Joshimath Sinking: जोशीमठ में स्थिति खतरनाक, भरभराकर गिरी इमारत..'Red Zone' में लगातार चौड़ी हो रही दरारें
Joshimath Sinking: जोशीमठ के मनोहर बाग इलाके में गौशाला की इमारत अचानक भरभराकर गिर पड़ी। आसपास के खेतों में कई जगह दरारें और चौड़ी होती जा रही हैं। सर्वेक्षण कार्य जारी है।
Joshimath Sinking: 'देवभूमि' उत्तराखंड के जोशीमठ (Uttarakhand) में खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। इमारतों की दरारें लगातार चौड़ी होती जा रही हैं। बावजूद स्थानीय लोग घर छोड़ने को तैयार नहीं हैं। शनिवार (14 जनवरी) को ही देखते ही देखते गौशाला का भवन एक तरफ झुका और भरभराकर गिर गया। आसपास के लोगों में दहशत बढ़ी। हालात चिंताजनक हैं। ऐसे में विभाग की टीम लगातार 'रेड जोन' में सर्वेक्षण (Survey in Red Zone Joshimath) के बाद रिपोर्ट राज्य सरकार को दे रही है
जोशीमठ के मनोहर बाग (Manohar Bagh of Joshimath) में गौशाला के आसपास खेतों की जमीन भी धंस रही है। दरारें चौड़ी हो गई है। हालात के मद्देनजर लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने भी माना है कि खतरा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। हालात चिंताजनक हैं। ऐसे में विभाग की टीम लगातार रेड जोन में सर्वेक्षण कर अपनी रिपोर्ट प्रदेश की धामी सरकार को दे रही है।
खड़गे ने किया ट्वीट, पीएम मोदी को घेरा
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Congress President Mallikarjun Kharge) ने 14 जनवरी को जोशीमठ आपदा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) पर निशाना साधा। उन्होंने सरकार पर इमारतों में दरारों की रिपोर्ट दबाने का आरोप लगाया। खड़गे ने ट्वीट किया। लिखा, 'जोशीमठ के बाद अब कर्णप्रयाग और टिहरी गढ़वाल से भी मकानों में दरारों की ख़बर आ रही है। विपदा का समाधान व जनता की समस्याओं के निदान के बजाय, सरकारी एजेंसियों- ISRO की रिपोर्ट पर पाबंदी और मीडिया से बातचीत पर रोक लगाई। नरेंद्र मोदी जी, डू नॉट शूट द मैसेंजर।'
कर्णप्रयाग में भी घरों में दरारें
जोशीमठ के बाद कर्णप्रयाग में भी घरों में दरारें दिखाई देने लगी हैं। जोशीमठ में असुरक्षित करार दिए गए 'मलारी इन' और 'माउंट व्यू' नाम के दो होटलों को गिराने की प्रक्रिया शुक्रवार से सुबह हुई है। जमीन धंसने से दोनों होटल एक-दूसरे पर झुक गए हैं। जिससे बड़ी संरचनात्मक क्षति हुई है।
रेड जोन' में सर्वेक्षण जारी, खतरा बढ़ रहा
जोशीमठ में रह रहे लोगों के अनुसार, शनिवार को मनोहर बाग इलाके में गौशाला की एक इमारत अचानक पहले एक तरफ झुकी, फिर भरभराकर गिर गई। हालांकि, मलबे में किसी के दबने आदि कई खबर नहीं है। इसी प्रकार आसपास के खेतों में भी कई जगह दरारें और चौड़ी हो गईं। ये दरारें कई फिट गहरी हैं। जानकारी मिलते ही पीडब्ल्यूडी टीम सर्वे के लिए मौके पर पहुंची। रिपोर्ट सरकार को दिया जाएगा। अधिकारियों की मानें तो जोशीमठ में 'रेड जोन' में लगातार सर्वेक्षण कार्य जारी है। दरारें बढ़ती ही जा रही हैं। स्थिति बेहद खतरनाक है।
मिट्टी-पत्थर से बनी थी गौशाला
मनोहर बाग के स्थानीय निवासियों ने बताया ये गौशाला मिट्टी और पत्थरों से बनी थी। यह ढांचा पुराना था। हालांकि, गौशाला के आगे वाले हिस्से में नया और पक्का निर्माण किया गया था। जैसे ही इस गौशाला की जमीन पर दरारें आनी शुरू हुई, यह एक तरफ झुकने लगी। लोग भागकर बाहर निकले ही थे कि, इमारत भरभराकर गिर गई। हालांकि, किसी के हताहत की खबर नहीं है। उसी वक्त पास के खेतों में भी भू-धंसाव देखने को मिला। खेतों में दरारें और चौड़ी हो गई। PWD ने मौके का मुआयना किया। सर्वेक्षण रिपोर्ट सरकार को दी जाएगी।
इस बीच शुक्रवार को उत्तराखंड सरकार ने कैबिनेट मीटिंग में कई अहम फैसले लिए। जिनमें जोशीमठ के लोगों के लिए महत्वपूर्ण निर्देश दिए गए।
- मुख्यमंत्री धामी कैबिनेट ने 45 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता को मंजूरी दी।
- 05 जगहों को पुनर्वास के लिए कैबिनेट ने किया चिन्हित।
- जोशीमठ आपदा प्रभावितों की किराया दर 4,000 की जगह बढाकर 5,000 किया गया है।
- धामी कैबिनेट ने किराया राशि में 1000 रुपए की वृद्धि की।
- कैबिनेट में मौजूद मंत्रियों ने एक महीने का वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में देने का फैसला लिय।
- जोशीमठ आपदा प्रभावितों के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष (Chief Minister's Relief Fund) में जमा करेंगे मंत्री एक महीने का वेतन।
- राहत शिविरों में रह रहे लोगों को 450 रुपए खाने के एक दिन के लिए दिए जाएंगे।
- यदि कोई राहत शिविर की बजाय खुद से खाना बनाता है, तो उसे भी एक दिन के एक व्यक्ति के 450 रुपए खाने का दिया जाएगा।
- जोशीमठ विस्थापन के लिए 15 हजार रुपए प्रति पशु दिए जाएंगे।
- बड़े पशुओं के चारा के लिए 80 रुपए और छोटे पशुओं के लिए 40 रुपए दिए जाएंगे।
- नवंबर 2022 महीने से 6 महीने के लिए बिजली और पानी के बिल माफ किए गए।
- सहकारी बैंक से लिए गए लोन को अगले एक साल तक न भरने की छूट दी गई है।
- वाणिज्यिक और सरकारी बैंक की किस्त पर एक साल तक रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध करने की बात कही गई है।