Kumbh 2021 : आज 6 अप्रैल से हो रही है कुंभ की अध्यात्मिक शुरुआत

कुंभ के शुरू होने के लिए जरूरी है कि गुरु ग्रह कुंभ राशि में और सूर्य मेष या सिंह राशि में प्रवेश करें।

Update: 2021-04-06 04:51 GMT

सोशल मीडिया से फोटो

हरिद्वार : वैसे तो 1 अप्रैल को हरिद्वार कुंभ की औपचारिक शुरुआत हो चुकी है। कोरोना के साये में शुरू हुए दुनिया के इस सबसे बड़े धार्मिक मेले में महामारी का असर भी दिख रहा है। कोरोना गाइडलाइन और बढ़ते संक्रमण की वजह से श्रद्धालुओं की भीड़ में कमी है। कुंभ की शुरूआत सरकारी तौर पर 1एक अप्रैल से भले हुई है। लेकिन ग्रह नक्षत्रों की स्थिति को देखते हुए आज से कुंभ की शुरूआत हो रही है।

आज से कुंभ की शुरुआत के लिए ज्योतिषीय गणना जिम्मेदार है, क्योंकि कुंभ की शुरुआत तब होती है जब बृहस्पति, कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं। इसलिए कुंभ की शुरुआत मंगलवार 6 अप्रैल से हुई। वैसे कुंभ के लिए संतों का जमावड़ा मकर संक्रांति से ही शुरू हो जाता है और शिवरात्रि को पहला बड़ा स्नान भी माना जाता है। मगर ज्योतिषीय गणनाओं के मुताबिक कुंभ की शुरुआत तब होती है जब बृहस्पति, कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं। 12 साल में एक बार बनने वाला यह संयोग 6 अप्रैल आज बन रहा है। मान्यता है कि इसी दिन से कुंभ फलदायी है।

इस ग्रह का दुर्लभ संयोग

विद्वानों और ज्योतिषाचार्य का मत है कि कुंभ के शुरू होने के लिए जरूरी है कि गुरु ग्रह कुंभ राशि में और सूर्य मेष या सिंह राशि में प्रवेश करें। कुंभ के आरंभ होने की तिथि पर संत समाज का कहना है कि मकर संक्रांति से साधु-संत कुंभ के शुरू होने की प्रतीक्षा करते हैं। इस प्रतीक्षा का बड़ा पड़ाव शिवरात्रि को माना जाता है। मगर कुंभ की शुरुआत तभी होती है जब ग्रहों का दुर्लभ संयोग बनता है। बृहस्पति को कुंभ राशि से निकलकर दोबारा इस राशि में प्रवेश करने में 11 साल, 11 माह और 27 दिन लगते हैं। अत: कुंभ 12 साल बाद आता है।



मोक्ष और सौभाग्य के कारक ग्रह

कुंभ राशि के स्वामी शनिदेव है। शनि को कर्म एवं लाभ का प्रतीक मानते हैं जबकि बृहस्पति को भाग्य और मोक्ष का। सनातन धर्म में व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्त तभी होती है जब भाग्य, कर्म और लाभ में संतुलन हो। कुंभ का समय वह होता है जब बृहस्पति ग्रह, कुंभ राशि में प्रवेश करता है।

स्वामी शनि और बृहस्पति दोनों का प्रभाव होता है। अत: मान्यता है कि कुंभ के दौरान मोक्ष प्राप्ति की संभावना सर्वाधिक होती है। इस समय बृहस्पति के प्रभाव के कारण व्यक्ति की पाप करने की क्षमता क्षीण होती है और वह सत्कर्म की ओर प्रेरित होता है। अत: इसे शुभकार्य शुरू करने का उत्तम समय माना गया है।

जाने कब-कब लगता है कुंभ

हरिद्वार के कुंभ तब लगता है जब गुरु कुंभ राशि में आते हैं और सूर्य मेष राशि में प्रवेश करके उच्च के होते हैं तब पूर्ण कुंभ होता है। 13 अप्रैल को सूर्य मेष राशि में प्रवेश कर रहे हैं। प्रयाग का कुंभ जब गुरु मकर राशि और सूर्य मेष राशि में होते हैं तब कुंभ होता है। उज्जैन के कुंभ के लिए सूर्य का मेष और नासिक के लिए सूर्य का सिंह राशि में होना जरूरी है। इन दोनों को सिंहस्थ कहते हैं।



 

शाही स्नान की संख्या में कमी

इस बार कुंभ मेले की अवधि कम करने के साथ ही शाही स्नान की संख्या में भी कमी की गई है। पहले जहां कुंभ मेले के दौरान 4 शाही स्नान होते थे उसे इस बार घटाकर 3 कर दिया गया है। हरिद्वार कुंभ मेला 2021 के दौरान अप्रैल के महीने में 3 शाही स्नान होंगे- पहला शाही स्नान 12 अप्रैल (सोमवती अमावस्या), दूसरा शाही स्नान 14 अप्रैल (बैसाखी) , तीसरा शाही स्नान 27 अप्रैल (पूर्णिमा के दिन) ।

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