Sonbhadra News: राइस मिलरों ने रोकी धान की कुटाई, किया धरना प्रदर्शन, रखीं ये हैं खास मांगें

जिलाध्यक्ष बलवंत सिंह, महामंत्री शालिग्राम, प्रमोद गुप्ता, राजेश गुप्ता, भरत, अमरेश पटेल, चंद्र प्रकाश, रत्नेश, संतोष ,राजवंश, अमित आदि का कहना था कि क्रय केंद्रों पर जो धान खरीदा जाता है उसमें रिकवरी ज्यादा मांगी जाती है।

Published By :  Divyanshu Rao
Update:2021-11-17 23:00 IST

राइस मिलर्स प्रदर्शन करते हुए

Sonbhadra News: धान कुटाई और प्रोत्साहन की राशि में बढ़ोतरी किए जाने सहित 11 सूत्री मांगों को लेकर राइस मिलों ने आंदोलन (rice mills ka andolan) की राह पकड़ ली है। बुधवार से धान कुटाई का काम बंद करते हुए जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी कार्यालय पर धरना- प्रदर्शन शुरू कर दिया। मांगों को लेकर ज्ञापन भी सौंपा। ऐलान किया कि जब तक उनकी मांगें नहीं मान ली जातीं, तब तक राइस मिलर धान कुटाई का काम नहीं शुरू करेंगे।

जिलाध्यक्ष बलवंत सिंह, महामंत्री शालिग्राम, प्रमोद गुप्ता, राजेश गुप्ता, भरत, अमरेश पटेल, चंद्र प्रकाश, रत्नेश, संतोष ,राजवंश, अमित आदि का कहना था कि क्रय केंद्रों पर जो धान खरीदा जाता है, उसमें 58 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक की चावल की रिकवरी आती है। जबकि मिलर्स से 67 प्रतिशत रिकवरी मांगी जाती है। इससे मिलरों को आर्थिक नुकसान सहना पड़ता है।

कहा कि विगत 20 वर्ष में लेबर चार्ज, बिजली बिल, डीजल की कीमत, मिल का पुर्जों के दाम कई गुना बढ़ गए हैं। बावजूद पुरानी दरें ही लागू है। स्थिति को देखते हुए मिलर्स को कुटाई एवं प्रोत्साहन राशि 250 रुपये प्रति कुंतल किया जाए। कहा कि मिलर्स को धान कूट करके 45 दिन के अन्दर चावल जमा करना होता है। उसके बाद चावल देने पर अर्थदंड के रूप में होल्डिंग चार्ज लिया जाता है। होल्डिंग चार्ज की अवधि 45 दिन से बढ़ाकर 75 दिन किए जाने की मांग उठाई।

प्रदर्शन करते राइस मिलर्स 

मिलरों का पुराना बकाया जैसे कुटाई, परिवहन, पीसीएफ का सुखन का भुगतान, परिवहन का बकाया आदि भुगतान ब्याज के साथ सरकार द्वारा किया जाने, धान और चावल का परिवहन मिलर्स द्वारा कराए जाने, अधोमानक धान को रिजेक्ट करने का अधिकार मिलर्स को दिये जाने.. आदि की भी मांग उठाई गई।

मिलरों का कहना था कि राइस मिलों के मांग पर विचार करने की बजाय उत्पीड़नात्मक कार्रवाई की धमकी दी जा रही है। इसलिए धरने पर बैठने को विवश होना पड़ा है। जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाती हैं, तब तक राइस मिलर सरकारी धान की कुटाई नहीं करेंगे।

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