LAC से सिर्फ 100 किमी दूर है जोशीमठ, बद्रीनाथ हाईवे पर भी दरार, चीन से सतर्क रहना होगा Indian Army को

Joshimath Sinking: जोशीमठ आपदा के बीच इंडियन आर्मी को सतर्क रहने की जरूरत है। इस बीच, थलसेना अध्यक्ष ने उत्तरी सीमा पर स्थिति नियंत्रण में होने की बात कही।

Written By :  aman
Update:2023-01-12 15:58 IST

प्रतीकात्मक चित्र (Social Media)

Joshimath Sinking: उत्तराखंड का चमोली जिला भारत के पड़ोसी राष्ट्र चीन से सटा है। सामरिक नजरिये से ये भारत के बेहद अहम जिला है। चमोली के जोशीमठ में इन दिनों जमीन धंसने की ख़बरों ने भारतीय सेना के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ा दी है। क्योंकि, जोशीमठ से चीन सीमा 100 किलोमीटर ही दूर है। आपदा के इस दौर में इंडियन आर्मी को चीन से बेहद सतर्क रहना होगा। 

आपको बता दें, सामरिक नजरिये से अहम बदरीनाथ हाईवे (Badrinath Highway) भी जोशीमठ भू-धसाव की जद में आ चुका है। इस हाइवे पर बड़ी-बड़ी दरारें चिंता का सबब बन गई हैं। यदि दरारें नहीं थमीं तो बदरीनाथ हाईवे का बड़ा हिस्सा कभी भी जमींदोज हो सकता है। ऐसी सूरत में भारतीय सेना (Indian Army) चीन की सीमा से कट सकती है। आपको बता दें, जोशीमठ से बदरीनाथ की दूरी महज 46 किलोमीटर है। बदरीनाथ से आगे का रास्ता चीन सीमा की तरफ जाता है।


सामरिक नजरिये से अहम है चमोली 

भारत का अपने पड़ोसी देश चीन से अक्सर सीमा विवाद होता रहता है। चीन कभी लद्दाख तो कभी अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर घुसपैठ की कोशिशें करता रहा है। चीन के निशाने पर उत्तराखंड का चमोली जिला हमेशा ही चीन के निशाने पर रहा है। चीन से चुनौती के मद्देनजर 2014 के बाद से केंद्र सरकार का जोर सीमा पर सड़कों के नेटवर्क को तैयार करने पर रहा है। इस बीच सामरिक नजरिये से अहम चमोली जिले का जोशीमठ दरकने लगा है। यहां के मकानों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ने लगी हैं। चौड़ी दरारों ने केंद्र और राज्य सरकार के साथ-साथ भारतीय सेना के माथे पर भी चिंता की लकीरें बढ़ा दी है। बता दें, जोशीमठ चीन सीमा से 100 किलोमीटर ही दूर है।  


बदरीनाथ हाईवे पर भी दरारें, बढ़ाएगा संकट

गौरतलब है कि, जोशीमठ से 46 किलोमीटर की दूरी से बदरीनाथ हाईवे गुजरता है। इस हाईवे पर चौड़ीकरण का काम भी जारी है। जिसका मकसद है कि सड़कें इतनी चौड़ी और सुविधाजनक हो, ताकि संकट या युद्ध के वक्त इंडियन आर्मी अपने  साजो सामान के साथ सहजता और तेजी के साथ सीमा पर पहुंच सके। हालांकि, इसके विकल्प के तौर पर हेलंग-मारवाड़ी बाईपास (Helang-Marwari Bypass) का निर्माण भी हो रहा है। जोशीमठ में जमीन धंसने आपदा से प्रभावित परिवारों की ही नहीं, बल्कि सीमा सड़क संगठन (BRO) की पेशानी पर भी बल डाल दिए हैं।


जोशीमठ पर क्या बोले थल सेनाध्यक्ष?

आर्मी-डे (Army Day) से पहले थल सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे (General Manoj Pande) ने राजधानी दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। जिसमें उन्होंने जोशीमठ संकट पर भी बात की। मनोज पांडे ने कहा, 'हमने अस्थाई तौर पर अपने जवानों को स्थानांतरित किया है। यदि जरूरत हुई तो हम औली (Auli) में अपने जवानों को स्थाई तौर पर तैनात करेंगे। जोशीमठ से माणा (Joshimath to Mana) जाने वाली सड़क पर कुछ दरारें दिखाई दी हैं। बीआरओ (BRO) उसे ठीक करने में जुटा है। उन्होंने कहा, इन दरारों से हमारी परिचालनगत तत्परता (Operational Readiness) पर कोई खास असर नहीं पड़ा है।'

जनरल पांडे ने आगे कहा, जहां तक स्थानीय लोगों को मदद पहुंचाने की बात है, हमने अपने अस्पताल (Hospital), हेलीपैड (Helipad) आदि सिविल प्रशासन को दिए हैं। जिससे वो लोगों को अस्थाई तौर पर लोगों को स्थानांतरित कर सकें।

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