Uttarakhand Election 2022: कड़े मुकाबले में फंसे हुए हैं भाजपा और कांग्रेस के कई दिग्गज, विधानसभा पहुंचने की राह आसान नहीं

Uttarakhand Election 2022: उत्तराखंड की 70 विधानसभा सीटों पर 14 फरवरी को मतदान होना है। चुनाव प्रचार का शोर शनिवार को थम जाएगा।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Deepak Kumar
Update:2022-02-11 19:56 IST

उत्तराखंड चुनाव 2022 की प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

Uttarakhand Election 2022: उत्तराखंड की 70 विधानसभा सीटों पर 14 फरवरी को मतदान होना है। चुनाव प्रचार का शोर शनिवार को थम जाएगा और इस कारण अंतिम क्षणों में सभी सियासी दलों और दिग्गज नेताओं ने पूरा जोर लगा दिया है। भाजपा (BJP) और कांग्रेस (Congress) के शीर्ष नेताओं की राज्य में चुनावी सभाएं हो चुकी हैं और सभी नेता एक-दूसरे पर सियासी हमले करते हुए मतदाताओं का समर्थन पाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

वैसे इस बार के चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के कई दिग्गज नेता भी कड़े मुकाबले में फंसे हुए हैं। मौजूदा हालात को देखते हुए सियासी जानकार भी इस बात का अंदाजा नहीं लगा पा रहे हैं कि ऊंट किस करवट बैठेगा। उत्तराखंड में हर पांच साल में सत्ता बदलाव की परंपरा को देखते हुए कांग्रेस नेता इस बार बदलाव के लिए आशान्वित हैं। वैसे राज्य के सियासी हालात को देखते हुए कोई भी चुनाव को लेकर ठोस भविष्यवाणी करने की स्थिति में नहीं है।

आप और निर्दलीयों ने भी फसाया पेंच

उत्तराखंड के चुनाव (Uttarakhand Election 2022) में भाजपा (BJP) और कांग्रेस (Congress) की लड़ाई में आम आदमी पार्टी और उत्तराखंड क्रांति दल (Uttarakhand Kranti Dal) ने भी पेच फंसा रखा है। कई सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार भी सियासी दलों के लिए चुनौती बने हुए हैं। कई सीटों का क्षेत्रफल तो काफी बड़ा है मगर उस लिहाज से मतदाताओं की संख्या काफी कम है। उत्तराखंड का मौसम इन दिनों काफी खराब होने के कारण मतदान प्रतिशत भी कम रहने की संभावना जताई जा रही है।

ऐसे में कई सीटों पर हार-जीत का मार्जिन काफी कम होने की उम्मीद है। ऐसे में उन दिग्गज नेताओं को ठंड में भी पसीना छूट रहा है जिनकी सीट कड़े मुकाबले में फंसी हुई है। भाजपा और कांग्रेस के कई बड़े चेहरे इस बार दिक्कतों में फंसे दिख रहे हैं और इसी कारण उन्होंने चुनाव प्रचार के आखिरी क्षणों में पूरी ताकत झोंक रखी है।

धामी और रावत की घेराबंदी

राज्य के मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Chief Minister Pushkar Singh Dhami) और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत (Former Chief Minister Harish Rawat) और दोनों को प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों ने घेर रखा है। उधम सिंह नगर की खटीमा विधानसभा सीट पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के खिलाफ उनके पुराने प्रतिद्वंद्वी भुवन कापड़ी चुनाव मैदान में उतरे हैं। धामी ने कापड़ी को हराकर ही 2017 में खटीमा सीट पर जीत हासिल की थी मगर इस बार कापड़ी धामी को कड़ी चुनौती देने में जुटे हुए हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में धामी ने यह सीट 2709 मतों से जीती थी। इस बार कापड़ी को हराने के लिए धामी को एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है।

नैनीताल जिले की लालकुआं सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की भाजपा ने तगड़ी घेराबंदी कर रखी है। भाजपा ने इस बार नए चेहरे मोहन सिंह बिष्ट को चुनाव मैदान में उतार कर रावत के लिए मुश्किलें पैदा कर दी हैं। 2017 के चुनाव में इस सीट पर भाजपा के नवीन दुमका ने बड़ी जीत हासिल की थी मगर भाजपा ने इस बार उनका टिकट काटकर बिष्ट को रावत के मुकाबले उतारा है। रावत को कांग्रेस की बागी उम्मीदवार संध्या डालाकोटी का भी सामना करना पड़ रहा है जो निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में कूद पड़ी हैं। यही कारण है कि रावत की जीत की राह आसान नहीं मानी जा रही है।

