Sonbhadra News: कोरोना के लिहाज से खतरनाक हैं प्रदूषण वाले इलाके, यूपी के हालात पर चिकित्सकों-वैज्ञानिकों ने जताई चिंता

प्रदेश की राजधानी लखनऊ, सांस्कृतिक राजधानी वाराणसी, पावर कैपिटल सोनभद्र और औद्योगिक महानगरी कानपुर सहित पूरे प्रदेश में हवा..

Published By :  Deepak Raj
Update: 2021-09-07 15:45 GMT

प्रदूषण विषय पर वेबिनार के माध्यम से चिंतन करते वैज्ञानिक व डाॅक्टर

Sonbhadra News: प्रदेश की राजधानी लखनऊ, सांस्कृतिक राजधानी वाराणसी, पावर कैपिटल सोनभद्र और औद्योगिक महानगरी कानपुर सहित पूरे प्रदेश में हवा में बढ़ते प्रदूषण के जहर को लेकर मंगलवार की शाम चिकित्सकों और वैज्ञानिकों के पैनल ने वेबिनार के जरिए गहरी चिंता व्यक्त की। विशेषज्ञों का स्पष्ट कहना था कि कोरोनावायरस से जहां प्रदूषण वाले इलाके बेहद खतरनाक हैं वही सांसों की कीमत को लेकर सरकार के साथ ही जनता को भी जागरूक होने की जरूरत है।

नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम की स्टेयरिंग कमेटी के मेंबर एवं आईआईटी कानपुर में सिविल इंजीनियरिंग के एचओडी प्रोफेसर एसएन त्रिपाठी ने कहा कि चाहे प्रदेश की राजधानी लखनऊ हो या फिर सूबे के आखिरी छोर पर मौजूद सोनभद्र हो, प्रदूषण को लेकर दोनों जगह की चिंता बराबर है।


 प्रदूषण विषय पर वेबिनार करते हुए 


उद्योगों के साथ ही सड़क पर बढ़ते वाहनों का दबाव प्रदूषण का एक बड़ा कारण ऊपर का बन रहा है। इसको देखते हुए प्रदूषण नियंत्रण के लिए बेहतर कार्य योजना बनानी होगी और इसमें ज्यादा से ज्यादा जनसहभागिता सुनिश्चित हो, इस पर संजीदगी से काम करना होगा।

इंडियन चेस्ट सोसायटी के प्रेसिडेंट एवं केजीएमयू में पलमोनारी मेडिसिन (pulmonary medicine) के एचओडी डॉ.सूर्यकांत ने कहा कि हवा में बढ़ता प्रदूषण सिर्फ हवा का ही सेहत नहीं बिगाड़ रहा है बल्कि वह सीधे प्रत्येक व्यक्ति के फेफड़े को नुकसान पहुंचा रहा है।

स्मोकिंग वायु प्रदूषण का एक बड़ा कारण है

उन्होंने विभिन्न उद्योगों की चिमनियों, बिजली घरों, कोयला खदानों, क्रशर प्लांटों से फैलने वाले प्रदूषण को मानव स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह तो बताया ही स्मोकिंग को भी वायु प्रदूषण का एक बड़ा कारण माना। कहा कि प्रदूषण के चलते न केवल फेफड़े प्रभावित हो रहे हैं बल्कि एलर्जी संबंधित विभिन्न रोगों के साथ ही डायबिटीज के तेजी से बढ़ते मामलों के लिए भी यह एक बड़ा कारण साबित हो रहा है। उन्होंने कोरोना की तरह, प्रदूषण से बचाव के लिए मास्क को जरूरी बताया। कहा कि इससे हवा में जो सूक्ष्म कण होते हैं उन्हें फेफड़े में प्रवेश करने से रोकने में मदद मिलेगी।


वेबिनार में पद्मश्री अवार्डी अरुणिमा सिन्हा


राष्ट्रीय स्तर की पूर्व वालीबाल खिलाड़ी, एक हादसे में दिव्यांग होने के बावजूद माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली पहली दिव्यांग भारतीय तथा पद्मश्री अवार्डी अरुणिमा सिन्हा ने कहा कि कोरोना काल ने हमें सांसो की कीमत बता दी है। इसको देखते हुए सरकार को वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए लगातार प्रयास तो करने ही होंगे। इसको लेकर जनता में जागरूकता बढ़े। इस पर भी काम करना पड़ेगा। उन्होंने कोरोना की चुनौतियों से निपटने में आई परेशानी का भी जिक्र किया, कहा कि वायु प्रदूषण के रोकथाम के निमित्त, जागरूकता के लिए वह ब्रांड एंबेसडर बनना पसंद करेंगी।


इंडियन इंस्टिट्यूट टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च लखनऊ के चीफ साइंटिस्ट डॉक्टर जी एस किस्कू ने बताया कि वायु प्रदूषण में मरकरी, शीशा, कार्बन डाई आक्साइड जैसे कई खतरनाक रासायनिक पदार्थ घुले रहते हैं जो सिर्फ फेफड़े को ही नहीं शरीर के कई हिस्सों को विभिन्न तरीके से नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने लखनऊ को लेकर हाल में की गई एक रिसर्च पर भी चर्चा की। मिस इंडिया 2020 की रनर अप मान्या सिंह ने कहा कि शहरों में धीरे-धीरे लोग जागरूक हो रहे हैं लेकिन गांव की स्थिति अभी बहुत खराब है खासकर महिलाएं इस को लेकर जागरूक नहीं है। आउटडोर के साथ ही इनडोर प्रदूषण भी लगातार स्वास्थ्य पर असर डाल रहा है। इस पर संजीदगी से ध्यान दिए जाने की जरूरत है।


इंडियन इंस्टिट्यूट टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च लखनऊ के चीफ साइंटिस्ट डॉक्टर जी एस किस्कू 


पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ सीमा जावेद ने कहा कि हमें यह सोचना ही होगा कि जिस तरह से हमने शुद्ध पानी की कीमत अदा शुरू करनी शुरू कर दी है। उसी तरह से आगे चलकर शुद्ध हवा के लिए भी कीमत अदा करनी होगी या फिर एक ऐसा वातावरण बनाए रखने की जरूरत है, जिसमें हर किसी के लिए निशुल्क शुद्ध हवा उपलब्ध हो। कार्यक्रम संयोजन कर रहे क्लाइमेट ट्रेंड्स की डायरेक्टर आरती खोसला ने वायु प्रदूषण से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की और इसके लिए लगातार प्रभावी कदम उठाते रहने की जरूरत जताई। गुंजन जैन आदि ने भी पर्यावरण के बिगड़ते स्वरूप और इसके नियंत्रण के उपायों पर प्रकाश डाला।

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