पूर्वांचल विश्वविद्यालय: कुलपति के फैसलों पर विवाद

Update: 2019-11-29 10:17 GMT

कपिल देव मौर्य

जौनपुर: पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.राजाराम यादव विवादों के कारण हमेशा सुर्खियों में बने रहते हैं। कुलपति के रूप में कार्यकाल के दौरान उन पर तमाम तरह के आरोप लगे हैं। उन पर आरोप है कि विश्वविद्यालय में एक पीआरओ पहले से कार्यरत था मगर फिर भी उन्होंने इस पद पर एक और नियुक्ति 40 हजार रुपए वेेतन पर कर दी। ये भी आरोप है कि कुलपति ने विश्वविद्यालय को भगवा रंग में रंगने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर दिए। विश्वविद्यालय के तमाम भवनों का नामकरण आरएसएस के लोगों के नाम पर कर दिया। इसका विरोध तो हुआ, लेकिन बेअसर रहा। यही नहीं, वर्तमान कुलपति ने जनपद गाजीपुर में एक महाविद्यालय के दीक्षांत समारोह में सार्वजनिक मंच से छात्रो को उकसाया कि तुम हत्या करके आओ, हम देख लेगे। इसे लेकर खासा बवाल मचा, शासन में शिकायत भी हुई मगर कुलपति का कुछ नहीं बिगड़ा। पूर्व महामहिम ने अपना कार्यकाल खत्म होने के समय कुलपति को क्लीनचिट दे दी।

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गड़बड़ी न होने का दावा

उधर पीएचडी प्रवेश परीक्षा के निदेशक आलोक कुमार सिंह के मुताबिक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मानक के अनुसार सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए 50 प्रतिशत और अन्य श्रेणी के छात्रों के लिए 45 प्रतिशत अर्हता अंक का निर्धारण किया गया है। अभ्यर्थियों की शिकायत पर अंकों का मिलान अभिलेख से किया गया जो सही मिला है।

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पीएचडी प्रवेश परीक्षा परिणाम में किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं है। छात्रों का आन्दोलन राजनीति से पे्ररित है। उनका मानना है कि कुलपति से नाराज लोग छात्रों को उकसा कर आंदोलन करा रहे है जबकि छात्र नेता शशांक मिश्रा इसका खंडन करते हैं। उनका कहना है कि पीएचडी के छात्रों को अकारण अनुत्तीर्ण करना दूषित मानसिकता का प्रतीक है।

आपत्ति के बावजूद खोला लिफाफा

छात्रों का यह मामला चल ही रहा था कि एक दूसरा मामला शिक्षकों की नियुक्ति का सामने आ गया। कुलपति ने अक्टूबर 2019 में कार्यपरिषद की बैठक विश्वविद्यालय के विकास एवं अन्य मामलों को लेकर बुलाई थी जिसमें प्रदेश के राज्यपाल द्वारा नामित सदस्य गण डा. दीनानाथ सिंह तथा डा. हरिहर सिंह बुलाए गए थे।

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बैठक में जब कुलपति ने विश्वविद्यालय की बात न करते हुए लम्बित पड़े शिक्षकों की नियुक्ति का लिफाफा खोलना चाहा तो इन दोनों सदस्यों ने कहा कि जिस मुद्दे पर बैठक आहूत है उन्हीं बिन्दुओं पर चर्चा की जानी चाहिए। कुलपति ने इसे खारिज करते हुए लिफाफा खोलकर कुल 18 शिक्षकों की नियुक्ति पर मुहर लगवा दी। इससे नाराज होकर दोनों सदस्यों ने बैठक का बहिष्कार कर दिया। बाद में दोनों सदस्यों ने पूरे घटनाक्रम की शिकायत राज्यपाल से की, लेकिन इसका कोई असर नहीं दिखा है। इन सभी शिक्षकों को ज्वाइन भी करा दिया गया है।

जो चाहे शिकायत करे, कोई फर्क नहीं

कुलपति प्रो. राजाराम ने अब तक अपने कार्यकाल में विश्वविद्यालय के अन्दर शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने के लिए कोई खास प्रयास अथवा सेमिनार आदि भले ही नहीं किया हो, लेकिन सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत ठुमरी व मृदंग आदि खूब बजवाया है। इसके अलावा विश्वविद्यालय में कथावाचकों से प्रवचन कराकर विश्वविद्यालय के खजाने को आर्थिक क्षति पहुंचाने का काम जरूर किया जाता रहा है। इस बाबत जब कुलपति प्रो. राजाराम यादव से बात की गई तो उनका जवाब था कि मैं राजा भी हूं, राम भी हूं और यादव भी हूं। जो चाहूंगा करूंगा और किया भी है। जिसे जो भी शिकायत करनी है कर ले, कोई फर्क नहीं पड़ता है।

प्रवेश परीक्षा में जबर्दस्त धांधली की शिकायतें

विश्वविद्यालय में पीएचडी की प्रवेश परीक्षा में जबर्दस्त धांधली की शिकायतें हैं। छात्र लगातार आंदोलन की राह पर हैं मगर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। छात्रों ने पीएचडी संघर्ष मोर्चा के बैनर तले आन्दोलन करते हुए पिछले महीने कुलपति की शवयात्रा निकाली थी। इसके बाद छात्रों ने 3 नवम्बर 19 को गदहा चराया और फिर जूता पालिश की। छात्रों ने प्रदेश के उपमुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर शासन का ध्यान आकृष्ट किया मगर किसी ने कुलपति के खिलाफ इस मामले का संज्ञान नहीं लिया। शोधार्थी छात्र अब भी आन्दोलनरत हैं। शोधार्थी छात्रों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे छात्र दिव्य प्रकाश सिंह का कहना है कि इस हिटलरशाही के खिलाफ तब तक आन्दोलन जारी रहेगा जब तक छात्रों को न्याय नहीं मिल जाता है।

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