कौन लगा रहा है हिमालयी जंगलों में आग,ITBP के जवानों ने कंट्रोल बर्निंग का सहारा लिया
कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग पर पिथौरागढ़ के जंगलों में लगी आग पर काबू पा लिया गया है। इस तरह की आग लगने की कई घटनाएं हो चुकी हैं। लेकिन आग लगने के कारणों पर जो जानकारी सामने आ रही है वह चौंकाने वाली है। उच्च हिमालयी क्षेत्र में इस बार हिमपात नहीं हुआ है। इस कारण जमीन की नमी लगातार कम हो रही है। माना जा रहा है कि शिकारी इसी मौके का फायदा उठाने में लगे हैं। जंग
पिथौरागढ़: कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग पर पिथौरागढ़ के जंगलों में लगी आग पर काबू पा लिया गया है। इस तरह की आग लगने की कई घटनाएं हो चुकी हैं। लेकिन आग लगने के कारणों पर जो जानकारी सामने आ रही है वह चौंकाने वाली है। उच्च हिमालयी क्षेत्र में इस बार हिमपात नहीं हुआ है। इस कारण जमीन की नमी लगातार कम हो रही है। माना जा रहा है कि शिकारी इसी मौके का फायदा उठाने में लगे हैं। जंगली जानवरों को निशाना बनाने के लिए वन्य जीव तस्कर ही जंगलों में आग लगा रहे हैं। इस समय उच्च हिमालयी क्षेत्र के गांवों में लोग नहीं रहते, इससे तस्करों को मौका मिल जाता है।
इस बार आग चीन सीमा से सटे उच्च हिमालयी क्षेत्र के गर्ब्यांग और छियालेख के बीच चंपूनाला क्षेत्र के जंगलों में लगी थी। आईटीबीपी के जांबाजों ने आग पर काबू पाने में वन विभाग की मदद की। जवानों को शून्य से दस डिग्री नीचे चल रहे तापमान में 11 हजार फुट की ऊंचाई तक आग पर काबू पाने के लिए जाना पड़ा। इस काम में आईटीबीपी के 55 जवान रातदिन जुटे रहे। आग पर नियंत्रण होने के बाद मंगलवार को आईटीबीपी सातवीं वाहिनी मुख्यालय ने प्रेस नोट जारी कर इसकी जानकारी दी।
आईटीबीपी के सेनानी महेंद्र प्रताप ने बताया कि गुंजी, गर्ब्यांग एवं छियालेख चौकी से उपसेनानी महेंद्र चंद मीणा के नेतृत्व में छह अधीनस्थ अधिकारियों और 48 जवानों की टीम ने रात दिन आग पर काबू पाने का प्रयास किया। आग को नियंत्रित करने के लिए आईटीबीपी के जवानों ने कंट्रोल बर्निंग का सहारा लिया और जगह-जगह आग पर काबू पाने के लिए रेखाएं तैयार की। आईटीबीपी के अग्निशमन दस्तों ने आग पर काबू पाने के लिए पूरी तकनीक का इस्तेमाल किया। आग लगने के बाद रेकी के लिए वन विभाग ने अपनी टीम रवाना कर दी है। वन विभाग के मुताबिक आग लगने से वन संपदा का काफी नुकसान हुआ है।