देहरादून : राजनीति में उतरने का एलान करने के बाद प्रसिद्ध अभिनेता रजनीकांत इन दिनों उत्तराखंड के दौरे पर हैं। रजनीकांत का देवभूमि का दो हफ्ते का यह दौरा पूरी तरह आध्यात्मिक है। उन्होंने कहा कि वह पहली बार यहां नहीं आए हैं बल्कि वह यहां कई दशक से आते रहे हैं। इस बार वह जम्मू में शिव गुफा व हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला की संक्षिप्त यात्रा के बाद ऋषिकेश पहुंचे हैं। रजनीकांत ने स्पष्ट किया कि उनकी हिमालय की यात्रा आध्यात्मिक है इसका उद्देश्य आध्यात्मिकता को स्वयं महसूस करना है।
ऋषिकेश में दयानंद सरस्वती आश्रम में पत्रकारों से उन्होंने कहा कि मैने अभी अपनी पार्टी की घोषणा भी नहीं की है और फिलहाल मैं इस विषय पर कुछ कहना नहीं चाहता हूं। रजनीकांत ने सफाई देने के से अंदाज में कहा कि अभी वह पूर्णकालिक राजनेता नहीं बन पाए हैं। फिलहाल वह कुछ दिन आश्रम में रहकर ध्यान करेंगे।
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67 वर्षीय अभिनेता ने यह बात पत्रकारों द्वारा अभिनेता से नेता बने मक्कल नीधि मयिअम के संस्थापक कमल हासन की एक टिप्पणी का जवाब देते हुए कही। कमल हासन ने कहा था कि वह बहुत से राजनीतिक मामलों पर प्रतिक्रिया नहीं देते। कमल हासन ने कहा था कि कावेरी मुद्दे पर रजनीकांत की चुप्पी को निशाना बनाया जाना गलत है, खुद उन्होंने भी मुद्दों पर प्रतिक्रिया नहीं दी है। कमल हासन ने यह बात उस समय कही थी जब उनसे कर्नाटक के साथ पानी के बंटवारे के सवाल पर रजनीकांत की चुप्पी को लेकर उनसे एक सीधा सवाल किया गया था। रजनीकांत ने पिछले हफ्ते अपने पहले भाषण में कहा था कि उनके राजनीति में आने की वजह तमिलनाडु में राजनीतिक रिक्तता को भरना है।
रजनीकांत ने 31 दिसंबर 2017 को तमिलनाडु में 2021 में होने वाले चुनाव के लिए एक पार्टी बनाने की घोषणा की थी जो कि सभी 234 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उन्होने कहा था कि वह राज्य में चुनाव लड़ें या नहीं लेकिन 2019 के चुनाव के बाद वह पार्टी का एलान कर देंगे। दिलचस्प बात यह है कि दोनों अभिनेताओं कमल हासन और रजनीकांत ने पूर्व मुख्यमंत्री और एआईएडीएमके सुप्रीमो जे जयललिता की मृत्यु के बाद और डीएमके प्रमुख एम. करुणानिधि के खराब स्वास्थ्य का फायदा उठाने की नीयत से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की है।