आखिर कब मिलेगा यूपी को नियमित मुख्य सचिव?
इस बारे में जब सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी सुभाष त्रिवेदी से बात की तो उन्होंने कहा कि मेरी जानकारी में इसके पहले कभी ऐसा नहीं हुआ कि कोई अस्थाई तौर पर तीन महीने से अधिक समय तक किसी को मुख्य सचिव की जिम्मेदारी दी गयी हो।
श्रीधर अग्निहोत्री
लखनऊ: देश के सबसे बडे़ सूबे उत्तर प्रदेश को एक नियमित मुख्य सचिव की तलाश है पर अब तक एक नियमित मुख्य सचिव नहीं मिल सका है। तीन महीने से अधिक का समय हो चुका है पर अब तक कृषि उत्पादन आयुक्त एवं अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा राजेन्द्र कुमार तिवारी ही अस्थाई तौर पर मुख्य सचिव की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
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प्रदेश की योगी सरकार में अनूप चन्द्र पाण्डेय जब 31 अगस्त को सेवानिवृत्त हुए तो उनके स्थान पर 1985 बैच के आईएएस अधिकारी राजेंद्र कुमार तिवारी ने उत्तर प्रदेश के कार्यवाहक मुख्य सचिव का कार्यभार संभाला है। इसके पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 1984 बैच के आईएएस अधिकारी अनूप चंद्र पांडेय को पिछले साल 30 जून को प्रदेश का मुख्य सचिव बनाया था। और उन्हें इस साल जब फरवरी में सेवानिवृत्त होना था, तो लोकसभा चुनाव को देखते हुए सरकार ने उन्हें छह महीने का सेवा विस्तार दे दिया था। इसके बाद जब अनूप चंन्द्र पाण्डेय का 31 अगस्त को कार्यकाल पूरा हो गया तो राजेन्द्र कुमार तिवारी को अस्थाई तौर पर यह जिम्मेदारी सौंप दी गयी।
अब तक इस पर फैसला नहीं हो सका है
तब से तीन महीने से अधिक का समय व्यतीत हो चुका हैं पर कई नामों की चर्चा के बाद भी अब तक इस पर फैसला नहीं हो सका है। 1986 बैच के आईएएस अधिकारी आलोक टंडन को पहले केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया। पर बाद में उन्हे एक वर्ष के लिए यूपी सरकार ने रोक लिया जिसके बाद उनके मुख्य सचिव बनने की संभावनाएं बढ़ गयी है। जबकि इस रेस में और भी कई अधिकारियों के नाम शामिल हैं।
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अन्य सीनियर अधिकारियों में 1983 बैच के आईएएस अधिकारी राजीव कुमार का नाम पूर्व में चर्चा में था लेकिन नोएडा में प्लॉट आवंटन घोटाले में जेल जा चुके सीनियर आईएएस अफसर राजीव कुमार द्वितीय को योगी सरकार ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का फैसला किया है। राज्य सरकार ने राजीव कुमार द्वितीय को नोटिस जारी किया है। राजीव कुमार द्वितीय उत्तर प्रदेश कैडर के 1983 बैच के अफसर रहे हैं। वह नोएडा में प्लॉट आवंटन घोटाला मामले में सीबीआई कोर्ट में सरेंडर कर दिया था। इसलिए अब उनका नाम इस दौड से पूरी तरह से हट गया है। जहां तक राहुल भटनागर की बात है। भटनागर पूर्व में अखिलेश यादव सरकार में यूपी में मुख्य सचिव रह चुके हैं। इसलिए उनको अब दोबारा यूपी का मुख्य सचिव नही बनाया जाएगा।
1984 बैच के दुर्गा शंकर मिश्र का नाम सबसे ऊपर आता है
अगर किसी आईएएस अधिकारी को सुपरसीड करके मुख्य सचिव बनाया जाता है तो 1984 बैच के दुर्गा शंकर मिश्र का नाम सबसे ऊपर आता है। इस समय वह केन्द्र में आवास एवं शहरी मामलों मंत्रालय में सचिव के पद पर तैनात है। इसी बैच के संजय अग्रवाल भी केन्द्र में कृषि मंत्रालय में सचिव पद पर कार्यरत है। मुख्य सचिव की रेस में उनका नाम बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
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इस बारे में जब सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी सुभाष त्रिवेदी से बात की तो उन्होंने कहा कि मेरी जानकारी में इसके पहले कभी ऐसा नहीं हुआ कि कोई अस्थाई तौर पर तीन महीने से अधिक समय तक किसी को मुख्य सचिव की जिम्मेदारी दी गयी हो। जब उनसे पूछा गया कि इसके पीछे क्या कारण हो सकते हैं तो उन्होंने इस पर कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया।