Zila Panchayat Election UP 2021: BJP की वर्चस्व की लड़ाई ने बढ़ाई परेशानी, अब चुनाव तय करेगा एस गठबंधन का भविष्य!
Zila Panchayat Election UP 2021: सोनभद्र में प्रत्याशी चयन को लेकर मची रार और भाजपा नेताओं में वर्चस्व की लड़ाई ने गठबंधन की साख को दांव पर लगा दिया है।
Zila Panchayat Election UP 2021: जौनपुर में भाजपा जिला पंचायत सदस्य के बगावती तेवर के साथ ही सोनभद्र में प्रत्याशी चयन को लेकर मची रार और भाजपा नेताओं में वर्चस्व की लड़ाई ने जहां गठबंधन की साख को दांव पर लगा दिया है। वही जीत भी बड़ी चुनौती बनकर खड़ी हो गई है। इसके चलते विधानसभा चुनाव 2022 (Assembly Election 2022) का सेमी फाइनल माने जाने वाले जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव को भाजपा+अपना दल एस गठबंधन (BJP Apna Dal S. Gathbandhan) के सेमीफाइनल के तौर पर देखा जाने लगा है।
लोकसभा चुनाव 2014 (Lok Sabha Elections 2014) के समय हुआ भाजपा -अपना दल एस गठबंधन 2017 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में मजबूती से बना रहा। इसका बेहतर परिणाम भी दिखा और 2014 के लोकसभा चुनाव में अपना दल एस के दो सांसद, विधानसभा चुनाव में आठ विधायक जीते। विधानसभा चुनाव के साथ ही अपना दल एस की सोनभद्र में एंट्री हुई और भाजपा की सबसे कमजोर सीट मानी जाने वाली दुद्धी विधानसभा के चुनाव में सात बार के अविजित पूर्व मंत्री विजय सिंह गोंड को हराकर इतिहास रच दिया।
2019 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2019) में गठबंधन कोटा से अपना दल एस को मिर्जापुर और राबर्ट्सगंज संसदीय सीट मिली। इस सीट पर पहली बार लड़ने के मिले मौके को भी अपना दल एस ने मजबूती से लड़कर शानदार जीत में बदल दिया। इसको देखते हुए भाजपा की तरफ से जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में भी सोनभद्र के जिला पंचायत अध्यक्ष की उम्मीदवारी अपना दल एस को सौंप दी गई, लेकिन इस बार परिस्थितियां अलग हैं। भाजपा और अपना दल एस के कुल उम्मीदवार मिलकर भी 16 का जादुई आंकड़ा नहीं छूपा रहे हैं। यहां की उम्मीदवारी गठबंधन खाते में देने को लेकर जहां भाजपा के एक खेमे ने जमकर नाराजगी जताई। वहीं अपना दल एस की तरफ से उम्मीदवार के नाम की घोषणा करते समय तक जिस तरह से जिला पंचायत सदस्य तरावां रीतू सिंह को भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी के रूप में प्रचारित किया गया, उसने भाजपा के अंतर्विरोध को सबके सामने लाकर रख दिया।
भाजपा प्रत्याशी के रूप में दावेदारी कर रहे जिला पंचायत सदस्य खेमे की तरफ से जताए जा रहे विरोध ने इस कदर गंभीर रुख अख्तियार कर लिया कि अपना दल एस जिलाध्यक्ष सत्यनारायण पटेल को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताना पड़ा कि चुनाव समिति की बैठक के दौरान भाजपा के पूर्व संभावित प्रत्याशी खेमे की तरफ से अमर्यादित आचरण किया गया और संगठन विरोधी नारे लगाए गए। उन्होंने भाजपा के जिला नेतृत्व से कार्रवाई की अपेक्षा भी की, लेकिन वहां से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई। इसके बाद से भाजपा के दो धड़ों में शुरू हुई वर्चस्व की लड़ाई ने अगड़े-पिछड़े की लड़ाई का रूप ले लिया और कथित समर्थकों की तरफ से सोशल मीडिया एवं अन्य मंचों पर भड़काऊ बयानबाजी जारी है।
स्थिति को देखते हुए अपना दल एस के राष्ट्रीय अध्यक्ष आशीष पटेल और मिर्जापुर सांसद एवं पूर्व मंत्री अनुप्रिया पटेल हालात पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। मंगलवार को नामांकन वापसी के दिन डैमेज कंट्रोल की काफी कोशिश की गई, लेकिन बात नहीं बनी। बुधवार को भी सर्किट हाउस में भाजपा अपना दल एस की संयुक्त बैठक में जीत के लिए गहन मंथन किया गया। वहीं भाजपा का एक खेमा जहां अंदरखाने अभी भी बगावती तेवर अपनाए हुए है। वहीं भाजपा के दो धड़ों की आपसी खींचतान और चुनाव को अगड़ों-पिछड़ों के अस्तित्व से जोड़ने की हो रही कोशिश ने गठबंधन प्रत्याशी के जीत की राह में मुश्किलें पैदा करनी शुरू कर दी हैं। हालात को देखते हुए, जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के बाद अपना दल एस नेतृत्व का क्या रुख होगा? इसको लेकर अटकलें भी लगाई जाने लगी हैं।
