Vat Savitri Vrat 2021: अखंड सौभाग्य की प्राप्ती के लिए महिलाओं ने की वट वृक्ष की पूजा
Varanasi News: कोविड प्रोटोकाॅल को फाॅलो करते हुए महिलाओं ने सोशल डिस्टेंसिंग व मास्क लगाकर की पूजा-अर्चना
Varanasi News: आज साल के पहले सूर्य ग्रहण के साथ वट सावित्री पूजा भी है। कोरोना काल के बीच वट सावित्री व्रत को लेकर महिलाओं में खासा उत्साह दिखाई दिखायी दिया। महिलाओं ने कोविड प्रोटोकाॅल को फाॅलो करते हुए व्रत पूर्ण किया। मान्यता है कि इस व्रत को करने से पति की आयु लंबी होती है इसलिए ये त्यौहार महिलाएं धूम धाम से मनाती हैं। महिलाओं ने वट वृक्ष को मौसमी फल अर्पित करने, कच्चे सूत से बांधने और बियने हथ पंखा से ठंडक पहुंचाने के बाद आस्था के साथ इसकी परिक्रमा कर पूजा के बाद वट सावित्री व्रत की कथा भी सुनी।
उल्लेखनीय है कि वाराणसी में वट सावित्री की पूजा उत्साह के साथ मनायी गयी। जेष्ठ मास के अमावस्या के दिन पडने वाले इस पर्व में सुहागिन महिलाओं ने पूजा की थाली सजाकर वट वृक्ष की बारह बार परिक्रमा करके वट वृक्ष को फल फूल चढाकर सुख और पति की लंबी आयु की कामना करती हैं। हिन्दु धर्म में इस व्रत का विशेष महत्व है।
सोशल डिस्टेंसिंग व मास्क के साथ हुयी पूजा
हालांकि, कोरोना संक्रमण को देखते हुए बहुत सी महिलाओं ने वट वृक्ष की टहनी को अपने घर में वृक्ष का प्रतिरूप मानकर पूजा की। साथ ही यम देव से पति की दीर्घायु, सेहत व परिवार सुख शांति व उन्नति का वरदान मांगा। इस अवसर पर महिलाओं ने सावित्री व सत्यवान की कथा सुन सुहागन महिलाओं को दान दिया। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने वाली महिलाओं के पति पर आया संकट टल जाता है और उनकी आयु लंबी होती है। यह व्रत महिलाओं के लिए खास बताया गया है। इस बार कोरोना काल के कारण महिलाओं ने गंगा स्नान तो नहीं किया लेकिन आसपास मौजूद बरगद के पेड़ की पूजा शारीरिक दूरी को ध्यान में रखते हुए किया।
महिलाओं ने मांगी पति की लंबी उम्र
वाराणसी के सुंदरपुर निवासी वाणी भारद्वाज ने बताया कि मिथिला संस्कृति में इस पूजा की बहुत मान्यता है। सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प लिया और वट वृक्ष की पूजा के बाद सावित्री व सत्यवान की कथा सुनी। यम देवता से परिवार की सलामती व सुख समृद्धि की कामना भी की। वहीं महमूरगंज निवासी प्रिया मिश्रा ने बताया कि परंपरा के अनुसार बरगद के पेड़ के नीचे पूजा होती है। लेकिन कोरोना को देखते हुए परिवार के सदस्यों के साथ घर में ही पूजा कर सभी के अच्छे स्वास्थ्य की कामना की है।
आर्य महिला पीजी कॉलेज संगीत विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रुचि उपाध्याय ने बताया कि पति की दीर्घायु, अखंड सौभाग्य व परिवार की उन्नति के लिए वट सावित्री का व्रत रखा है। आज तड़के उठकर पूरी तैयारी कर पति के साथ विधि विधान से पूजा संपन्न की। कैवल्यधाम निवासी अंशिका अग्रवाल बताती हैं पति की दीर्घायु के लिए कई व्रत रखे जाते हैं। इसमें दो प्रमुख व्रतों में एक करवाचैथ और दूसरा वट सावित्री व्रत है। मिथिला संस्कृति में वट सावित्री की पूजा में लाल रंग के पंखे, कच्चा पीला सूत व आम, खरबूजे का विशेष महत्व होता है।
फलदायक है वट सावित्री की पूजा
व्रत रखने वाली महिलाओं के अनुसार सावित्री ने अपने पति सत्यवान की प्राण को यमराज से वापस मागकर लाई थीं, तब से इस व्रत को सुहागिन अपने पति की लंबी आयु के लिए करती चली आ रही हंै। वट सावित्री व्रत में महिलाएं 108 बार बरगद की परिक्रमा करती हैं। कहते हैं कि वट सावित्री पूजन करना बेहद फलदायक होता है। इस दिन महिलाएं सुबह से स्नान कर लेती हैं और सुहाग से जुडा हर श्रृंगार करती हैं, तब तक पानी नहीं पीती हैं जब तक वह पूजा नहीं कर लेती हैं। वट सवित्री के दिन महिलाएं त्यौहार की तरह अपने अपने घरों में भोजन के साथ पकवान भी बनाती हैं। वट वृक्ष पूजन में साल भर में जो 12 महिने होते है। उसके अनुसार सभी वस्तुएं भी 12 ही चढाई जाती हैं। कच्चे धागे का जनेऊ बनाकर उसको अपने गले में धारण करती है।