Uttarakhand News: यूसीसी ड्राफ्ट को कैबिनेट की हां, विधेयक विधानसभा के पटल पर रखने को मंजूरी
Uttarakhand News: उत्तराखंड में यूसीसी जल्द ही लागू होगा। इसके अमल में आने से दशकों से चली आ रहीं कुरीतियां और कुप्रथाएं अब खत्म होंगी। इसके साथ ही सभी को एक समान अधिकार मिल सकेगा। इससे बेटा-बेटी और स्त्री-पुरुष के बीच का भेदभाव खत्म होगा।
Uttarakhand Uniform Civil Code News: उत्तराखंड कैबिनेट ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के ड्राफ्ट को हरी झंडी दे दी है। मुख्यमंत्री आवास पर रविवार को हुई कैबिनेट की बैठक में ड्राफ्ट का विधेयक तैयार कर विधानसभा के पटल पर रखने को मंजूरी दे दी गई। अब छह फरवरी को विधानसभा सत्र में यूसीसी का विधेयक पेश किया जाएगा।
कई दशक बाद धरातल पर उतरेगा-
यूसीसी कई दशक बाद अब धरातल पर उतरेगा। इसके धरातल पर उतरने से कई बदलाव भी होंगे।
- 1962 में जनसंघ ने हिंदू मैरिज एक्ट और हिंदू उत्तराधिकार विधेयक वापस लेने की बात कही थी। इसके बाद जनसंघ ने 1967 के उत्तराधिकार और गोद लेने के लिए एक समान कानून की वकालत की और 1971 में भी वादा दोहराया। हालांकि 1977 और 1980 में इस मुद्दे पर कोई बात नहीं हुई।
- 1980 में भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ। भाजपा के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी बने। पार्टी ने 1984 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा, जिसमें पार्टी को केवल दो सीटें मिली।
- 1989 में 9वां लोकसभा चुनाव हुआ, जिसमें भाजपा ने राम मंदिर, यूनिफॉर्म सिविल कोड को अपने चुनावी घोषणा-पत्र में शामिल किया। सीटों की संख्या दो से बढ़कर 85 तक पहुंच गई।
- 1991 में भारत में 10वां मध्यावधि चुनाव हुआ। इस बार भाजपा को और फायदा हुआ और उसकी सीटों की संख्या 85 से बढ़कर 100 के पार हो गई। इन लोकसभा चुनावों में भाजपा ने यूनिफॉर्म सिविल कोड, राम मंदिर, धारा 370 के मुद्दों को जमकर उठाया। ये सभी मुद्दे बीजेपी के चुनावी घोषणापत्र में शामिल थे, लेकिन संख्या बल के कारण ये पूरे नहीं हो पाए थे।
- 1996 में भाजपा ने केंद्र में 13 दिन के लिए सरकार बनाई। 1998 में पार्टी ने 13 महीने सरकार चलाई। वहीं 1999 में बीजेपी ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर बहुमत से सरकार बनाई। तब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने।
- 2014 में पहली बार भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई और केंद्र में मोदी सरकार काबित हुई। मोदी सरकार ने पूरे जोर-शोर से अपने चुनावी वादों पर काम करना शुरू किया। अब केंद्र की सरकार समान नागरिक संहिता को लागू करने की दिशा में काम कर रही है। इसी कड़ी में यूसीसी को लागू कर उत्तराखंड, देश का पहला राज्य बनने जा रहा है।
-उत्तराखंड में 2022 में भाजपा ने यूसीसी के मुद्दे को सर्वोपरि रखते हुए वादा किया था कि सरकार बनते ही इस पर काम किया जाएगा। धामी सरकार ने यूसीसी के लिए कमेटी का गठन किया। जिसने डेढ़ साल में यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार किया। अब विधानसभा का विशेष सत्र पांच फरवरी से शुरू होने जा रहा है, जिसमें पास होने के बाद यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन जाएगा।
ये हैं यूसीसी के ड्राफ्ट के संभावित प्रावधान
- लड़कियों की विवाह की आयु बढ़ाई जाएगी, जिससे वे विवाह से पहले ग्रेजुएट हो सकें।
- विवाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। बिना रजिस्ट्रेशन किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा। ग्राम स्तर पर भी शादी के रजिस्ट्रेशन की सुविधा होगी।
- पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार उपलब्ध होंगे। तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा। फिलहाल पर्सनल लॉ के तहत पति और पत्नी के पास तलाक के अलग-अलग ग्राउंड हैं।
- पॉलीगैमी या बहुविवाह पर लगेगी रोक।
- उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर का हिस्सा मिलेगा। अभी तक पर्सनल लॉ के मुताबिक लड़के का हिस्सा लड़की से अधिक है।
- नौकरीशुदा बेटे की मृत्यु पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी होगी। अगर पत्नी पुर्नविवाह करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले कंपेंशेसन में माता-पिता का भी हिस्सा होगा।
- मेंटेनेंसः अगर पत्नी की मृत्यु हो जाती है और उसके माता-पिता का कोई सहारा न हो, तो उनके भरण पोषण का दायित्व पति पर होगा।
- एडॉप्शनः सभी को मिलेगा गोद लेने का अधिकार। मुस्लिम महिलाओं को भी मिलेगा गोद लेने का अधिकार, गोद लेने की प्रक्रिया आसान की जाएगी।
- हलाला और इद्दत पर रोक होगी।
- लिव इन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन आवश्यक होगा। ये एक सेल्फ डिक्लेरेशन की तरह होगा जिसका एक वैधानिक फॉर्मेट लग सकती है।
- गार्जियनशिप- बच्चे के अनाथ होने की स्थिति में गार्जियनशिप की प्रक्रिया को आसान किया जाएगा।
- पति-पत्नी के झगड़े की स्थिति में बच्चों की कस्टडी उनके ग्रैंड पैरेंट्स को दी जा सकती है।
- जनसंख्या नियंत्रण को अभी सम्मिलित नहीं किया गया है।
यूसीसी के लागू होने के बाद जहां कई बदलाव आएंगे वहीं महिलाओं को कई अधिकार भी मिलेंगे।