IPS Amitabh Yash: कौन हैं IPS अमिताभ यश, जिसने माफिया अतीक समेत यूपी के गुंडों की मिटा कर रख दी हस्ती

IPS Amitabh Yash: एनकाउंटर स्पेशलिस्ट अमिताभ यश और उनकी टीम को बड़ी कामयाबी मिली है। उमेश पाल हत्याकांड के 50 दिनों बाद अपराधी को मार गिराया। एक बार एसटीएफ ने लोगों का भरोसा जीत लिया है।

Update:2023-04-13 20:00 IST
IPS Amitabh Yash

IPS Amitabh Yash: उत्तर प्रदेश में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट कहे जाने वाले अमिताभ यश से बड़ा से बड़ा माफिया खौफ खाता है। अमिताभ यश के हाथ एक और सफलता गुरुवार को हाथ लगी है। प्रयागराज में 24 फरवरी को हुए उमेशपाल हत्याकांड में शामिल माफिया अतीक अहमद के बेटे असद और शूटर गुलाम को मार गिराया है। अमिताभ यश के पहुंचने से ही माफियाओं को डर लगने लगता है। उमेशपाल हत्याकांड की जिम्मेदारी अमिताभ यश को मिलते ही अतीक का डर साफ नजर आने लगा था।

ददुआ और विकास दुबे का खत्म कर दिया साम्राज्य

अमिताभ यश को मायावती सरकार में मई 2007 में एसएसपी एसटीएफ बनाया गया था। यूपी में सबसे पहले अमिताभ यश ने ददुआ के खिलाफ बुंदेलखंड के जंगलों में अभियान छेड़ा था। अमिताभ यश महीनों अपनी टीम के साथ जंगलों में कैंप करते रहे और जिसका नतीजा था यूपी एसटीएफ ने ददुआ जैसे दुर्दांत डकैतों को मार गिराया था। हालांकि ददुआ को मारकर जा रही टीम पर ठोकिया ने हमला कर दिया था। इससे एसटीएफ के जवान अगले ही दिन से ऑपरेशन ठोकिया शुरू हुआ और ठोकिया को भी अमिताभ यश की टीम ने खात्मा कर दिया। इसके बाद विकास दुबे कांड की कमान अमिताभ यश को मिली थी। उसके बाद से ये कांड गाड़ी पलटने के नाम से मशहूर हो गया है। अमिताभ यश द्वारा और उनके निर्देशन में अब तक 150 से ज्यादा एनकाउंटर कर चुके हैं।

पिता भी थे आईपीएस

अमिताभ यथ बिहार में भोजपुर जिले से हैं। इनके पिता राम सिंह यश भी आईपीएस रहे। वे बिहार कैडर में आईपीएस अफसर रहे। अमिताभ यश को आईपीएस बनने की प्रेरणा उनके पिता से ही मिली। उन्होंने बचपन से ही कानून, अपराध और अपराधियों को बहुत नजदीकियों से जाना है। दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से पढ़ाई पूरी करने के बाद जब अमिताभ यश ने यूपीएससी की परीक्षा पास की। अमिताभ यश का बतौर कप्तान पहला जिला संतकबीरनगर रहा। संत कबीर नगर में लगभग 11 महीने एसपी रहे। इसके बाद बाराबंकी महाराजगंज, हरदोई, जालौन, सहारनपुर, सीतापुर, बुलंदशहर, नोएडा से लेकर कानपुर जैसे बड़े महानगर में अमिताभ यश बतौर एसपी और एसएसपी तैनात रहे। इसके बाद एसटीएफ की बागडोर इनके हाथों में सौंप दी गई।

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