इस सावन करें बाबा भवरेश्वर मंदिर धाम के दर्शन

Update: 2018-08-04 06:35 GMT

लखनऊ: रायबरेली जिलें के सुदौली गांव में प्राचीन समय से बना बाबा भवरेश्वर मंदिर धाम जो कि एक अलग ही चमत्कार के लिए जाना जाता हैं। इस मंदिर में दर्शन के लिए लाखों की संख्या में लोग आतें हैं और विशेष शिवलिंग की पूजा करतें हैं। लेकिन बता दें, बाबा भवरेश्वर मंदिर में सावन के अवसर पर बाबा के दर्शन कर पाना असंभव हो जाता हैं। क्यूंकि सावन माह में भोलेनाथ के दर्शन के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ देखनें को मिलती हैं।

वैसे तो इस जगह पर हर सोमवार के दिन मेला लगता हैं लेकिन सावन और शिवरात्रि के खास अवसर पर 1 महीनें का विशालकाय मेला आयोजित किया जाता है जहां लोग पूजा- पाठ के बाद आपनें परिवार के साथ मेंलें का आनंद लेते हैं। बता दें, मंदिर के बगल में साईं नदी बहती हैं जिसकी मान्यता ये हैं कि, मंदिर में दर्शन करने से पहलें भक्त नदी के जल से आपनें आप को स्वच्छ करतें हैं और उस नदी के साफ जल को ले जाकर शिवलिंग पर अर्पित करतें हैं।

आइयें जानतें हैं इस मंदिर से जुड़ी रोचक कहानी

पूर्वजों द्वारा बताया जाता है कि यहां पर पहले बहुत घने जंगल हुआ करते थे और गावं के राजा शिकार करने के लिए आते थे। और लोग अपने जानवरों को चराने के लिए भी आतें थे। तभी वहां एक गाय माता जहां एक खास स्थान पर आने से उसका सारा दूध स्वत: निकलने लगता था। चरवाहे जब शाम को दूध दुहते थे तो गाय दूध नहीं देती थी।

इस पर चरवाहों ने खोजबीन चालू की तो पाया कि गाय अपना सारा दूध किसी शिवलिंग पर गिरा देती थी, तब उन्हें शिवजी की शिवलिंग होने की जानकारी हुई है। और उन लोगो ने वहां पर पूजा अर्चना शुरू कर दी। धीरें-धीरें ये बात हर जगह आग की तरह फैल गई। और लोग दर्शन के लिए आने लगें।

ऐसे पड़ा मंदिर का नाम बाबा भवरेश्वर कैसे पड़ा

इस शिवलिंग के दर्शन करने के लिए लोगों का आना जाना शुरू हो गया। धीरे धीरे यह खबर औरंगजेब तक पहुँच गयी। बता दें, उस समय हमारे देश में मुग़ल शाशक औरंगजेब का शासन था यह बात उसके कानों तक पहुंची लेकिन उसनें यकीन न करतें हुए इस शिवलिंग को खुदवाने का निर्णय लिया। वह अपनी सेना के साथ शिवलिंग को खुदवाने पहुंच गया। क्यूंकि औरंगजेब उस जगह पर स्थित शिवलिंग की शक्तियां देखना चाहता था।

मजदूर शिवलिंग की खुदाई करते रहें लेकिन शिवलिंग का कोई अता पता नहीं चला जितना वह शिवलिंग को नीचे खोदते, उतना ही शिवलिंग और बढ़ जाता था। शिवलिंग उखाड़ फेकने के लिए उसने कई प्रयास किये लेकिन कुछ नही हुआ और वो शिवलिंग अपनी जगह से नही हिला।

एक दिन उसने शिवलिंग को तोड़ने का आदेश दिया लेकिन जैसे ही मजदूरों ने उस पर हथौड़े का प्रहार किया तो हजारों की संख्या में उस शिवलिंग से भंवरे निकले और औरंगजेब की सेना पर टूट पड़े देखते ही देखते सारी सेना वहां से भाग खड़ी हुई और फिर दुबारा कभी मुड़ कर भी सुदौली की रियासत की तरफ नहीं देखा तभी से इस मंदिर का नाम पूर्वजों ने भवरेश्वर रख दिया। आगे चलकर सुदौली के राजा रामपाल की धर्म पत्नी ने अति प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्वार करवाकर भव्य रुप दिया। आज बहुत ही विशाल आदि मूर्ति बाबा भवरेश्वर धाम के नाम से दूर-दूर तक प्रसिद्ध है।

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