......आखिर इन मौतों का जिम्मेदार कौन ?

प्रदेश के दो जिलो में जहरीली शराब से हुई 100 से अधिक हुई मौतों के बाद भले ही राज्य सरकार ने एसआईटी का गठन कर 10 दिनों के अन्दर जांच रिपोर्ट देने की बात कहकर माहौल को शांत करने की कोशिश की हो लेकिन यह सवाल पहले की तरह भविष्य मेें भी उठते रहेगें कि आखिर हर बार गरीबों की जहरीली शराब से मौते क्यों होती है ? और सरकारें इन मौतों को रोकने के लिए कोई स्थाई इलाज क्यों नहीं करती ?

Update:2019-02-13 10:28 IST
प्रतीकात्मक फोटो

श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: प्रदेश के दो जिलो में जहरीली शराब से हुई 100 से अधिक हुई मौतों के बाद भले ही राज्य सरकार ने एसआईटी का गठन कर 10 दिनों के अन्दर जांच रिपोर्ट देने की बात कहकर माहौल को शांत करने की कोशिश की हो लेकिन यह सवाल पहले की तरह भविष्य मेें भी उठते रहेगें कि आखिर हर बार गरीबों की जहरीली शराब से मौते क्यों होती है ? और सरकारें इन मौतों को रोकने के लिए कोई स्थाई इलाज क्यों नहीं करती ?

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नकली शराब का गोरखधंधा कई सालों से बददस्तूर जारी है

उत्तर प्रदेश के दो जिलों सहारनपुर और कुशीनगर नगर में हुई दर्जनों मौतों के लिए आखिर दोषी किसे कहा जाए? इसे राज्य सरकार की विफल नीति कहा जाए अथवा कुछ पैसों का लालच, जो शराब माफियाओं को पीडित गरीब परिवारों के भावनाओं से ऊपर हैं। सरकार को इन मौतों के पीछे कारण ढूढंना हो होगा। क्योंकि नकली शराब का गोरखधंधा कई सालों से बददस्तूर जारी है। स्थानीय पुलिस और प्रशासन की मिलीभगत से आज भी राजधानी लखनऊ के मोहनलाल गंज और बनी क्षेत्र में दर्जनों स्थानों पर नकली शराब बनाने का काम होता है।

पड़ोसी राज्यों उत्तराखण्ड बिहार तथा हरियाणा से भी खूब शराब आती है

जहां एक तरफ प्रदेश के कई स्थानों पर अवैध शराब का निर्माण होता है। वहीं पड़ोसी राज्यों उत्तराखण्ड बिहार तथा हरियाणा से भी खूब शराब आती है। पड़ोसी राज्य बिहार में शराबबंदी के कारण गोपालगंज, बक्सर तथा भोजपुर आदि जिलों से लाखो लीटर शराब आती है। जो देवरिया कुशी नगर, बलिया, महराजगंज होते हुए प्रदेष के अन्य जिलों में पहुंचाई जाती है। इस घटना में भी सहारनपुर में पकडे गए पकडे गए आरोपियों ने बताया कि 200 लीटर लाल पदार्थ (केमिकल) उपलब्ध हुआ था जिसमें 50 लीटर पानी और 50 लीटर लाल पदार्थ मिलाया गया था।

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एक अनुमान के अनुसार राजधानी लखनऊ में ही हर साल 20 से 25 हजार लीटर अवैध शराब बरामद की जाती है। आबकारी विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि हर साल लखनऊ में दो करोड लीटर देसी शराब की बिक्री की जाती है। जबकि 24 लाख लीटर अंग्रेजी शराब की बिक्री होती है। इसके बाद भी अवैध रूप से निर्मित देसी शराब की शौकीनों की संख्या में कोई कमी नहीं होती है।

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कम पैसे से शराब लेकर अपना शौक पूरा करते हैं

आबकारी विभाग से जुड़े लोगों का कहना है कि प्रदेश में लगभग 28 हजार शराब के ठेके होने के बाद भी अधिकतर गरीब लोग गुड, महुवा और चावल तथा खमीर और यूरिया आदि से बनी शराब कम पैसे से लेकर अपना शौक पूरा करते हैं। ऐसी शराब 20 से 25 रुपए प्रति बोतल मिल जाती है। जबकि लाइसेंसी दुकान से यही देसी शराब की बोतल 350 रुपए के आसपास मिलती है। खास बात यह है कि इस शराब में नशा भी ज्यादा तेज होता है। इसलिए गरीब व्यक्ति इसी को ज्यादा तरजीह देते हैं।

