13 साल का वेतन एक साथ भुगतान करे रामदेव की फार्मेसी

Update:2018-01-12 13:16 IST

नैनीताल : उत्तराखंड उच्च नैनीताल में योग गुरु बाबा रामदेव की दिव्य फार्मेसी को झटका लगा है। कोर्ट ने दिव्य फार्मेसी से जुड़ी एक विशेष अपील को खारिज कर दिया है और कंपनी को 96 कर्मचारियों को 2005 में हुए समझौते के आधार पर तय वेतन देने के आदेश दिए हैं।

आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि कंपनी को पिछले 13 साल का भुगतान करना होगा। यह आदेश दिव्य फार्मेसी की ओर से एकलपीठ को चुनौती देने वाली एक याचिका की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश के.ए. जोसफ एवं न्यायमूर्ति यू.सी. ध्यानी की संयुक्त खंडपीठ ने जारी किया है।

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इस आदेश के बाद फार्मेसी को कर्मचारियों को 14.50 करोड़ रुपये देने होंगे। मई 2005 में दिव्य फार्मेसी तथा कर्मचारियों के बीच वेतन को लेकर एक समझौता हुआ था। इसमें तय हुआ था कि अप्रैल 2005 से सभी कर्मचारियों को इसी आधार पर वेतन दिया जाएगा।

कर्मचारियों ने कंपनी पर समझौते का पालन न करने का आरोप लगाया। इस बीच 2013 में कर्मचारियों ने उच्च न्यायालय में दस्तक दी। इसमें एकलपीठ ने कर्मचारियों के पक्ष में फैसला दिया था।

बाद में इस फैसले के खिलाफ दिव्य फार्मेसी उच्चतम न्यायालय गई। यहंा उच्चतम न्यायालय ने हरिद्वार के सहायक श्रम आयुक्त को पूरे मामले को स्पष्ट करने के निर्देश दिए। तब सहायक आयुक्त ने सभी कर्मचारियों को 2005 के आधार पर वेतन पाने का पात्र पाया।

इस आदेश के खिलाफ दिव्य फाम्रेसी फिर उच्च न्यायालय पहुंची। एकलपीठ ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद श्रम आयुक्त के आदेश को सही बताया एवं कंपनी को सभी कर्मचारियों को वेतन देने के निर्देश जारी कर दिया। इस आदेश को दिव्य फार्मेसी ने विशेष अपील दाखिल कर चुनौती दी थीं।

‘पतंजलि’ के पूर्व सीईओ एसके पात्रा भी आरोप लगा चुके हैं कि कंपनी की लगातार होती तक्करी का फायदा उसके कर्मचारियों को नहीं मिल रहा है। उनका आरोप है कि पतंजलि अपने कर्मचारियों को कम सैलरी देती है। एसके पात्रा ने एक मीडिया से बातचीत में यह भी कहा था कि बाबा रामदेव का मानना है उनके कर्मचारी एक ‘सेवा’ कर रहे हैं और इसीलिए भुगतान किए बिना ही काम कर सकते हैं।

बाबा राम देव ने पात्रा के लिए भी कहा था कि एसके पात्रा सेवा करने आए हैं और कुछ दिनों बाद वह सैलरी लेना छोड़ देंगे। लेकिन एसके पात्रा ने रामदेव के दावे को गलत बताते हुए नौकरी छोड़ दी।

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