Joshimath Sinking: CM पुष्कर सिंह धामी पहुंचे जोशीमठ, रात में करेंगे कैंप..जेपी नड्डा ने फोन पर लिया जायजा

Joshimath Sinking: सीएम पुष्कर सिंह धामी बुधवार को जोशीमठ पहुंचे। वो रात में यहीं कैंप में रुकेंगे। प्रधानमंत्री मोदी और जेपी नड्डा लगातार  उनसे राहत-बचाव कार्यों का अपडेट ले रहे।

Written By :  aman
Update:2023-01-11 20:45 IST

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Social Media)

CM Dhami visits Joshimath: जोशीमठ में जमीन धंसने मामले पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और राज्य की पुष्कर सिंह धामी गवर्नमेंट अलर्ट मोड पर है। प्रधानमंत्री मोदी लगातार मुख्यमंत्री धामी (CM  Pushkar Singh Dhami) से जोशीमठ का अपडेट ले रहे हैं। सीएम धामी हालातों का जायजा लेने के लिए स्वयं जोशीमठ पहुंच गए हैं। वो जोशीमठ में राहत और बचाव कार्यों की समीक्षा में जुटे हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री गुरुवार रात जोशीमठ में ही रुकेंगे।

वहीं, भारतीय जनता पार्टी (BJP) राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (BJP President JP Nadda) ने भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट (Mahendra Bhatt) से फोन पर बात की। उन्होंने जोशीमठ के ताजा हालातों को लेकर जानकारी हासिल की। इस दौरान जेपी नड्डा ने जोशीमठ में चल रहे राहत एवं बचाव कार्यों के बारे में भी जाना।

जेपी नड्डा- बीजेपी कार्यकर्ता जुटे मदद में   

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जोशीमठ आपदा (Joshimath Disaster) को लेकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बात की। इस दौरान नड्डा ने सीएम धामी को जोशीमठ को लेकर हर संभव मदद का आश्वासन दिया। नड्डा ने मुख्यमंत्री और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष महेंद्र भट्ट से कहा, कि 'जोशीमठ प्रभावितों के साथ मानवतावादी व्यवहार हो। किसी प्रकार की जनहानि न हो, इसके लिए सरकार जिम्मेदारी तय करे।' साथ ही, उन्होंने बीजेपी कार्यकर्ताओं को राहत कार्यों में जुटाने के लिए प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट को निर्देश दिए।


क्या है जोशीमठ में वर्तमान हालात?

आपको बता दें, कि लंबे समय से जोशीमठ के घरों में दरारें पड़ रही थीं। लेकिन हाल में हालात चिंताजनक हो गए। समय के साथ दरारें बढ़ती गई। बताया जा रहा है कि जोशीमठ शहर में 700 से भी अधिक घरों और होटलों में दरारें पड़ चुकी हैं। पूरे शहर में तेजी से भू-धंसान हो रहा है। इस वजह से मकान को चिन्हित कर प्रशासन लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में जुटा है। स्थानीय लोग विस्थापन और उचित मुआवजे की मांग करते हुए मकानों को तोड़ने से रोक रहे हैं। सरकार और प्रशासन लोगों को समझाने में जुटी है। लेकिन, लोग अपनी मांगों पर अड़े हैं। 

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