Pushkar Singh Dhami: मुख्यमंत्री ने कही ये बात, लखनऊ विश्व विद्यालय से मेरा गहरा नाता

Pushkar Singh Dhami: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज लखनऊ पहुँचने पर अपने बीते दिनों की याद करते हुए कई पुराणी स्मृतियों को ताजा किया।

Written By :  Shreedhar Agnihotri
Newstrack :  Network
Update:2021-11-17 21:10 IST

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी। (social media)

Pushkar Singh Dhami: मैं लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) से ही पढ़ा हूँ। यहां के विद्यार्थी जीवन से लेकर राजनीति के क्षेत्र में आने पर भी मैं बहुत समय तक लखनऊ से जुड़ा रहा। पुराणी स्मृतियों को याद करते हुए कहा कि आज मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार लखनऊ आने का अवसर प्राप्त हुआ। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज लखनऊ पहुँचने पर अपने बीते दिनों की याद करते हुए कई पुराणी स्मृतियों को ताजा किया ।

आज यहाँ विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण से मुलाकात के बाद पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि लखनऊ प्रवास के बीच मेरी विश्व संवाद केन्द्र में दीक्षित जी से भेंट होती रहती थी। उनका राजनैतिक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मामलों में सदैव मार्गदर्शन प्राप्त होता रहा है। इन सब स्मृतियों को स्मरण करते हुए कहा कि आज मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रथम बार लखनऊ आने का अवसर प्राप्त हुआ। लखनऊ आने पर सर्वप्रथम अपने अग्रजों और मार्गदर्शकों से भेंट करने का कार्यक्रम बनाया है।


उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष से भेंट करके बहुत प्रसन्नता हुई है। उनकी पुस्तकें और उनके सम्पादकीय लेख मुझे सदैव प्रेरणा देते रहे है और भविष्य में भी प्रेरणा के स्रोत बने रहेंगे। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तर प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित के 5 माल एवेन्यू स्थित आवास पर शिष्टाचार भेंट की। विधानसभा अध्यक्ष ने पुष्पगुच्छ भेंट कर उनका स्वागत किया। इसके साथ ही शाल एवं विधान सभा का एक मोमेन्टो भी भेंट किया। मुख्यमंत्री ने भी शाल एवं पुष्पगुच्छ भेंट कर अध्यक्ष का स्वागत किया।

दीक्षित ने स्वचरित पण्डित दीनदयाल उपाध्याय द्रष्टा, दृष्टि और दर्शन, अथर्ववेद का मधु, ज्ञान का ज्ञान, मधु अभिलाषा हिन्द स्वराज्य का पुनर्पाठ, राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ अर्न्तसंवाद एवं संसदीय दीपिका की मासिक पत्रिका भी भेंट की। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री ने अध्यक्ष द्वारा पण्डित दीनदयाल उपाध्याय पर लिखी पुस्तक के लेखन शैली की प्रशंसा करते हुए कहा कि पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जी के जीवन के विभिन्न पहलुओं एवं भारतीय सांस्कृतिक एवं आर्थिक दर्शन का जिस तरह विश्लेषण किया गया है, वह जन-जन के लिए उपयोगी है। 

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