अधिक नशीली बनाने के लिए इसमें ऑक्सिटोसिन मिला दिया जाता है

जहां एक तरफ पैसे की बचत होती हैं, वहीं नशा भी तेज होता है। जानकारों का तो यहां तक कहना है कि शराब को अधिक नशीली बनाने के लिए इसमें ऑक्सिटोसिन मिला दिया जाता है। जो मौत का कारण बनती है। कहा जाता है कि ऑक्सिटोसिन से नपुंसकता और नर्वस सिस्टम से जुड़ी कई तरह की भयंकर बीमारियां हो सकती हैं। विडम्बनापूर्ण बात तो यह है कि स्थानीय प्रषासन जानते हुए बस उस घडी का इंतजार कर रहा है कि जब फिर से सहारनपुर औरकुशीनगर की तरह कोई बड़ी घटना हो। जहां तक प्रदेश के अन्य जिलों की बात है तो प्रदेश के दूसरे जिलों में भी आए दिन इस तरह की जानकारियां मिलती रहती है।

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जहरीली शराब से हुयी मौत

राज्य सरकार का दावा है कि पिछले साल 2018 में अवैध शराब के मामले में 54963 मामले दर्ज किए गए और 59084 आरोपियों को गिरफतार किया गया। 1985055 लीटर अंग्रेजी शराब, 2910473 लीटर देसी शराब तथा 1285503 लीटर लहन जब्त की गयी। जबकि 5068 देसी शराब की भट्ठियां तोड़ी गयी। उसके बाजजूद पिछले कुछ सालों से जहरीली शराब से जुडी घटनाओं पर गौर किया जाए तो पता चलता है कि वाराणसी में 11 मौत (वर्ष 2011),आजमगढ़ में 47 मौत (वर्ष 2013),लखनऊ व उन्नाव में 42 मौत (वर्ष 2015),एटा में 24 मौत (वर्ष 2016), आजमगढ में 25 मौत(वर्ष 2017),बाराबंकी में 9 मौत (जनवरी वर्ष 2018 माह), कानपुर (सचंडी) में 7 मौत (मई 2018) के अगले दिन ही कानपुर देहात (रूरा) में 9 गरीबों की मौत हो गयी थी। परन्तु इसके बाद भी स्थितियों में कोई भी बदलाव नहीं आ सका और आज भी अधिकतर जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में यह धंधा खूब फल-फूल रहा है।

 

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107 पुराने आबकारी अधिनियम में बदलाव

सरकारों के लाख प्रयासों के बावजूद भी समाज के इस भयंकर कलंक पर पूरी तरह से रोक लगना तो दूर थोड़ा भी बदलाव नहीं आ पा रहा है। जबकि नई सरकार ने अपने गठन के छह महीने बाद ही 107 पुराने आबकारी अधिनियम में बदलाव कर इसे सख्त बनाने की कोशिश की। इसमें एक नई धारा जोडते हुए अवैध शराब से मौत होने या स्थाई अपगंता होने पर आजीवन कारावास या 10 लाख रुपए का जुर्माना या दोनो या मृत्यु दंड का प्रावधान किया गया। वहीं अधिकारियों के अधिकार बढ़ाए गए तथा संलिप्तता पाए जाने पर बर्खास्तगी तक का प्रावधान रखा गया है।

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इस घटना के बाद कुशीनगर के तमकुहीराज के सीओ और सहारनपुर में देवबंद के सीओ को सस्पेंड कर दिया गया। इसके अलावा सहारनपुर के जिला आबकारी अधिकारी अजय सिंह, आबकारी निरीक्षक गिरीश चंद्र व आरक्षी नीरज कुमार और अरविंद कुमार को निलंबित किया गया है। इसी तरह कुशीनगर में जिला आबकारी अधिकारी योगेंद्र नाथ रामू सिंह यादव, आबकारी निरीक्षक हृदय नारायण पांडेय, मुख्य आरक्षी प्रह्लाद सिंह और राजेश कुमार तिवारी, व आरक्षी ब्रह्मानंद श्रीवास्तव व रवींद्र कुमार को निलंबित कर 25 लोगों पर कार्रवाई की गयी। जबकि 297 केस दर्ज किए गए तथा 181 लोगों को जेल भेजा गया।