गोदियाल-कौशिक की सीटों पर रोचक मुकाबला

पौड़ी जिले (Pauri District) की श्रीनगर सीट (Srinagar seat) पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल (Congress state president Ganesh Godiyal) और राज्य के वरिष्ठ मंत्री डॉ धन सिंह रावत (Senior Minister Dr Dhan Singh Rawat) के बीच दिलचस्प मुकाबला हो रहा है। हालांकि गोदियाल की स्थिति थोड़ा मजबूत मानी जा रही है मगर रावत भी कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहे हैं। पिछले चुनाव में रावत ने गोदियाल को हरा दिया था और गोदियाल इस बार अपनी हार का बदला लेने के लिए रावत को पटखनी देना चाहते हैं।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक (BJP State President Madan Kaushik) हरिद्वार सीट (Haridwar seat) से चुनाव मैदान में उतरे हैं। वे लगातार चार बार इस सीट पर चुनाव जीत चुके हैं जिससे उनकी अपने क्षेत्र पर मजबूत पकड़ का पता लगता है। पिछले चुनाव में भी कौशिक ने 35 हजार से अधिक मतों से जीत हासिल की थी और इस बार भी उनकी स्थिति मजबूत बताई जा रही है मगर कांग्रेस प्रत्याशी सतपाल ब्रह्मचारी उन्हें चुनौती देने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

इन दिग्गजों पर भी सबकी निगाहें

राजधानी देहरादून की चकराता विधानसभा सीट पर नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह (Leader of Opposition Pritam Singh) की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। वे 2002 से 2017 तक लगातार चार बार इस सीट पर जीत हासिल कर चुके हैं मगर इस बार बॉलीवुड गायक जुबिन नौटियाल के पिता रामचरण नौटियाल को उतारकर भाजपा ने उनकी मुसीबतें बढ़ा दी हैं।

उत्तराखंड के चर्चित नेता हरक सिंह रावत (Leader Harak Singh Rawat) इस बार खुद तो चुनाव नहीं लड़ रहे हैं मगर लैंसडाउन सीट से उनकी पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरी हैं। हालांकि रावत अपने टिकट के लिए अंतिम समय तक हाथ पांव मारते रहे मगर उन्हें कांग्रेस का टिकट नहीं मिल सका। इसके पीछे कांग्रेस नेता हरीश रावत का विरोध भी बड़ा कारण माना जा रहा है। उनकी बहू को भी भाजपा प्रत्याशी की ओर से कड़ी चुनौती मिल रही है।

दो बेटियों की राह भी मुश्किल

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत (Former Chief Minister Harish Rawat) की बेटी अनुपमा रावत हरिद्वार ग्रामीण सीट पर चुनाव मैदान में उतरी है। पिछले चुनाव में हरीश रावत को इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा था। इसलिए इस बार का चुनाव उनके लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। इस सीट पर बसपा ने पहले दर्शन शर्मा को टिकट दिया था मगर बाद में पार्टी ने उम्मीदवार बदलते हुए यूनुस अंसारी को मैदान में उतार दिया है। बसपा के इस खेल ने अनुपमा रावत की राह मुश्किल कर दी है। हरीश रावत का आरोप है कि भाजपा प्रत्याशी स्वामी यतीश्वरानंद को जिताने के लिए बसपा ने यह खेल खेला है।

पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी (Former Chief Minister Bhuvan Chandra Khanduri) की बेटी रितु खंडूरी ने 2017 का चुनाव यमकेश्वर सीट से जीता था मगर इस बार भाजपा ने उन्हें कोटद्वार सीट से टिकट दिया है। 2012 के चुनाव में भुवन चंद्र खंडूरी को हराने वाले कांग्रेस प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह नेगी के सामने रितु खंडूरी कड़े मुकाबले में फंसी हुई हैं। उन्हें पार्टी के कुछ नेताओं की नाराजगी का भी सामना करना पड़ रहा है। यही कारण है कि उनकी जीत की राह भी आसान नहीं मानी जा रही है। 

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