रहे विवाद के समाधान के लिए वैज्ञानिक पद्धति से हो रहे सर्वे में मसाजिद कमेटी को सहयोग करना चाहिए। सर्वे में जो तथ्य सामने आएं, उसका हम भी स्वागत करेंगे और उन्हें भी करना चाहिए।

सर्वे में सब कुछ साफ करने को कहा गया-

जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने ज्ञानवापी परिसर की संरचना को नुकसान पहुंचाएं बगैर ही सब कुछ वैज्ञानिक तरीके से एएसआई को स्पष्ट करने के लिए कहा था। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सील वजूखाने को छोड़कर ज्ञानवापी के मौजूदा निर्माण की प्रकृति और आयु का निर्धारण करें। इमारत के अलग-अलग हिस्सों और संरचना के नीचे मौजूद ऐतिहासिक और धार्मिक कलाकृतियों व अन्य सामग्रियों को देख कर उनकी वास्तविक स्थिति स्पष्ट करें। जो भी कलाकृतियां दिखें, उनकी भी उम्र और प्रकृति के बारे में बताएं। कोर्ट ने कहा है कि एएसआई की रिपोर्ट में यह स्पष्ट होना चाहिए कि क्या मंदिर को ध्वस्त कर उसके ढांचे के ऊपर मस्जिद बनाई गई है।

16 मई 2022 को सील किया गया था वजूखाना-

ज्ञानवापी में अधिवक्ता आयुक्त के कमीशन की कार्रवाई के दौरान हिंदू पक्ष ने 16 मई 2022 को वजूखाने में शिवलिंग मिलने का दावा किया था। वहीं, मसाजिद कमेटी का इस पर कहना था कि वह पुराना फव्वारा है। हिंदू पक्ष के आवेदन पर 16 मई 2022 को जिला अदालत ने वजूखाने को सील करने का आदेश दिया था। उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा था।

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