शैक्षिक न्यायाधिकरण लखनऊ के गठन के विरोध में हाईकोर्ट में ठप रहा कार्य

हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के आह्वान पर बार एसोसिएशन के पुस्तकालय हाल में हुई आपात बैठक के बाद अध्यक्ष राकेश पाण्डेय के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर से मिलकर प्रशासनिक अधिकारियों के राजधानी मोह सहित अन्य वैधानिक पहलुओं पर चर्चा की और वस्तुस्थिति से अवगत कराया।

Update:2019-08-09 21:22 IST

प्रयागराज: शैक्षिक न्यायाधिकरण की पीठ प्रयागराज के बजाए लखनऊ में स्थापित करने के सरकारी प्रस्ताव के विरोध में आज उच्च न्यायालय के अधिवक्ता न्यायिक कार्य से विरत रहे। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के आह्वान पर तमाम अधिवक्ता संगठनों ने बार के समर्थन में न्यायिक कार्य न कर विरोध दर्ज कराया।

हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के आह्वान पर बार एसोसिएशन के पुस्तकालय हाल में हुई आपात बैठक के बाद अध्यक्ष राकेश पाण्डेय के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर से मिलकर प्रशासनिक अधिकारियों के राजधानी मोह सहित अन्य वैधानिक पहलुओं पर चर्चा की और वस्तुस्थिति से अवगत कराया। बैठक की अध्यक्षता अध्यक्ष राकेश पांडेय एवं संचालन महासचिव जे बी सिंह ने किया।

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10 अगस्त को एक प्रतिनिधिमंडल उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा से मिलकर ज्ञापन सौंपेगा

बैठक में मुख्य न्यायाधीश, मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्रियों को ज्ञापन भेजने का निर्णय लिया गया। 10 अगस्त को एक प्रतिनिधिमंडल उप मुख्यमंत्री, उच्च शिक्षा मंत्री एवं उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा से मिलकर ज्ञापन सौंपेगा। मुख्य न्यायाधीश से मिलने गए प्रतिनिधिमंडल में पूर्व अध्यक्ष राधाकांत ओझा, पूर्व अध्यक्ष आई के चतुर्वेदी, पूर्व महासचिव प्रभाशंकर मिश्र, अशोक सिंह, डा. सी पी उपाध्याय, ए सी तिवारी, एस सी पांडेय शामिल थे। संयुक्त सचिव प्रेस सर्वेश कुमार दुबे ने यह जानकारी दी।

बार की सभा में वरिष्ठ उपाध्यक्ष अखिलेश कुमार मिश्र गांधी सहित सभी पदाधिकारी एवं भारी संख्या में अधिवक्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ लखनऊ में अधिकरण स्थापित करने का विरोध किया। अविनाश वर्मा, अजय कुमार मिश्र, सन्तोष मिश्र, बी डी पांडेय, राजेश त्रिपाठी आदि ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि न्यायिक मापदंडों के तहत ही अधिकरणों का गठन करें और उनमें योग्य वकीलों एवं पूर्व जजों की नियुक्ति की जाये।

42वें संविधान संशोधन से अधिकरण के गठन के उपबन्धों को संविधान में जोड़ा गया

सेंटर फार सोशल एवं कांस्टीट्यूशनल रिफार्म के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता ए एन त्रिपाठी ने कहा कि जहां हाईकोर्ट हो वहीं पर अधिकरण स्थापित किया जाना चाहिए। उन्होंने शिक्षा सेवा अधिकरण के गठन को असंवैधानिक बताया और कहा कि 42वें संविधान संशोधन से अधिकरण के गठन के उपबन्धों को संविधान में जोड़ा गया। अनुच्छेद 323 ए में प्रशासनिक अधिकरण गठित करने का अधिकार संसद के जरिये केंद्र सरकार का है और अनुच्छेद 323 बी के तहत अन्य मामलों में अधिकरण गठित करने का अधिकार राज्य सरकार को दिया गया है। इस अनुच्छेद में शिक्षा को शामिल नहीं किया गया है। एक केस में सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा अधिकरण के गठन को लेकर टिप्पणी की है।

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अध्यापकों के मामले में याचिका ही उपचार होना चाहिए

अनुच्छेद 21 ए में शिक्षा को मूल अधिकार में शामिल किया गया है। अध्यापक सरकारी सेवक नहीं है किंतु लोक कार्य करते हैं। शिक्षा का दायित्व राज्य का है। ऐसे में अध्यापकों को सिविल वाद या अधिकरण में उलझाने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए। अध्यापकों के मामले में याचिका ही उपचार होना चाहिए। बार एसोसिएशन ने इलाहाबाद से सरकारी कार्यालयों को लखनऊ ले जाने को साजिश करार दिया है और कहा है कि यह हाईकोर्ट के क्षेत्राधिकार में कटौती का प्रयास है। जो कि सुप्रीम कोर्ट के नसीरुद्दीन केस का उल्लंघन है। इसी केस से लखनऊ पीठ के क्षेत्राधिकार में केवल दो कमिश्नरी को शामिल किया गया है। शेष प्रदेश के जिले इलाहाबाद की प्रधानपीठ के क्षत्राधिकार में शामिल किया गया है।

अधिवक्ताओं ने एक स्वर से कहा कि शैक्षिक न्यायाधिकरण की स्थापना प्रयागराज के बजाए किसी अन्य जनपद में किया जाना गलत है

हाईकोर्ट बार एसोसिएशन हाॅल में हुई लायर्स वेलफेयर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के पदाधिकारियों की में सरकार के प्रस्ताव का खुला विरोध किया गया। अधिवक्ताओं ने एक स्वर से कहा कि शैक्षिक न्यायाधिकरण की स्थापना प्रयागराज के बजाए किसी अन्य जनपद में किया जाना गलत है। अधिवक्ताओं ने मध्य प्रदेश की तरह उत्तर प्रदेश में भी अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम लागू करने की भी मांग सरकार से की है।

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बैठक की अध्यक्षता लायर्स वेलफेयर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह कलहंस एवं संचालन महासचिव मनीष द्विवेदी ने किया। इस मौके पर कोषाध्यक्ष कमलदेव पांडेय, बार के पूर्व उपाध्यक्ष हरवंश सिंह, पूर्व संयुक्त सचिव प्रशासन प्रशांत सिंह रिंकू, पूर्व कोषाध्यक्ष राजकुमार सिंह, उमाशंकर मिश्र, अमित सिंह, दुर्गेश चंद्र तिवारी, बैरिस्टर सिंह, पंकज शर्मा, वी के चंदेल, अविनाश वर्मा, बी एन मिश्र, गौरी शंकर दुबे, राम विशाल मिश्र, धनंजय कुमार, डी सी त्रिपाठी, विपिन सिंह, पूर्व संयुक्त सचिव महिला कंचन सिंह, गुंजन शर्मा, ज्योति जायसवाल, रजनीश द्विवेदी, विनीता गुप्ता, आरती श्रीवास्तव, अमित दुबे, मदन सिंह बिसेन आदि रहे।

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