59th Kavi Sammelan: 59वां अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन, मधुरिमा के मंच पर हुआ कवियों का जमावड़ा

59th Kavi Sammelan : आरटीएस क्लब (RTS Club) में आयोजित 59वें अखिल भारतीय कवि सम्मेलन (59th All India Kavi Sammelan) का आयोजन किया गया।

Published By :  Ragini Sinha
Update:2022-01-04 16:13 IST

59th Kavi Sammelan : 59 वां अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन

59th Kavi Sammelan : मधुरिमा साहित्य ग़ोष्ठी (Madhurima Literature Seminar) की तरफ से आरटीएस क्लब (RTS Club) में आयोजित 59वें अखिल भारतीय कवि सम्मेलन (59th All India Kavi Sammelan) का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में कवियों ने गीत-गजल (Kavi Sammelan mai Geet Ghazal) और चुनिंदा शेरो-शायरी के साथ महफिल सजा दी।

कवियों ने अपने शब्द के श्रृंगार से सजती कविताओं से और देश भक्ति गीतों (Desh bhakti geet) से कौमी एकता का संदेश दिया। देश- प्रदेश के लब्ध प्रतिष्ठ कवियों, गीतकारों के मौजूदगी में हंसी-ठहाकों का भी दौर देर तक चलता रहा।


कार्यक्रम का आगाज शिखा मिश्रा के वाणी वंदना से हुआ

कार्यक्रम का आयोजन प्रख्यात कवि और गांधीवादी विचारक पं. अजय शेखर के संयोजन में हुआ। आयोजित कार्यक्रम का आगाज शिखा मिश्रा के वाणी वंदना से हुआ।


इन कवियों ने सजाई महफिल

  • लीलासी से चलकर आए लखनराम जंगली ने अपनी रचना 'सांस लेली का तनिका गोहार हो गइल', 'थाती जोगवल संजोवल तोहार हो गइल' सुनाकर सबको अपना बना लिया। 
  • बीजपुर से आये दिनेश दिनकर ने 'बिछ गया अखबार बिस्तर, पेट पापी सो गया' सुनाकर व्यवस्था पर प्रश्न खड़ा किया। तो वहीं, गाजीपुर से आए शायर अहमद आजमी ने 'दुआ मां बाप की कोई कभी खाली नहीं जाती, ये घर में हैं तो समझो घर से खुशहाली नहीं जाती, जवां होकर इन्हीं बच्चों से मां पाली नहीं जाती' सुनाकर लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया।


  •  कानपुर की शिखा मिश्रा ने महफिल में मोहब्बत के रंग बिखरते हुए 'मैं ये तुमसे नहीं कहती किसी से प्यार मत करना, अगर हो जाये तो इस बात का इजहार मत करना, जवानी है तो आएंगे हजारो तोते, किसी अनजान का तोहफा स्वीकार मत करना' सुनाकर माहौल को खुशनुमा बना दिया।
  •  फतेहपुर से आए कवि समीर शुक्ला ने अपने रचनाओं से श्रोताओं को गुदगुदाते हुए खूब हंसाया और 'मतारी के जिगर में लरिका रहत हवै' सुनाकर वाहवाही लूटी।
  •  देवरिया से आए मनमोहन मिश्र ने मधुर गीतों की प्रस्तुति से शमां बांधते हुए 'फूलों के रंग क्या हुए बोलो जवाब दो, हमने लहू दिया था लहू का हिसाब दो' सुनाकर आयोजन में चार चांद लगा दिए।
  •  वाराणसी से आए सलीम शिवालवी ने ठेठ बनारसी में अपनी रचना 'जीत हार का अलख जगईह रजा इलेक्शन में, बेसुर क सुर ताल बजईह रजा इलेक्शन में' सुनाकर राजनीति पर तंज कसा। वहीं भारतीय सेना के शौर्य का वर्णन करते हुए पाकिस्तान पर जमकर प्रहार किया।
  •  देहरादून से आए देश के जानेमाने गीतकार डा. बुद्धिनाथ मिश्र ने 'राग लाया हूं रंग लाया हूं, गीत गाती उमंग लाया हूं, मन मंदिर में आपके लिए प्यार का तरंग लाया हूं' सुनाकर इंद्रधनुषी छंटा बिखेरी।  
  • संचालन कर रहे कमलेश राजहंस ने ओज की रचना 'भारत का हिंदू मुसलमान, भारत मां का जय बोलेगा' सुनाकर कौमी एकता पर जोर दिया।
  •  अध्यक्षता कर रहे भोजपुरी के ख्यातिलब्ध गीतकार हरिराम द्विवेदी ने 'माई अस केहू नाही माई माई होले, माई अंखियन में सुख के कोहाइ होले, उ सनेहिया के शीतल जोन्हाई होले' सुनाकर कवि सम्मेलन को शिखर पर पहुंचा दिया। गीतों, कविताओं को गुन गुनाते हुए मधुरिमा अपने 60 वें आयोजन (हीरक जयंती) के सपने संजाने लगी।

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