Uttarakhand Election 2022: भाजपा और कांग्रेस दोनों के सामने बागियों की समस्या, मनाने के लिए वरिष्ठ नेताओं ने लगाई पूरी ताकत

Uttarakhand Election 2022: बागी उम्मीदवारों को मनाने के लिए दोनों दलों के वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई है।;

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Monika
Update:2022-01-31 10:56 IST

वरिष्ठ नेताओं ने लगाई पूरी ताकत (फोटो : सोशल मीडिया )

Uttarakhand Election 2022: उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Election 2022) में बागी उम्मीदवार दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस (Congress)  के लिए मुसीबत बन गए हैं। दोनों ही दलों में टिकट (ticket)  कटने से नाराज बागी नेता काफी संख्या में चुनाव मैदान में कूद पड़े हैं और इस कारण दोनों दलों को सियासी नुकसान की आशंका जताई जा रही है।

बागी उम्मीदवारों को मनाने के लिए दोनों दलों के वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई है। सोमवार को नाम वापसी का आखिरी दिन होने के कारण दोनों दलों ने बागियों को मनाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। अब यह देखने वाली बात होगी कि दोनों दल बागी नेताओं को मनाने में कहां तक कामयाब हो पाते हैं।

भाजपा के लिए 16 सीटों पर समस्या

उत्तराखंड में भाजपा बागी उम्मीदवारों (Uttarakhand BJP candidates) के चुनाव मैदान में कूदने से सबसे ज्यादा परेशानी में फंसी हुई है। राज्य में करीब 16 विधानसभा सीटें (16 assembly seats) ऐसी हैं जिन पर टिकट कटने से नाराज भाजपा नेताओं ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल कर दिया है। उत्तराखंड में भाजपा के चार वरिष्ठ नेताओं को बागी उम्मीदवारों को मनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जिन भाजपा नेताओं को डैमेज कंट्रोल की जिम्मेदारी सौंपी गई है,उनमें राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्री शामिल हैं।

वरिष्ठ नेताओं को सौंपी जिम्मेदारी

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Former CM Trivendra Singh Rawat) और केंद्रीय राज्यमंत्री अजय भट्ट ( Ajay Bhatt) को कुमाऊं की जिम्मेदारी सौंपी गई है। राज्य के एक और पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद रमेश पोखरियाल निशंक (Ramesh Pokhriyal Nishank) को हरिद्वार में डैमेज कंट्रोल के लिए लगाया गया है, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) को गढ़वाल मंडल की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इन चारों वरिष्ठ नेताओं के अलावा विभिन्न जिलों के प्रभारी मंत्रियों और अन्य वरिष्ठ नेताओं को भी बागियों को मनाने का काम सौंपा गया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता बागी उम्मीदवारों के नामांकन वापस कराने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

भाजपा के सामने घनसाली, यमुनोत्री, कर्णप्रयाग, रुड़की, धनोल्टी, पिरान कलियर, देहरादून कैंट, रुद्रपुर, कोटद्वार, भीमताल, लालकुआं, कालाढूंगी, द्वारहाट, धरमपुर, डोईवाला और ऋषिकेश सीटों पर बागी उम्मीदवारों की समस्या है। इसी कारण पार्टी नेताओं को बागियों को मनाने के काम में लगाया गया है।

कांग्रेस के लिए 10 सीटों पर मुसीबत

दूसरी ओर राज्य की सत्ता में वापसी के लिए पूरी ताकत झोंकने वाली कांग्रेस भी बागी उम्मीदवारों की समस्या से जूझ रही है। कांग्रेस में भी कई नेता पार्टी के टिकट वितरण के बाद नाराज बताए जा रहे हैं। राज्य की 10 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जिन पर पार्टी के ही नाराज लोगों ने बागी उम्मीदवारों के रूप में नामांकन कर दिया है। कांग्रेस की ओर से भी कई नेताओं को बागी उम्मीदवारों को मनाने का काम सौंपा गया है।

कई नेताओं को विभिन्न क्षेत्रों में भी भेजा गया है ताकि बागी उम्मीदवारों से बातचीत करके उन्हें नाम वापसी के लिए तैयार किया जा सके। कांग्रेस को लालकुआं, रुद्रप्रयाग, सहसपुर, ऋषिकेश, रायपुर, किच्छा, घनसाली, यमुनोत्री, बागेश्वर और रामनगर सीटों पर बागियों की समस्या से जूझना पड़ रहा है।

नाम वापसी के बाद तस्वीर होगी साफ

राज्य में सोमवार को नाम वापसी का आखिरी दिन है। राज्य की 70 विधानसभा सीटों पर 750 नामांकन दाखिल किए गए हैं जिनमें से 23 पर्चे रद्द किए जा चुके हैं। सोमवार को नाम वापसी के बाद आखिरी तस्वीर साफ हो सकेगी। निर्वाचन विभाग के मुताबिक के नाम वापसी के बाद उम्मीदवारों की अंतिम सूची जारी की जाएगी। 2017 के विधानसभा चुनाव में 637 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे। अंतिम सूची जारी होने के बाद ही यह पता लग सकेगा कि इस बार के चुनाव में कुल कितने प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे हैं।

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