उत्तराखंड : गण के लिए पैसा खर्च करने का मन नहीं करता इनका

Update: 2018-01-27 08:08 GMT

नागभूषण

देहरादून। उत्तराखंड में माननीयों की ‘निधि’ खर्च ही नहीं हो पा रही है। भंडार भरा हुआ है। लेकिन उसे खर्च करने में दर्द हो रहा है जैसे पूंजी लुटने जा रही हो। अब ऐसे में मजा सरकार का है जिसकी तिजोरी में करोड़ों की रकम बंद है और ब्याज खाने पर तो कोई रोक है नहीं ये तो आ ही रहा है न।

विधायकों की बात की जाये तो मुन्ना सिंह चौहान के खाते में 180.10 लाख रुपए शेष हैं तो उमेश शर्मा काऊ के खाते में 115.71, प्रीतम सिंह के 272.25, प्रेमचंद अग्रवाल 248.85, सहदेव पुण्डीर 74.36 लाख रुपए शेष हैं। ये वो रकम है जो इन्हें विकास कार्य कराने के लिए दी गई थी।

दिलचस्प ये है कि सरकार ने विधायक निधि में एक करोड़ रुपए की राशि और बढ़ा दी है। जो अब तीन करोड़ 75 लाख रुपए के लगभग हो जाएगी। शासन ऐसा इसलिए कर रहा है ताकि विकास कार्यों में बजट की कमी बाधा न बने। लेकिन काम हो ही नहीं रहा है। वित्तीय वर्ष समाप्ति की तरफ है और भला कोई भी अब आनन फानन में कितना और कहां विकास कराएगा।

कांग्रेस के नेता अंबरीश कुमार कहते हैं कि सबका साथ सबका विकास सिर्फ नारा है। भाजपा के विधायकों की निधि में अभी भी करोड़ों रुपए अवशेष हैं। कोई समस्या को खत्म नहीं करना चाहता। हालांकि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व चकराता विधायक प्रीतम सिंह भी खर्च न करने वाले विधायकों की जमात में शामिल हैं, इसपर वह मौन साध जाते हैं। खर्च की स्थिति देखी जाए, तो चकराता, विकासनगर, रायपुर और ऋषिकेश के विधायक व विधानसभा अध्यक्ष जनता के करोड़ों रुपए दबाए बैठे हैं। दूसरी ओर कैंट, धर्मपुर, राजपुर, मसूरी आदि क्षेत्रों के विधायक अपवाद में ही गिने जाएंगे।

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