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सत्ता पक्ष और विपक्ष में आरोप प्रत्यारोपों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा

जहां तक इस मामले में राजनीति का सवाल है तो सत्ता पक्ष और विपक्ष में आरोप प्रत्यारोपों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तो विधानसभा में सीधे तौर पर इन घटनाओं के लिए समाजवादी पार्टी को दोषी बताया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कुशीनगर, सहारपुर, और हरिद्वार में जहरीली शराब से हुई 100 से अधिक लोगों की मौत पर कहा, इसके पीछे सपा का षड्यंत्र है। हम इस घटना की तह तक जाएंगे।

सरकार षड्यंत्रकारियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करने जा रही है। प्रदेश में अवैध शराब से पहले भी मौत की घटनाओं में सपा के लोग शामिल रहे हैं। 7 जुलाई 2017 को आजमगढ़ में पहली घटना के अभियुक्त मुलायम यादव और गणिका यादव सपा से जुड़े हुए हैं। अवैध शराब के कारोबार में उनकी संलिप्तता पाई गई थी। हरदोई की घटना में पूर्व ब्लॉक प्रमुख व मौजूदा ब्लॉक प्रमुख के पति का नाम आया, जो सपा से जुड़े हुए हैं। कानपुर की घटना में सपा नेता का जुड़ाव सभी को मालूम है।

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जबकि दूसरी तरफ जहरीली शराब पीने की घटना के बाद से ही यूपी सरकार विरोधियों के निशाने पर है। पहले प्रियंका गांधी ने राज्य सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाया तो वहीं अब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस पूरे मामले में योगी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं सरकार की मिलीभगत की वजह से हो रही हैं। ‘‘विपक्ष ऐसी गतिविधियों की जानकारी लगातार दे रहा था, लेकिन सरकार ने कुछ नहीं किया क्योंकि वो भी इसमें शामिल थे. सच्चाई तो ये है कि ऐसे धंधे सरकार की मिलीभगत के बिना नहीं फलते-फूलते. इस सरकार को ये मान लेना चाहिए कि उनसे राज्य नहीं चलाया जा रहा। ’’

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उधर राज्य सरकार ने फिर से उत्तर प्रदेश आबकारी विभाग द्वारा शराब की दुकानों के वर्ष 2019-20 के लिए व्यवस्थापन (मैनेजमेंट) की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस वर्ष देशी शराब के कोटे को 6 प्रतिशत अधिक देसी मदिरा उठाने वाले बियर के उपभोग में 30 प्रतिशत की वृद्धि एवं विदेशी मदिरा के राजस्व में 40 प्रतिशत की वृद्धि करने वाले फुटकर अनुज्ञापियों की दुकानों का नवीनीकरण किये जाने की सुविधा प्रदान की गई है।

राज्य सरकार की नई उदार नीति के अनुसार वर्ष 2020-21 में नवीनीकरण की शर्तों में अत्यधिक शिथिलता प्रदान की गई है। नवीनीकरण के लिए शुरू में 50 प्रतिशत लाइसेंस फीस ही जमा करनी है. शेष लाइसेंस फीस 28 फरवरी तक जमा करनी होगी। नवीनीकरण कराने के इच्छुक आवेदकों को नया हैसियत प्रमाण-पत्र बनवाने की जरूरत नहीं है। इसी के साथ दुकानों को खुले रखने का समय भी दो घंटे बढ़ाया गया है.

पिछले साल कानपुर में हुए जहरीली शराब कांड में हुई मौतों के मामले में हाईकोर्ट ने कानपुर के आबकारी निरीक्षकों के तबादले रद्द करने सम्बन्धी आदेश पर पुनर्विचार करने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने नौ आबकारी निरीक्षकों की याचिका पर पारित आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दिया। कोर्ट ने स्थानांतरण आदेश को दंडात्मक मानते हुए इसे रद्द कर दिया।

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