यमुना नदी के पानी में जहर! मर गईं हजारों मछलियां, मचा हड़कंप
युमना का जल स्तर पिछले 24 घंटे में लगभग दो मीटर बढ़ गया है। इसके पहले चार दिन पूर्व यमुना नदी में केमिकल का पानी आने से हजारों मछलियां और जलचर काल के गाल में समा गए थे।
औरैया। चंबल वैली पंचनद धाम में बारिश आते ही आफतों का दौर शुरू हो गया है। पिछले वर्ष आई भीषण बाढ़ की विभीषिका की तस्वीरें अभी नजरों से ओझल नहीं हुईं थी कि अब नदियों में आ रहे जल से पंचनद संगम पर सि॓ध, पहूंज, क्वारी नदी में बरसात का मटमैला पानी आने से बाढ़ जैसी स्थिति पैदा होने लगी है। जिससे हजारों मछलियां तड़पतीं हुई और कई जानवर बहते हुए देखे गए।
युमना का जल स्तर पिछले 24 घंटे में लगभग दो मीटर बढ़ गया है। इसके पहले चार दिन पूर्व यमुना नदी में केमिकल का पानी आने से हजारों मछलियां और जलचर काल के गाल में समा गए थे। कुछ तो नदी के किनारे जंगली जानवर और पशु पंछी खा गये और कुछ अभी भी वहीं पर सड़ रहे हैं। जिससे नदी के पानी में बदबू आने लगी है। यह बदबू यहां के तटवर्ती गांवों में परेशानी का सबब बना हुई है।
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गंदे पानी में मछलियां तड़पती देखी गयीं
हालांकि नदी का जल स्तर बढ़ने से आसपास के गांवों को अभी कोई नुकसान नहीं पहुंचा है परंतु माना जा रहा है कि अगर इसी रफ्तार से पानी बढ़ता रहा तो नुकसान हो सकता है। पिछले साल आई भीषण बाढ़ के कारण भी यहां के तटवर्ती गांवों में एक बार फिर से भय का माहौल है।
चंबल बैली पंचनद धाम के मुख्य धार्मिक स्थल महा कालेश्वर मंदिर, प्रसिद्ध बाबा सहाब मन्दिर के समीप पांच नदियों के संगम है। पचनद में बीती रात्रि क्वारी, सिंध और पहुज का जल स्तर बढ़ने से पानी में बहते हुए कई पशु भी देखे गये हैं। इसके अलावा गंदे पानी में मछलियां भी तड़पती देखी गयीं।
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चंबल नदी के पानी के बहाव को रोक दिया
नदी किनारे सब्जी की खेती करने वाले किसान नदी में पानी का तेज बहाव देखकर अपनी सब्जी तोड़ने में जुट गये हैं। इसके अलावा तीनों नदियों के तेज पानी के बहाव ने यमुना और चंबल नदी के पानी के बहाव को रोक दिया है। मध्यप्रदेश से आने वाली सिंध व पहुज नदी में बुधवार को अचानक पानी बढ़ जाने के कारण यमुना व चंबल में ठहराव आ गया है। इनकी पानी निकासी रुक गई है और इनका पानी पीछे की तरफ लौट रहा है। पचनद पर ही पांचों नदियों का संगम होता है। सिंध व पहुज में पानी बढ़ने के कारण चंबल व यमुना में भी पानी बढ़ना शुरू हो गया है।
प्रशासन बेचिंतित
हालांकि अभी इस प्रकार की कोई बात नहीं है क्यो कि प्रशासन खतरे की संभावना से इन्कार कर रहा है। वहीं दूसरी तरफ नदी के किनारे वसे दो दर्जन से अधिक गांवों में में संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। शासन प्रशासन को भी इस ओर ध्यान देना चाहिए क्योंकि मगर मच्छ, घड़ियाल और कछुओं की चंबल सैंचुरी को भी आये इस जहरीले पानी से खतरा बढ़ गया है।
रिपोर्टर-प्रवेश चतुर्वेदी, औरैया
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