देहरादून: अमरनाथ गुफा क्षेत्र में तेजी से बढ़ते धार्मिक अनुष्ठानों और लोगों की भीड़ से क्षेत्र में बढ़ रही गर्मी से गुफा में बनने वाले बर्फ के शिवलिंग पर मंडराते खतरे को देखते हुए और पारिस्थितिकी संतुलन गड़बड़ाने की गहराती आशंका के बीच राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दक्षिण कश्मीर हिमालय में स्थित अमरनाथ गुफा की पर्यावरण संवेदनशीलता को बनाये रखने के लिए इसे मौन क्षेत्र घोषित कर दिया। जो कि देर से उठाया गया सही कदम है।
पिछले कुछ वर्षों से जिस तरह से अमरनाथ जाने वाले यात्रियों की संख्या में इजाफा हो रहा है। और प्रकृति की इस अनूठी रचना को दूर से देखकर आनंद लेने के बजाय वहां धूप दीप अगरबत्ती जलाने की प्रवृत्ति बढ़ रही थी इसका नतीजा यह हो रहा था कि प्राकृतिक रूप से निर्मित शिवलिंग समय से पहले ही पिघल जा रहा था। इस शिवलिंग का अपने आप पिघलना और मानव के प्रयासों से पिघलना अंतर रखता है। यह गंभीर चिंता का विषय था।
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा है कि अमरनाथ गुफा बोर्ड को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि तीर्थयात्रियों को समुचित ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध कराई जायें ताकि वे स्पष्ट दर्शन करने से वंचित न रहें और क्षेत्र का पारिस्थितिकी तंत्र भी बना रहे। उन्होंने 12,756 फुट की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा मंदिर की पर्यावरण-संवेदनशीलता को बनाये रखने के लिए इसे मौन क्षेत्र घोषित कर दिया है और अमरनाथ मंदिर के प्रवेश दवार से आगे धार्मिक रस्मों पर रोक लगा दी है।
हालांकि विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने इस आदेश को तुगलकी फतवा बताया। विहिप ने कहा कि हिन्दू पृथ्वी पर होने वाली प्रत्येक पारिस्थितिक समस्या के लिए जिम्मेदार नहीं है। और इस मुद्दे पर विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया ने कहा, ‘‘हम भारत सरकार से हर बार एक या अन्य कारण से हिन्दू धर्म की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाने की अपील करते है, एनजीटी को इस प्रकार के तुगलकी फतवे को वापस ले लेना चाहिए।’’
क्या हैं एनजीटी पीठ के निर्देश
-धार्मिक गुफा की ओर जाने वाली सीढ़ियों से किसी को भी कुछ भी अपने साथ ले जाने की अनुमति नहीं होगी।
-हर व्यक्ति की प्रवेश बिंदु पर अच्छी तरह से तलाशी ली जानी चाहिए।
-सीढ़ियों से और गुफा के अंदर के क्षेत्र को मौन क्षेत्र किया जाना चाहिए।
-हिम शिवलिंग के सामने लोहे की ग्रिलों को हटाया जाए ताकि श्रद्धालु भलीभांति दर्शन कर सकें।
-पवित्र गुफा के निकट ध्वनि प्रदूषण भी नहीं हो।
-अंतिम जांच बिंदु से आगे मोबाइल फोन समेत निजी सामानों को नहीं ले जाने दिया जाए।
- श्राइन बोर्ड एक ऐसा स्थान बनाये जहां लोग अपना कीमती सामान रख सकें।
-पर्यावरण और वन मंत्रालय एक अतिरिक्त सचिव की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की समिति बनाएं।
-समिति तीर्थयात्रियों को उपलब्ध कराई जाने वाली सुविधाओं पर तीन सप्ताह के भीतर कार्ययोजना दे।