नेपाल के आखिरी राजा: 3 साल की उम्र में बने शासक, कुंभ में करेंगे शाही स्नान
इन दिनों उत्तराखंड के हरिद्वार में कुंभ मेला चल रहा है। देश-विदेश से श्रद्धालु इस मेले में आ रहे हैं। ऐसे में खबर...
हरिद्वार। इन दिनों उत्तराखंड के हरिद्वार में कुंभ मेला चल रहा है। देश-विदेश से श्रद्धालु इस मेले में आ रहे हैं। ऐसे में खबर ये भी है कि नेपाल के राजा भी हरिद्वार में आयोजित कुंभ मेले में भक्ति का आनंद प्राप्त करने के लिए आज हरिद्वार पहुंचेंगे। साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि नेपाल के अंतिम राजा ज्ञानेंद्र वीर सिंह शाह साधु- संतों के साथ शाही स्नान भी करेंगे। मिली ताजा जानकारी के अनुसार, ज्ञानेंद्र वीर सिंह शाह आज सुबह 9 बजे कुंभ नगरी पहुंच गए हैं। यहां पर वे आज दक्षिण काली मंदिर भी जाएंगे। फिर इसके बाद वे कल यानी 12 अप्रैल को शाही स्नान करेंगे और शाही स्नान के बाद वे देहरादून जाएंगे।
नेपाल के राजा ज्ञानेन्द्र वीर विक्रम शाह 2 बार राजा बन चुके है। यहां हुए नारायणहिटी काण्ड के बाद मे दुसरे बार राजा बने उसके बाद उन्होंने देश की सार्वभौमसत्ता जनता से लेकर शासन करने लगे। लेकिन जनता के विरोध और नेपाली जनआन्दोलन 2 के पश्चात उन्हें जनता को देश का सत्ता हस्तान्तरण करना पड़ा।
कौन है नेपाल के राजा
राज शासन यानी नेपाल में राजपरिवार के शासन का सिलसिला बहुत पुराना है। यहां पर एक ही राजपरिवार शाह वंश के सदस्यों का शासन रहा। जो अपने आपको प्राचीन भारत के राजपूतों का वंशज मानते थे। ऐसा माना जाता है कि इन्होंने साल 1768 से साल 2008 तक देश पर शासन किया। लेकिन सन् 2001 के जून में यहां रॉयल पैलेस के अंदर ही नरसंहार हुआ, जिसमें परिवार के 9 सदस्य मारे गए।
इसके साथ ही ये भी माना जाता है कि काठमांडू स्थित नारायणहिति राजमहल में अंदरुनी अनबन की वजह से गुस्साएं क्राउन प्रिंस दीपेंद्र ने ताबड़तोड़ गोलियों की बौछार कर सबको मार डाला था। फिर इसके तुरंत बाद क्राउन प्रिंस के चाचा ज्ञानेन्द्र शाह राजगद्दी पर बैठे। लेकिन सन् 2008 में राज-तंत्र खत्म कर दिया गया और 28 मई को देश को Federal Democratic Republic घोषित कर दिया गया।
फिर इसके तुरंत बाद पूर्व राजा ज्ञानेंद्र को राजमहल खाली करने को कहा गया। जिसके बदले में कुछ समय के लिए वे नागार्जुन पैलेस में रहे। बता दें, इस पैलेस यानी महल में पहले राजपरिवार गर्मी की छुट्टियां बिताने आया करता था। लेकिन अब यहीं वे स्थाई तौर पर रहने लगे हैं।
सन् 1955 से 1972 की बात है तब नेपाल पर राज करने वाले महेन्द्र वीर बिक्रम शाह की संतान ज्ञानेन्द्र वीर बिक्रम शाह का जीवन गद्दी के मामले में हमेशा से ही उथल-पुथल से भरा हुआ था। उस समय पहली बार उन्हें नेपाल का शासक घोषित किया गया, तब उनकी उम्र सिर्फ 3 साल थी।
इस बीच 1950 की बात है, जब राजनैतिक अस्थिरता के कारण बच्चे ज्ञानेंद्र को पूरे एक साल के लिए देश का राजा घोषित कर दिया गया। ज्ञानेन्द्र की दूसरी पारी शाही परिवार की हत्या के बाद शुरू हुई, जो 2001 से लेकर 2008 तक चली। वहीं इस दौर को दुनिया के आखिरी हिंदू राजा का दौर माना जाता है। ऐसे में नेपाल में लोकतंत्र के साथ ही समाप्त हो गया।