बद्रीनाथ धाम से जुड़ी खास परंपरा, गाडू घड़ा यात्रा में सुहागिनों ने पिरोया तिल का तेल

तेल पिरोने के बाद आंच में पका कर विशुद्ध तेल को चांदी के गाडू घड़ा तेल कलश में पूजा अर्चना के साथ भरा गया।

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Published By :  Suman Mishra | Astrologer
Update:2021-04-30 09:00 IST
 राजदरबार में तेल पिरोती महिलाएं( साभार सोशल मीडिया)

टिहरी: बैकुंड धाम बद्रीनाथ ( Badrinath) में भगवान बदरी विशाल की तेल कलश(Oil Kalash) अभिषेक यात्रा बृहस्पतिवार(Thursday)  सुबह 10 बजे पूजा-अर्चना के बाद राज दरबार से शुरू हो गई थी। इस अवसर पर दरबार में टिहरी सांसद और महारानी राज लक्ष्मी शाह सहित कई सुहागिन महिलाओं ने तिलों का तेल(Seame Oil) पिरोया।

करोड़ों हिंदुओं के आस्था का प्रतीक व धरती पर बैकुंठ कहे जाने वाले बद्रीनाथ धाम में सेल व सिलबट्टे से पिरोया गया यह तिल का तेल एक खास बर्तन में विशेष जड़ी-बूटी डालकर आंच में पकाया गया, ताकि तेल में पानी की मात्रा न रहे।

कलश में पूजा अर्चना और मंत्रोच्चार 

तेल पिरोने के बाद आंच में पका कर विशुद्ध तेल को चांदी के गाडू घड़ा तेल कलश में पूजा अर्चना और मंत्रोच्चार के साथ भरा गया। गाडू घड़ा तेल कलश डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत प्रतिनिधियों को सौंपा गया जो तेल कलश यात्रा के साथ 17 मई को बद्रीनाथ धाम पहुंचेंगे। 18 मई को ब्रह्म मुहूर्त में 4:15 पर भगवान बद्रीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे। 

तस्वीर( साभार सोशल मीडिया)

बता दें कि यह परंपरा हर साल बसंत पंचमी के पर्व पर टिहरी के महाराजा की जन्म कुंडली और ग्रह नक्षत्रों की गणना करके तेल पिरोने और बद्रीनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि और समय निर्धारित किया जाता है। तेल पिरोने और बद्रीनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि व समय विगत 16 फरवरी को नरेंद्रनगर स्थित राज दरबार में महाराजा मनुजेंद्र शाह की कुंडली और ग्रह नक्षत्रों की गणना करके तीर्थ पुरोहित संपूर्णानंद जोशी और आचार्य कृष्ण प्रसाद उनियाल द्वारा निकाली गई थी।

कोरोना के चलते चारधाम यात्रा स्थगित 

प्रदेश के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत द्वारा वैश्विक महामारी कोरोना के चलते चारधाम यात्रा स्थगित करने की घोषणा का डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत के अध्यक्ष पंकज डिमरी ने स्वागत किया है। कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने आगामी चारधाम यात्रा को स्थगित कर दिया है। वहीं निर्धारित तिथि पर चारों धामों के कपाट खेलने के बाद केवल मंदिर के पुजारी को ही मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। इस बात की जानकारी खुद सीएम तीरथ सिंह रावत ने दी।

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