Independence Day 2021: दिन में करते थे संस्कृत और ज्योतिष की पढ़ाई, रात में बनाते थे स्वतंत्रता आंदोलन की रणनीति

स्वतंत्रता आंदोलन में राबर्ट्सगंज नगर सेनानियों का गढ़ बना रहा।

Published By :  Raghvendra Prasad Mishra
Update:2021-08-14 15:22 IST

क्रांतिकारी बलराम दास केशरवानी की फाइल तस्वीर (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

Independence Day 2021: स्वतंत्रता आंदोलन में राबर्ट्सगंज नगर सेनानियों का गढ़ बना रहा। राबर्ट्सगंज शहर के आजाद भारत के पहले चेयरमैन रहे बलराम दास केशरवानी का आवास जहां आंदोलन की रणनीति तय करने का केंद्र बना रहा। वहीं इनके आवास के निकट सन् 1925 में स्थापित संस्कृत महाविद्यालय में जहां छात्र दिन में संस्कृत एवं ज्योतिष विज्ञान का अध्ययन करते थे। वहीं रात्रि में इस महाविद्यालय का इस्तेमाल क्रांतिकारियों एवं देशभक्तों के छिपने, रुकने व ठहरने के रूप में किया जाता था। आंदोलनकारी, छात्रों के साथ रात में आंदोलन की रणनीति भी बनाते थे और इसकी अगुवाई बलराम दास केसरवानी द्वारा की जाती थी।

टाउन एरिया रॉबर्ट्सगंज के प्रथम चेयरमैन बद्रीनारायण के घर पांच दिसंबर, 1902 को जन्मे बलराम दास केशरवानी का मन युवावस्था तक पहुंचते-पहुंचते आजादी के लिए हिलोरें लेने लगा था। विंध्य संस्कृति शोध समिति उत्तर प्रदेश ट्रस्ट के निदेशक दीपक कुमार केशरवानी ने बताया कि सन् 1921 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने जब असहयोग आंदोलन का बिगुल बजाया तो बलराम दास भी आजादी के आंदोलन में कूद पड़े। आंदोलन से लोगों को जोड़ने के लिए गांव देहात में जाकर अलख तो जगाई ही, बरहदा गांव में गौरी शंकर में आयोजित मेले को भी स्वतंत्रता आंदोलन के प्रचार-प्रसार का माध्यम बनाया।

वर्ष 1930 के नमक सत्याग्रह, लगान बंदी आदि आंदोलन में भी उनकी सक्रिय भूमिका रही। उनका आवास लंबे समय तक देशभक्तों का ठिकाना बना रहा और गुप्त मंत्रणा, अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लेने की रणनीति बनती रही। बताते हैं कि इनके आवास के समीप स्थित संस्कृत महाविद्यालय में दिन में छात्र संस्कृत और ज्योतिष विज्ञान का अध्ययन करते थे और रात्रि में यह महाविद्यालय क्रांतिकारियों एवं देशभक्तों के छिपने, ठहरने का सुरक्षित स्थान बना हुआ था। उस समय नगर का प्रमुख शिक्षण केंद्र होने के नाते अंग्रेज अधिकारियों और पुलिस वालों को इस बात का संदेह भी नहीं हो पाता था।

रॉबर्ट्सगंज सहित दक्षिणांचल में स्वतंत्रता आंदोलन को सुदृढ़ बनाने के लिए बलराम दास के नेतृत्व में एक शिविर का भी संचालन किया जाता था। शिविर में रहने वाले स्वयंसेवक दिन में पिकेटिंग करते थे और रात्रि विश्राम शिविर में करते थे।

नमक कानून तोड़ने पर मिली थी एक साल की कैद

वर्ष 1930 में नमक सत्याग्रह कानून भंग करने के जुर्म में उन्हें एक वर्ष कारावास की सजा हुई थी। मीरजापुर के गांधी कहे जाने वाले पं. महादेव प्रसाद चौबे की गिरफ्तारी और दरोगा पुरुषोत्तम सिंह द्वारा घर-जायदाद की नीलामी से क्षुब्ध बलराम दास केसरवानी ने 18 अप्रैल, 1940 रॉबर्ट्सगंज चौराहा जेल से छूट कर आए पं. महादेव प्रसाद चौबे का क्रांतिकारी साथियों के साथ माल्यार्पण कर भारत माता की जय के नारे लगाए और गिरफ्तारी दी। सन् 1942 से 1946 तक चलने वाले आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाई और ब्रिटिश हुकूमत की प्रताड़ना के शिकार बने रहे।

इसी तरह 25 दिसंबर, 1937 को मीरजापुर का तृतीय राजनैतिक सम्मेलन राबर्टसगंज के कंपनी बाग (अब चाचा नेहरू पार्क) में आयोजित हुआ था। उसमें तब के लोकप्रिय नेता पं. जवाहरलाल नेहरू का आगमन हुआ था। राबर्ट्सगंज में उनकी यह प्रथम यात्रा थी जन सभा में आदिवासियों द्वारा प्रदर्शित लोक नृत्य ने उन्हें काफी प्रभावित किया था।

27 दिसंबर, 1937 को इस सम्मेलन का समापन हुआ। आखिरी दिन बलराम दास ने रॉबर्ट्सगंज में उच्च शिक्षण संस्थान की स्थापना का प्रस्ताव रखा, जिसे सर्वसम्मति से पास किया गया। इस सम्मेलन में बद्री प्रसाद 'आजाद" वृंदा प्रसाद, ज्वाला प्रसाद, शिव शंकर प्रसाद, गौरीशंकर, जयश्री प्रसाद, मोहनलाल गुप्ता तत्कालीन टाउन एरिया चेयरमैन बद्रीनारायण आदि ने प्रमुखता से प्रतिभाग किया था।

14 अगस्त, 1947 को रात्रि में जब आजादी की सूचना इनके आवास पर रखे रेडियो पर एकत्रित सेनानियों और क्रांतिकारियों ने सुनी तो खुशी से झूम उठे। सुबह बलराम दास के नेतृत्व में उनके आवास/कार्यालय से जुलूस निकला, जो कंपनी बाग में संचालित मिडिल स्कूल में पहुंचा। सेनानी बलराम दास ने ध्वजारोहण किया और नगर में उच्च शिक्षण संस्थान के संकल्प को फलीभूत करते हुए मिडिल स्कूल का दो कमरा किराए पर लेकर 9वीं की कक्षा का संचालन आरंभ कराया। इसी दिन अपने आवास पर एक पुस्तकालय भी स्थापित किया।

कालांतर में उस शिक्षण संस्थान का नाम बलराम दास केशरवानी शिक्षण संस्थान के नाम से पंजीकृत कराया गया, जो वर्तमान समय में राजा शारदा महेश इंटर कॉलेज के नाम से संचालित है। 1948 में बलराम दास केसरवानी को रॉबर्ट्सगंज टाउन एरिया का चेयरमैन चुना गया। 13 अप्रैल, 1967 को स्वतंत्रता का यह महान नायक अनंत यात्रा पर निकल गया।

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