Yogi Adityanath Vs Asaduddin Owaisi: चुनाव से पहले ही जुबानी जंग शुरू, ओवैसी ने दी चुनौती तो योगी का जवाब- मंजूर है मुझे

Yogi Adityanath Vs Asaduddin Owaisi: ओवैसी ने यूपी की 100 विधानसभा सीटों पर अपनी पार्टी के उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है और उनका कहना है कि वे किसी भी सूरत में अगले चुनावों में योगी को मुख्यमंत्री नहीं बनने देंगे।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Shivani
Update:2021-07-04 12:20 IST

योगी बनाव ओवैसी (डिजाइन इमेज)

Yogi Adityanath Vs Asaduddin Owaisi:  उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव (UP Vidhan Sabha Chunav 2021) से काफी पहले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) और एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM Chief Asaduddin Owaisi) के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है। ओवैसी ने यूपी की 100 विधानसभा सीटों पर अपनी पार्टी के उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है और उनका कहना है कि वे किसी भी सूरत में अगले चुनावों में योगी को मुख्यमंत्री नहीं बनने देंगे।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ओवैसी को कड़ा जवाब देते हुए कहा कि मुझे ओवैसी की चुनौती स्वीकार है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा एक बड़ी सियासी ताकत है और ओवैसी भाजपा को चुनौती नहीं दे सकते। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में अभी वक्त है मगर चुनावों से काफी पहले ही दोनों नेताओं के बीच जुबानी जंग शुरू होने के बाद माना जा रहा है कि इस जंग में आने वाले दिनों में और तीखापन आएगा।

योगी को अगली बार नहीं बनने देंगे सीएम

ओवैसी ने उत्तर प्रदेश के चुनाव में ओमप्रकाश राजभर के भागीदारी संकल्प मोर्चा के साथ चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान किया है। ओवैसी का कहना है कि वे प्रदेश की 100 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेंगे। हालांकि इस बाबत राजभर का कहना है कि अभी सीटों को लेकर कुछ भी फाइनल नहीं किया गया है। वैसे ओवैसी की इस घोषणा को सपा, बसपा और कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी माना जा रहा है। ओवैसी के उम्मीदवारों के मैदान में उतरने से मुस्लिम मतों का बंटवारा होना तय है और ऐसे में सपा, बसपा, कांग्रेस को झटका लग सकता है। ओवैसी ने अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।

प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हमलावर रुख अपनाने वाले ओवैसी का कहना है कि वे अगले विधानसभा चुनावों में योगी को किसी भी सूरत में उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री नहीं बनने देंगे। योगी और ओवैसी पहले भी एक-दूसरे पर हमला करते रहे हैं और अब उन्होंने चुनावों में ताकत दिखाने को लेकर योगी को ललकारा है।

योगी बोले-यूपी में भाजपा ही बनाएगी सरकार

ओवैसी के बयान का जवाब देते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि निश्चित रूप से ओवैसी बड़े नेता है और उन्हें एक समुदाय विशेष का समर्थन हासिल है मगर उन्हें उत्तर प्रदेश के सियासी स्थितियों को भी समझना होगा। वे उत्तर प्रदेश में भाजपा की ताकत को चुनौती नहीं दे सकते। एक टीवी चैनल से बातचीत में योगी ने कहा कि भाजपा जनता से जुड़े मुद्दों को लेकर संघर्ष करने वाली पार्टी है और इन्हीं मुद्दों को लेकर चुनाव मैदान में उतरेगी। उत्तर प्रदेश में भाजपा पहले ही अपनी सियासी ताकत दिखा चुकी है और अगले चुनावों को लेकर भी हमें ओवैसी की चुनौती स्वीकार है। हम उनको जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर ओवैसी भाजपा को सत्ता में आने से रोकने का सपना देख रहे हैं तो हम निश्चित रूप से कह सकते हैं कि 2022 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को कोई नहीं रोक सकता है और उत्तर प्रदेश में भाजपा ही सरकार बनाने में कामयाब होगी।

धर्मांतरण की घटनाओं को बताया बड़ी साजिश

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में हाल के दिनों में सामने आए धर्मांतरण के मामलों को सामान्य घटना नहीं कहा जा सकता। कुछ लोग देश की सुरक्षा और आस्था के साथ खिलवाड़ करने की साजिश में जुटे हुए हैं और प्रदेश की पुलिस और एटीएस की ओर से इस साजिश का पर्दाफाश किया गया है।
उन्होंने कहा कि इस मामले में साजिश की बात सबके सामने आ चुकी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में आस्था के साथ खिलवाड़ करने और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों का संचालन करने की अनुमति कतई नहीं दी जा सकती। धर्मांतरण के मामले में प्रदेश सरकार की ओर से सख्त कार्रवाई की जाएगी।

ओवैसी बिगाड़ेंगे कई दलों का समीकरण

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों के लिए सभी सियासी दलों ने बिसात बिछानी शुरू कर दी है। भाजपा के साथ ही अन्य सियासी दलों ने भी चुनावी संभावनाओं को मजबूत बनाने के लिए सक्रियता बढ़ा दी है। ओवैसी के चुनाव मैदान में उतरने की घोषणा ने कई सियासी दलों को परेशान कर दिया है क्योंकि उनके चुनाव मैदान में उतरने से चुनावी समीकरण बिगड़ने की आशंका है।

उत्तर प्रदेश के चुनावी नतीजों को 19 फ़ीसदी मुस्लिम मतदाता काफी हद तक प्रभावित करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहरी क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। अभी तक मुस्लिम मतदाताओं का रुझान सपा, बसपा और कांग्रेस की ओर दिखता रहा है। खास तौर पर सपा मुस्लिम मतों का बड़ा हिस्सा पाने में कामयाब होती रही है। ओवैसी के चुनाव मैदान में उतरने से मुस्लिम मतों का बंटवारा तय माना जा रहा है।
ओवैसी की ओर से भले ही भाजपा को चुनौती देने की बात कही जा रही हो मगर सियासी जानकारों का मानना है कि ओवैसी के चुनाव मैदान में उतरने से भाजपा को ही फायदा होगा। मुस्लिम मतों के बंटवारे से सीधा सियासी फायदा भाजपा को ही मिलेगा।

बिहार चुनाव से बुलंद हुआ ओवैसी का हौसला

ओवैसी ने बिहार में पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में 20 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे और सीमांचल के जिलों में एआईएमआईएम के उम्मीदवारों को पांच सीटों पर कामयाबी मिली थी। बिहार के बाद अब ओवैसी की नजर उत्तर प्रदेश पर टिकी हुई है।
सियासी जानकारों का मानना है कि मुस्लिम बहुल सीटों पर ओवैसी प्रतिद्वंद्वी सियासी दलों के लिए बड़ी मुसीबत चुनौती साबित हो सकते हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रदेश के सियासी दलों की ओर से ओवैसी की चुनौती का किस तरह जवाब दिया जाता है।
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