नोटबंदी का असर: पैसों की आस में टूट गई सांस, चंदे से हुआ अंतिम संस्कार

एक महिला को अपनी विधवा बहू के इलाज के लिए पैसों की जरूरत थी। वह अपने खाते से पैसे निकालने के लिए इलाहाबाद बैंक, कैसरगंज का चार दिन से चक्कर लगा रही थी लेकिन उसे हर बार निराशा हाथ लगी। शुक्रवार दोपहर में जब वह बैंक में कैश न होने की बात पर बैरंग घर लौट रही थी तभी रास्ते में ही उसकी मौत हो गई।;

Update:2016-11-26 03:06 IST

मौत पर शोकाकुल ग्रामीण और परिजन

बहराइच: एक महिला को अपनी विधवा बहू के इलाज के लिए पैसों की जरूरत थी। वह अपने खाते से पैसे निकालने के लिए इलाहाबाद बैंक, कैसरगंज का चार दिन से चक्कर लगा रही थी लेकिन उसे हर बार निराशा हाथ लगी। शुक्रवार दोपहर में जब वह बैंक में कैश न होने की बात पर बैरंग घर लौट रही थी तभी रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। इसके बाद घर में कोहराम मच गया। ग्रामीणों द्वारा चंदा इकट्ठा कर महिला का अंतिम संस्कार कराया गया।

क्या है मामला?

-कैसरगंज थाना अंतर्गत चिलवा संग्रामपुर निवासी 55 वर्षीय बिटाना विधवा पेंशन धारक है।

-बिटाना की बहू शांती को चार दिन पहले बच्चा हुआ है।

-प्रसव के बाद से बहू की तबियत खराब चल रही है। इलाज के लिए पैसों की जरूरत थी।

-इसके चलते बिटाना कैसरगंज के इलाहाबाद बैंक में अपने खाते में जमा कुछ रुपए को निकालने की जुगत में थी।

-वह चार दिन से बैंक के चक्कर काट रही थी।

-कभी लाइन में खड़े होने पर बारी आने पर पैसा खत्म हो जाता तो कभी बैंक में कैश न होने की बात पर उसे बैरंग लौटना पड़ता।

-शुक्रवार सुबह बिटाना फिर बैंक पहुंची, लेकिन उसे कैश न होने की बात बताई गई।

-दोपहर तक इंतजार करने के बाद जब वह घर लौटने लगी तो बैंक से कुछ दूरी पर रास्ते में चक्कर खाकर गिर गई।

-जिसके बाद उसकी मौत हो गई। जब इसकी जानकारी घर पहुंची तो कोहराम मच गया।

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अंतिम संस्कार के लिए भी नहीं था पैसा

-बिटाना के अंतिम संस्कार के लिए घर में पैसा नहीं था।

-बहू शांति और मृतका के छोटे बेटे देशराज ने मां के अंतिम संस्कार के लिए पैसा न होने की बात प्रधान प्रतिनिधि से बताई।

-इस पर प्रधान प्रतिनिधि ने ग्रामीणों से चंदा इकठ्ठा कर अंतिम संस्कार का इंतजाम करवाया।

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घर में है सिर्फ विधवा बहू और छोटा बेटा

-मृतका बिटाना के पति की पहले हे मौत हो चुकी है।

-घर में बड़े बेटे की बहू शांति और छोटा बेटा देशराज है।

-बड़े बेटे रामप्रकाश की चार महीने पहले ही मौत हो चुकी है।

-तब से परिवार काफी अभावग्रस्त था।

-इसी बीच चार दिन पहले बहु शांति ने एक बेटे को जन्म दिया।

क्या कहना है बैंक का ?

-इलाहाबाद ग्रामीण बैंक कैसरगंज के ऑफिसर आशीष का कहना है कि यह बहुत ही दुखद घटना है।

-जो आरोप लगाएं जा रहे है वो गलत हैं

-यहां पर जो लोग आते है उनकी सहायता जरूर की जा रही है।

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