UP Cabinet Expansion: दिवाली से पहले होगा योगी कैबिनेट का विस्तार, इन नेताओं को मिलेगी लाल बत्ती

UP Cabinet Expansion: यूपी की सियासी पिच पर मुख्य लड़ाई बीजेपी और सपा के बीच ही है और दोनों के बीच शह और मात का खेल लगातार जारी है।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update:2023-11-07 13:33 IST

UP Cabinet Expansion (photo: social media )

UP Cabinet Expansion: लोकसभा चुनाव से पहले आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े सूबे में जबरदस्त सियासी हलचल है। सत्तारूढ़ एनडीए हो या नवगठित विपक्षी इंडिया गठबंधन दोनों अपने-अपने हिसाब से एजेंडा सेट करने में लगे हुए हैं। यूपी की सियासी पिच पर मुख्य लड़ाई बीजेपी और सपा के बीच ही है और दोनों के बीच शह और मात का खेल लगातार जारी है। इन सबके बीच बहुप्रतिक्षित योगी मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर बड़ी जानकारी सामने आई है।

बीजेपी के सूत्रों के मुताबिक, दीवाली से पहले कैबिनेट विस्तार की पूरी संभावना है। 10 नवंबर को नए मंत्रियों को शपथ दिलाई जा सकती है। इसको लेकर आलाकमान और प्रदेश नेतृत्व के बीच लगभग सहमति बन गई है। उम्मीदवारों के नाम पर भी मुहर लग गई है। हालांकि, अभी तक नामों की आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। लेकिन माना जा रहा है कि चार नए लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है।

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ओपी राजभर और दारा सिंह का नाम फाइनल !

भाजपा सूत्रों ने सुभासपा प्रमुख और पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर और पूर्व मंत्री दारा सिंह चौहान का मंत्री पद कंफर्म कर दिया है। इस साल जुलाई में राजभर एनडीए में और दारा सिंह चौहान बीजेपी में शामिल हुए थे। ओपी राजभर ने सपा के साथ विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन नतीजे विपरीत आने के बाद उनके संबंध अखिलेश यादव से बिगड़ गए। जिसके बाद उन्होंने दोबारा एनडीए में वापसी की। वहीं, पूर्व मंत्री दारा सिंह भी 2022 में सपा के टिकट पर घोसी से विधायक बने थे और बीजेपी में शामिल होने के लिए पार्टी और विधायकी दोनों पद से इस्तीफा दे दिया था। दोनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद बीजेपी की तरफ आए।


दो और नए चेहरों को मिल सकता है मौका

ओमप्रकाश राजभर और दारा सिंह चौहान के अलावा दो और नए चेहरों को कैबिनेट में शामिल करने की चर्चा है। दोनों ही चेहरे पिछड़ा वर्ग से होंगे। भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव से पहले यूपी में जातीय समीकरण को अपने पक्ष में दुरूस्त रखना चाहती है। पार्टी को पिछड़ों का अच्छा-खासा वोट मिला है, जिसे बरकरार रखने के लिए पिछले दिनों दिल्ली में उच्च स्तरीय मीटिंग हुई थी। जिसमें कैबिनेट में पिछड़ों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने का निर्णय लिया गया था। पिछड़े वर्ग से आने वाले किन दो भाजपा नेताओं की लॉटरी लगती है, इस पर सबकी नजरें रहेंगी।


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मुश्किल में पड़ गई थी दारा सिंह की दावेदारी

भारतीय जनता पार्टी ने पूर्वी यूपी में सपा को झटका देने के लिए बड़े ओबीसी नेता दारा सिंह चौहान को अपने साथ लाया था। चौहान योगी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री थे। लेकिन उन्होंने विधानसभा चुनाव से ऐन पहले बीजेपी छोड़ सपा ज्वाइन किया था और घोसी से चुनाव जीते थे। लेकिन महज एक साल से कुछ ही समय ज्यादा हुआ होगा कि उनका मोहभंग होगा। नोनिया समाज के बड़े नेता माने जाने वाले चौहान को जिस मकसद से बीजेपी ने अपने साथ लाया था, वह पूरा नहीं हुआ। ओमप्रकाश राजभर द्वारा जबरदस्त प्रचार करने के बावजूद दारा चौहान बीजेपी के टिकट पर उपचुनाव नहीं जीत सके और उन्हें करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा।

उपचुनाव के नतीजे ने उनकी मंत्रीपद पर दावेदारी खतरे में डाल दी। बीजेपी नेतृत्व उन्हें लोकसभा चुनाव तक होल्ड पर रखने का मन बना रहा था। इससे बेचैन दारा सिंह ने लखनऊ और दिल्ली के बीच दौर लगानी शुरू कर दी। इस सबके बीच घोसी उपचुनाव के नतीजे और जाति जनगणना के मुद्दे ने चुनाव दर चुनाव हार रही सपा में जान फूंक दी। अखिलेश यादव ने पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) का ऐलान कर आक्रमक राजनीति शुरू कर दी। बिहार में आए जाति सर्वे की रिपोर्ट से भाजपाई पहले से ही टेंशन में थे।

लिहाजा बीजेपी आलाकमान ने ओबीसी समाज से आने वाले दारा सिंह चौहान को योगी मंत्रिमंडल में शामिल करने का निर्णय ले लिया। पार्टी को उम्मीद है कि इससे पूर्वी यूपी के लोकसभा सीटों पर उसे फायदा होगा। उनके समर्थक एक तर्क ये भी देते हैं कि जब केशव प्रसाद मौर्य को कौशांबी में पराजय का सामना करने के बाद डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है तो दारा सिंह चौहान क्यों नहीं मंत्री बन सकते।

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