Pregnancy Issues: विटामिन डी की कमी घटा रही गर्भावस्था का समय

Pregnancy Issues: जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर में 130 गर्भवतियों पर हुआ शोध। विटामिन डी के मामले में गर्भवतियां सबसे ज्यादा बेपरवाह।

Written By :  Snigdha Singh
Update: 2024-08-01 17:10 GMT

Research on Pregnancy Issues: गर्भावस्था के दौरान विटामिन डी की कमी मतलब बड़ा खतरा। यह गर्भावस्था की अवधि को घटा रहा है। जन्मे शिशु का वजन व अन्य शारीरिक दिक्कतें भी आ रही हैं। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के शोध में यह प्रमाणित हुआ है। खास बात यह है कि शोध में 20 से 30 वर्ष की गर्भवतियों में ग्रामीण से ज्यादा शहरी महिलाओं में विटामिन डी की कमी पाई गई।

मेडिकल कॉलेज के प्रसूति एवं स्त्री रोग की वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. नीना गुप्ता की टीम ने दो साल के दौरान 130 गर्भवतियों को शोध में शामिल किया। 117 महिलाओं में विटामिन डी सामान्य से काफी कम यानी 80 यूनिट से कम रहा। इस शोध पेपर को इंटरनेशनल जर्नल ऑफ गायनोकोलॉजी एंड ऑब्सटेट्रिक्स भेजा गया है।

आठ माह में ही कराना पड़ा सिजेरियन प्रसव

जिन गर्भवतियों में विटामिन डी कम रहा, उनका गर्भावस्था का समय भी घट गया। 54 फीसदी गर्भवतियों का प्रसव आठ से सवा आठ महीने में ही कराना पड़ा। 45 फीसदी शिशुओं में कम वजन व कमजोर हड़्डी समेत अन्य शारीरिक दिक्कतें भी मिलीं। विटामिन डी की कमी के कारण सभी का सिजेरियन प्रसव हुआ।

शहरी महिलाओं में मिली ज्यादा दिक्कत

शोध में देखा गया कि जिन का विटामिन डी कम है, वह ज्यादातर गर्भवतियां शहरी इलाकों से हैं। इनकी तुलना में ग्रामीण महिलाएं ज्यादा फिट रहीं। मुख्य कारण विटामिन डी संबंधित आहार नहीं लेना, धूप पर कम रहना है।

सुबह आठ बजे तक की धूप सबसे बेहतर 

शोधकर्ताओं का मानना है कि गर्भावस्था के दौरान सबसे ज्यादा लापरवाही विटामिन डी को लेकर बरती जा रही है। किसी को जानकारी नहीं तो कोई लापरवाही के कारण गंभीर परिणाम भुगतने पड़े। सुझाव दिया कि सुबह आठ बजे तक की धूप में रहना विटामिन डी के लिए सबसे बेहतर तरीका है। इस समय सूर्य की किरणों में सबसे ज्यादा विटामिन डी होता है और यह कमी को पूरा करने में सहायक भी है। इसके अलावा खानपान पर खास ध्यान देते हुए ताजा दूध, फलों का रस भी इस्तेमाल किया जा सकता है। डॉक्टरी सलाह पर इसे रोज व सप्ताह में एक बार लिया जा सकता है।

डॉ. नीना गुप्ता, शोधकर्ता के अनुसार 20 से 30 वर्ष की 130 गर्भवतियों पर शोध किया गया। 117 में विटामिन डी का स्तर काफी कम मिला। शहरी महिलाओं में इसकी कमी ज्यादा है। समय से पहले प्रसव, शिशु का कम वजन व अन्य शारीरिक दिक्कत भी परिणामस्वरूप सामने आईं। सबसे ज्यादा लापरवाही विटामिन डी को लेकर बरती जा रही है।

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