Lucknow News: यूपी का अगला स्थायी डीजीपी कौन? प्रशांत ही रहेंगे या कोई और...

Lucknow News: नए डीजीपी को लेकर जहां कई सवाल खड़े हो रहे हैं तो एक सवाल यह भी है की 30 नवंबर की तारीख आखिर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है? दरअसल जानकारी के अनुसार स्थाई डीजीपी के लिए जिस प्रस्ताव को हरी झंडी दिखाई गई है उसमें डीजीपी की नियुक्ति के लिए कम से कम 6 महीने का कार्यकाल बाकी होना चाहिए।

Update:2024-11-28 17:11 IST

Lucknow News ( Pic-  Social- Media)

Lucknow News: उत्तर प्रदेश में पिछले ढाई साल से स्थाई डीजीपी को लेकर कई सवाल खड़े किए जा रहे हैं। यहां तक की उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा स्थाई डीजीपी के लिए नियमावली तैयार करने के बाद भी यह अभी तक प्रक्रिया में नहीं आई है। जबकि इस नियमावली को कैबिनेट में पास भी कर दिया गया है लेकिन अभी तक ना ही कमेटी का गठन हुआ है ना ही नियमावली सार्वजनिक हुई है।

30 नवंबर की तारीख महत्वपूर्ण

नए डीजीपी को लेकर जहां कई सवाल खड़े हो रहे हैं तो एक सवाल यह भी है की 30 नवंबर की तारीख आखिर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है? दरअसल जानकारी के अनुसार स्थाई डीजीपी के लिए जिस प्रस्ताव को हरी झंडी दिखाई गई है उसमें डीजीपी की नियुक्ति के लिए कम से कम 6 महीने का कार्यकाल बाकी होना चाहिए। अब मौजूदा कार्यवाहक डीजीपी प्रशांत कुमार 31 में 2025 को रिटायर हो रहे हैं यदि 30 नवंबर तक उनकी नियुक्ति स्थाई डीजीपी पद पर नहीं हुई तो फिर नियम के अनुसार उनका स्थाई डीजीपी भी बनना मुश्किल होगा। यानी 30 नवंबर से पहले कमेटी का गठन होना और बैठक होना अनिवार्य है।

क्या केंद्र सरकार पक्ष में नहीं है?

केंद्र और राज्य सरकार के बीच मतभेद की कई खबरें आई कई दावे भी किए गए अब वो दावे कितना सच थे और कितना झूठ यह जांच का विषय है। सूत्रों की मां ने तो स्थाई डीजीपी की नियुक्ति के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नियमावली बनाना केंद्र सरकार को रास नहीं आ रहा। कहां जा रहा है कि यदि ऐसे ही राज्य को डीजीपी बनाने का अधिकार मिल जाएगा तो अन्य राज्य भी ऐसा ही करने लगेंगे और अफसर केंद्र की अनदेखी करना शुरू कर देंगे।

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था मामला

उत्तर प्रदेश में मुकुल गोयल को हटाए जाने के बाद से पिछले ढ़ाई साल से इस पद पर कार्यवाहक डीजीपी ही तैनात किए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि मुकुल गोयल को बिना किसी ठोस आधार के हटाया गया इसपर संघ लोकसेवा आयोग ने सवाल उठाए थे। उसके बाद से योगी सरकार ने आयोग को डीजीपी की स्थायी नियुक्ति के लिए कोई प्रस्ताव नहीं भेजा।

जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो सुप्रीम कोर्ट ने उन सभी सात राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया जहां कार्यवाहक डीजीपी की तैनाती थी। उत्तर प्रदेश सरकार ने अदालत में जवाब देने से पहले ही अपनी नई नियमावली बना ली और कैबिनेट में पास भी ही गया।

कौन कौन होंगे कमेटी के सदस्य?

सूत्रों के अनुसार स्थाई डीजीपी के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित की जाने वाली कमेटी में प्रमुख रूप से हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज के अलावा प्रदेश के मुख्य सचिव, यूपीएससी के नामित प्रतिनिधि, यूपी लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या नामित प्रतिनिधि, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव और राज्य के रिटायर्ड डीजीपी शामिल होंगे। डीजीपी का न्यूनतम कार्यकाल 2 वर्ष का होगा।

क्या होगी स्थाई डीजीपी की नियुक्ति या बने रहेंगे प्रशांत कुमार?

जानकारों की माने तो सुप्रीम कोर्ट में अवमानना की सुनवाई 7 दिसंबर को होने वाली है संभावना है कि उस समय सरकार अपना जवाब दाखिल करे और बताए कि उसने नई नियमावली बनाई है। यदि कोर्ट इस नियमावली को स्वीकार करती है तो स्थायी डीजीपी की नियुक्ति होने तक प्रक्रिया लंबी खिच सकती है और प्रशांत कुमार के रिटायरमेंट के बाद नए डीजीपी की नियुक्ति को लेकर नई नियमावली के अनुसार प्रक्रिया पूरी की जा सकती है।

कौन हो सकता है उत्तर प्रदेश का नया डीजीपी?

नियम के अनुसार 30 नवंबर के बाद प्रशांत कुमार के अलावा 1989 बैच के आईपीएस आदित्य मिश्रा और पीवी रामाशास्त्री स्थाई डीजीपी की रेस से बाहर हो जाएंगे। इसके बाद यदि बात वरिष्ठतम अफसरों की करें तो इसमें रेणुका मिश्रा, आशीष गुप्ता, संदीप साळुंके, बीके मौर्य, तिलोत्मा वर्मा, राजीव कृष्णा, अभय कुमार प्रसाद और पीसी मीणा रहेंगे जो नए डीजीपी के रेस में शामिल हो सकते हैं।

इसके अतिरिक्त केंद्र में मौजूद अफसर भी हैं जिसमें आलोक शर्मा, दलजीत चौधरी, पीयूष आनंद का नाम भी शामिल रहेगा।

सूत्रों की माने तो राजीव कृष्णा के अलावा एक भी नाम ऐसा नहीं है जो मुख्यमंत्री का सबसे भरोसेमंद हो।

दो राज्यों में स्थाई डीजीपी की नियुक्ति से बढ़ा दबाव

उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में स्थायी डीजीपी की नियुक्ति हो चुकी है। उत्तराखंड में दीपम सेठ को डीजीपी बनाया गया है जिसे केंद्र सरकार से वापस बुलाया गया तो वहीं मध्य प्रदेश में कैलाश मकवाना नए डीजीपी बने हैं। इन दोनों की तैनाती संघ लोकसेवा आयोग के तहत और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार की गई है। ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार पर भी दबाव बढ़ गया है।

यूपी में पहले कैसे होती थी डीजीपी की नियुक्ति?

पहले यूपी डीजीपी की नियुक्ति संघलोक सेवा आयोग पर निर्भर होता था. उन अधिकारियों की सूची तैयार की जाती थी जिन्होंने पुलिस सेवा में 30 साल की सेवा दी है और कार्यकाल का 6 महीने बाकी है. यूपी सरकार आयोग को तीन नामों का पैनल भेजती थी. जिनमें से एक को डीजीपी बनाया जाता था

Tags:    

Similar News