लखनऊ पहुंची गौरवगाथा की प्रतीक 'विजय मशाल', गर्मजोशी से हुआ स्वागत

1971 का भारत-पाक युद्ध इतिहास के उद्घोषों में हमारे देश के लिए एक निर्णायक क्षण था, जिसके परिणामस्वरूप दक्षिण एशिया में एक नए देश का निर्माण हुआ। सपूतों की वीरता और बलिदान के सम्मान में नई दिल्ली से रवाना की गई 'विजय मशाल' 15 फरवरीको लखनऊ पहुंची।

Update: 2021-02-15 16:49 GMT
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लखनऊ: 1971 का भारत-पाक युद्ध इतिहास के उद्घोषों में हमारे देश के लिए एक निर्णायक क्षण था, जिसके परिणामस्वरूप दक्षिण एशिया में एक नए देश का निर्माण हुआ। सपूतों की वीरता और बलिदान के सम्मान में नई दिल्ली से रवाना की गई 'विजय मशाल' 15 फरवरीको लखनऊ पहुंची।

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'विजय मशाल' के आगमन पर आयोजित हुए कार्यक्रम

लखनऊ कैंट में 'विजय मशाल' पहुंचने पर 1971 युद्ध के वीर जाबांजो और उनके निकटतम परिजनों की उपस्थिति में मध्य यूपी सब एरिया के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल राजीव शर्मा ने 'विजय मशाल' गर्मजोशी से स्वागत किया। 'विजय मशाल' के आगमन पर एक स्मारक दौड़ और आर्मी बैंड द्वारा प्रदर्शन सहित विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए।

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'विजय मशाल' अपनी यात्रा में लखनऊ से रवाना होने से पहले उन्नाव और फतेहगढ़ सहित मध्य उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्थानों का भ्रमण करेगी। अपने प्रवास के दौरान, 'विजय मशाल' के सम्मान में, विभिन्न स्कूलों और विश्वविद्यालयों द्वारा कई कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाएगा। इस भ्रमण के दौरान हमारे शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की जायेगी और 1971 के युद्ध के वीरता पुरस्कार विजेताओं को भी सम्मानित किया जाएगा।

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श्रीधर अग्निहोत्री

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