नगर निकाय चुनाव के पहले ही कार्यकर्ताओं को मिलेंगे दायित्व

Update: 2018-01-19 10:36 GMT

देहरादून : उत्तराखंड में भाजपा संगठन में त्रिवेंद्र सरकार के प्रति उठ रहे असंतोष के गुबार की हवा निकालने के लिए कोर ग्रुप की बैठक फिलहाल बिना किसी नतीजे पर पहुंचे समाप्त हो गई क्योंकि तमाम बड़े नेता बैठक में अलग अलग कारण बताकर नहीं आए। इन हालात में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने असंतोष के सुरों को दबाने के लिए फिलहाल सरकार में हिस्सेदारी दिलाने का चारा डाला है।

ऐसा कहा जा रहा है कि असंतुष्ट नेताओं को सरकार में दायित्व देने पर सहमति बन गई है। लेकिन जब उपस्थित सदस्यों ने जल्द दायित्व देने की बात कही तो फिर पूरा मामला गोल गोल घूमने लगा और तारीख तय नहीं हो सकी। कुल मिलाकर पूरा मामला जहां का तहां अटका है। असंतोष की यह आंच पार्टी और सरकार के नेतृत्व के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है। त्रिवेंद्र का मौन भी इसे हरा नहीं पा रहा है।

कुछ ऐसा ही हाल मंगलवार को भाजपा प्रदेश कार्यालय में प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट की अध्यक्षता में हुई कोर ग्रुप की बैठक का रहा। ज्यादातर सदस्यों ने दायित्व को लेकर बवाल किया। उनकी समस्या यह है कि उन्हें अभी निकाय चुनाव और फिर 2019 के चुनाव में लगाना है और कार्यकर्ताओं को भी संतुष्ट करना है। पार्टी नेतृत्व के सामने समस्या ये है कि दायित्वों की संख्या सीमित है और असंतुष्टों की संख्या ज्यादा।

ऐसे में कितनों को संतुष्ट किया जा सकेगा। पार्टी के एक नेता तो साफ कहते हैं कि देखिये सबको संतुष्ट नहीं किया जा सकता है। उन्होंने स्वीकार किया कि दायित्वों की संख्या सीमित रखने पर लंबी चर्चा हुई है, ताकि जनता में अच्छा संदेश दिया जा सके। सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी कहा है कि दायित्व बंटने पर तो पहले से सहमति है। इस पर जल्द निर्णय लिया जाएगा। यह तय है कि नगर निकाय चुनाव का बिगुल फूंकने से पहले समर्पित कार्यकर्ताओं को सरकार में दायित्व मिल जाएंगे।

सूत्रों ने बताया कि बैठक में कुछ सदस्यों ने सुझाव दिया कि जनवरी आखिर तक दायित्व बांट दिए जाएं। इससे नगर निकाय चुनावों की तैयारियां पुख्ता हो सकेंगी। लेकिन मामला संख्या पर अटक गया। उधर, पार्टी प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने हमेशा की तरह अपना वही पुराना बयान दोहराया कि लोग परेशान न हों दायित्व बंटेंगे लेकिन इसके लिए कोई समय सीमा नहीं बतायी जा सकती है। उन्होंने नई बात सिर्फ यही कही कि पार्टी में सभी कार्यकर्ता दायित्वधारी हैं।

उधर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और उत्तराखंड प्रभारी श्याम जाजू के साथ पूर्व मुख्यमंत्री और गढ़वाल सांसद मेजर जनरल (रिटायर) भुवन चंद्र खंडूड़ी कोर ग्रुप की बैठक में शामिल न होने वाले दो बड़े नाम रहे। बैठक में न आने के पीछे एक कारण दोनो की नाराजगी भी बताया जा रहा है। जबकि जाजू के नहीं आने की वजह उनकी व्यस्तता बताई गई है वहीं खंडूड़ी की अस्वस्थता।

वहीं, कोर ग्रुप में राष्ट्रीय सह महामंत्री (संगठन) शिव प्रकाश, सांसद भगत सिंह कोश्यारी, डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, विजय बहुगुणा, केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा, महारानी राज्यलक्ष्मी शाह, राष्ट्रीय सचिव तीरथ सिंह रावत, प्रांतीय महामंत्री संजय कुमार, नरेश बंसल, कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक, सतपाल महाराज, डॉ. हरक सिंह रावत और बलराज पासी शामिल हुए थे।

कहा जा रहा है कि सतपाल महाराज ने कांग्रेस से पार्टी में आए नेताओं के अलावा कई अन्य विधायकों की समस्या को उठाया। असंतुष्ट नेताओं का कहना है कि पार्टी का पूरा ध्यान पैसा जुटाने पर है। सरकार में समायोजन पर कोई गंभीर नहीं है। इन नेताओं का यह भी कहना है कि वह क्षेत्र में क्या मुंह लेकर जाएं, अधिकारी उनकी सुन ही नहीं रहे हैं।

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