UCC: लिव-इन रिलेशनशिप, शादी और तलाक, UCC लागू होने के बाद बदल जायेंगे इनके नियम

UCC: समान नागरिक संहिता के लागू हो जाने के साथ ही उत्तराखंड में संपत्ति, बहुविवाह, रिलेशनशिप और विवाह जैसी कई चीजें अब पहले जैसी बिल्कुल भी नहीं रह जायेगीं।;

Update:2025-01-27 13:50 IST

uniform civil code

UCC: उत्तराखंड में आज से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू लागू हो गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज (सोमवार) मुख्य सेवक सदन में यूसीसी के पोर्टल और नियमावली का लोकार्पण किया। वहीं, उत्तराखंड में इस कानून की अधिसूचना भी जारी हो गई है। उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है। जहां समान नागरिक संहिता लागू हो गया है।

समान नागरिक संहिता के लागू हो जाने के साथ ही उत्तराखंड में संपत्ति, बहुविवाह, रिलेशनशिप और विवाह जैसी कई चीजें अब पहले जैसी बिल्कुल भी नहीं रह जायेगीं। इस कानून के लागू होते ही उत्तराखंड में सभी धर्मो के लिए तलाक कानून एक जैसा हो जाएगा। शादी के बाद रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य हो जाएगा। साथ ही बहूविवाह और हलाला जैसी सामाजिक प्रथाओं पर प्रतिबंध लग जाएगा। आइए जानते हैं उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने के बाद क्या कुछ बदलाव होंगे।

संपत्ति की वसीयत की मिलेगी छूट

उत्तराखंड में यूसीसी लागू हो जाने के बाद अब कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति की वसीयत कर सकेगा। पहले मुस्लिम, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों के लिए वसीयत के नियम भी अलग थे। लेकिन अब यूसीसी लागू हो जाने के बाद सभी धर्मो के लिए नियम एक समान हो जायेंगे।

शादी का करना होगा रजिस्ट्रेशन

समान नागरिक संहिता लागू हो जाने के बाद उत्तराखंड में सभी धर्मो के लोगों को विवाह का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य हो जाएगा। विवाह का रजिस्ट्रेशन छह माह के भीतर कराना होगा। विवाह का ऑनलाइन पंजीकरण कराना जाएगा ताकि किसी को भी सरकारी कार्यालयों का चक्कर न काटना पड़े। विवाह के पंजीकरण के लिए कट ऑफ 27 मार्च 2010 रखा गया है। यानि इस तिथि के बाद हुए सभी विवाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य हो गया है।

लिन-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन जरूरी

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता के लागू हो जाने के बाद अब लिव-इन रिलेशनशिप के लिए भी कानून बदल जायेंगे। अब उत्तराखंड में लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के लिए अभिभावकों की अनुमति अनिवार्य होगी। साथ ही कपल को इस रजिस्ट्रार के समक्ष रजिस्ट्रेषन कराना होगा। यानी अब कोई भी कपल लिव-इन रिलेशनशिप में तभी रह सकेगा। जब उसने इसका रजिस्ट्रेशन कराया हो।

रजिस्ट्रार पंजीकरण की जानकारी अभिभावकों को देंगे। यह पूरी प्रक्रिया पूरी तरह से गोपनीय रखी जाएगी। लिव-इन रिलेशनशिप के दौरान पैदा हुई संतान वैध मानी जाएगी। वहीं बिना अनुमति एक माह से ज्यादा की अवधि तक लिव-इन रिलेशनशिप में रहने पर दस हजार रुपए का जुर्माना लगेगा। लिव-इन रिलेशनशिप के खत्म होने पर महिला गुजारा भत्ता की भी मांग कर सकती है।

माता-पिता का संपत्ति पर समान अधिकार

यूसीसी के लागू होने के बाद किसी भी व्यक्ति के निधन हो जाने के बाद उसकी संपत्ति को लेकर परिवार के सदस्यों के बीच मतभेद होता है। इस मतभेद को खत्म करने के लिए यूसीसी में कानून बनाए गए हैं। इसके तहत अब मृतक की सम्पत्ति पर उसकी पत्नी, बच्चों के साथ ही उसके माता-पिता का भी समान अधिकार होगा।

संतान संपत्ति में बराबर के हकदार

समान नागरिक संहिता के उत्तराखंड में लागू हो जाने के बाद संपत्ति के अधिकार को लेकर होने वाले मतभेद पूर्णतः खत्म हो जायेंगे। इस कानून के तहत प्राकृतिक संबंधों से जन्मे या फिर लिव-इन रिलेशनशिप द्वारा जन्में बच्चों का पिता की संपत्ति पर बराबर का हक होगा। इस कानून के तहत अब सभी धर्मो में बेटियों को पिता की संपत्ति में समान अधिकार का हक मिलेगा।

हलाला-बहुविवाह पर लगेगी रोक

उत्तराखंड में यूसीसी के लागू होने के बाद इस्लाम धर्म में प्रचलित हलाला और बहुविवाह पर सख्ती से प्रतिबंध लग जाएगा।

शादी के साथ ही तलाक का भी होगा रजिस्ट्रेशन

स्मान नागरिक कानून के तहत अब उत्तराखंड में जन्म-मृत्यु, विवाह के तरह ही तलाक का भी रजिस्ट्रेशन करना होगा। तलाक के लिए वेब पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन पंजीकरण करना अनिवार्य होगा।

किसी भी धर्म में 18 साल से पहले शादी को मंजूरी नहीं

उत्तराखंड में यूसीसी के लागू हो जाने के बाद विवाह के लिए भी कानून एक समान हो जायेंगे। यानी सभी धर्मो के लोग विवाह अपने-अपने रीति रिवाजों के अनुसार कर सकेंगे। लेकिन विवाह की आयु सभी धर्मो में एक समान ही होगी। अब लड़कों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और लड़कियों के लिए 18 वर्ष अनिवार्य होगी। किसी भी धर्म के लोग इस आयु से पूर्व विवाह नहीं करा सकेंगे।

दूसरे धर्म के बच्चे को गोद नहीं लिया जा सकेगा

समान नागरिक संहिता के लागू होने के बाद सभी धर्मो के लोगों को बच्चों को गोद लेने की छूट मिलेगी। लेकिन कोई भी व्यक्ति दूसरे धर्म के बच्चों को अब गोद नहीं ले सकेगा।

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