बर्बाद हुई फसलों का मानक तय, मुआवजे के लिए किसान हुआ परेशान
अफसरों का तर्क है प्राकृतिक आपदा में 33 फीसदी से अधिक नुकसान पर ही मुआवजा मिलेगा। यहां 22 फीसदी के करीब ही नुकसान होने की बात कही जा रही है। ऐसे में किसान असमंजस में हैं।
कन्नौज: मौसम की मार से किसानों की काफी फसलें बर्बाद हो गई हैं। जिसके कारण उत्पादन पर भी खासा असर पड़ेगा। किसानों का कहना है कि उन्हें नुकसान का मुआवजा नहीं मिल रहा है। अफसरों का तर्क है प्राकृतिक आपदा में 33 फीसदी से अधिक नुकसान पर ही मुआवजा मिलेगा। यहां 22 फीसदी के करीब ही नुकसान होने की बात कही जा रही है। ऐसे में किसान असमंजस में हैं। फसल बर्बाद होने पर भी नुकसान नहीं मानने वाली बात उनके गले नहीं उतर रही है।
22 फीसदी तक ही नुकसान की बात कही जा रही है
गौरतलब है कि फरवरी व मार्च में बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं की फसल को तगड़ा नुकसान हुआ है। नुकसान की जानकारी जुटाने के लिए राजस्व विभाग व कृषि विभाग की ओर से कई टीमों को लगाया गया है। बताया गया है कि राजस्व विभाग की ओर से लेखपाल सर्वे में जुटे हैं। अब तक सिर्फ 22 फीसदी तक ही नुकसान की बात कही जा रही है। उसी की रिपोर्ट बनाकर भेजी जा रही है। इतना ही नुकसान का रकवा भी करीब 50 हेक्टेयर बताया गया है, जबकि सैकड़ों हेक्टेयर जमीन पर गेहूं समेत अन्य फसलें उगाई जाती हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि फसल नुकसान का आंकलन कर किसानों को आर्थिक सहायता दी जाए, लेकिन जिस हिसाब से सर्वे चल रहा है, उससे नहीं लगता है कि किसानों के जख्मों पर मुआवजे का मरहम लग पाएगा।
33 फीसदी से ज्यादा नुकसान पर ही मुआवजा
जिला कृषि अधिकारी राममिलन सिंह परिहार ने बताया कि 33 फीसदी से ज्यादा नुकसान पर सहायता मिलेगा। शासन से सूची भेजने की बात कही गई है। लेखपाल व तकनीकी सहायक सर्वे में लगे हैं। छिबरामऊ से नुकसान की रिपोर्ट नहीं आई है। कन्नौज व तिर्वा में गेहंू के नुकसान की बात सामने आई है। बीमा कवर पर 50 फीसदी नुकसान पर लाभ मिलेगा। दोनों का मानक अधिक है। राजस्व विभाग की ओर से रिपोर्ट आ गई है।
डीएम बोले नुकसान की नहीं मिली रिपोर्ट
डीएम राकेश मिश्र ने बताया कि बारिश व ओला से फसलों को नुकसान तो हुआ है, लेकिन मुआवजा 33 फीसदी नुकसान से अधिक पर ही मिलेगा। जिले में ऐसी रिपोर्ट नहीं मिली है, जिसमें इतना नुकसान होने की बात सामने आई हो।
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