सपा के प्रत्याशी चयन दांव ने कर दिया भाजपा को असहज
16 वर्ष बाद जिले में जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट सामान्य हुई तो भाजपा-सपा दोनों दलों पर सामान्य वर्ग के जिला पंचायत सदस्य को अध्यक्ष का उम्मीदवार बनाए जाने का दबाव बढ़ने लगा। सपा की तरफ से पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष अनिल यादव की दावेदारी को किनारे करते हुए, घघरी क्षेत्र से निर्वाचित जिला पंचायत सदस्य जय प्रकाश पांडेय (चेखुर पांडेय)को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। इसको देखते हुए जुगैल क्षेत्र से निर्वाचित भाजपा की सामान्य वर्ग की एकमात्र जिला पंचायत सदस्य उत्तरा त्रिपाठी को अध्यक्ष का उम्मीदवार घोषित करने की मांग जोर पकड़ने लगी लेकिन जिला इकाई के तरफ से पिछड़ा वर्ग से आने वाली रीतू सिंह को प्रथम वरीयता की संस्तुति देते हुए फाइल आगे बढ़ाई गई। इसके बाद से पार्टी में अंदरखाने अगड़े-पिछड़े का तनाव बढ़ना शुरू हो गया।
अपना दल एस की उम्मीदवारी तय होने के बाद खुलकर सामने आया विवाद
ऐन वक्त पर सोनभद्र में अध्यक्ष की उम्मीदवारी अपना दल एस को दिए जाने की जानकारी मिली तो रीतू सिंह के दावेदारी की पैरवी कर रहा खेमा भड़क सा उठा और पार्टी में ही एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप के दौर शुरू हो गए। रीतू सिंह के पति एवं जिला कार्यकारिणी में पदाधिकारी रमेश पटेल ने एक विधायक को लक्ष्य कर सोशल मीडिया पर अमर्यादित पोस्ट ने सोशल मीडिया को एक दूसरे पर छींटाकशी और टिप्पणी का केंद्र बना कर दिया।
दोनों खेमों के कथित समर्थकों ने इसे अगड़े पिछड़े के अस्तित्व से जोड़ते हुए पोस्ट- कमेंट शुरू कर दिए। पार्टी के कुछ नेताओं, कुछ जिला पंचायत प्रत्याशी और सपा नेताओं के बीच कथित गोपनीय बैठक की सूचना ने भी भाजपा की किरकिरी कराई। ऐसे में अपना दल एस इन मुश्किल हालातों से निबटते हुए विधानसभा लोकसभा चुनाव की तरह जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में भी जीत हासिल कर पाएगा? यह सवाल जहां हर किसी के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। वहीं अगर हार मिलती है तो उस दशा में गठबंधन का भविष्य क्या होगा? इसको लेकर अटकलबाजी जारी है।
आंकड़ों में सपा का पलड़ा भारी
31 सदस्यों वाले जिला पंचायत सदन में सपा के पास 11, अपना दल के पास चार, भाजपा के पास छह, निषाद पार्टी के पास एक और निर्दल के रूप में छह सदस्य हैं। इसके आधार पर जहां सपा का पलड़ा भारी बताया जा रहा है। वहीं भाजपा और अद एस की कुल संख्या 10 के साथ छह निर्दलियों का मत गठबंधन प्रत्याशी के लिए जिताऊ माना जा रहा है। इन आंकड़ों के आधार पर दोनों पक्षों की तरफ से जीत के दावे हो रहे हैं। ऐसे में तीन जुलाई को होने वाले मतदान में 16 का जादुई आंकड़ा किसके पक्ष में बैठेगा? यह देखना खासा दिलचस्प रहेगा।
उधर, अपना दल एस जिलाध्यक्ष सत्यनारायण पटेल का कहना है कि प्रत्याशी चयन के समय जो विवाद की स्थिति बनी थी उसे सामान्य कर लिया गया है। अब अपना दल और भाजपा दोनों पार्टियों के लोग एक साथ मिलकर गठबंधन प्रत्याशी को जिताने में लगे हुए हैं। वहीं भाजपा जिला अध्यक्ष अजीत चौबे ने आपसी खींचतान के मसले पर किसी तरह की टिप्पणी से परहेज करते हुए कहा कि सभी लोग गठबंधन प्रत्याशी को जिताने में लगे हुए हैं