Uttarakhand Election 2022: उत्तराखंड में इस बार सियासी मिथक टूटेगा या नहीं, जानिए क्या कहते हैं आंकड़े

Uttarakhand Election 2022: 2012 के विधानसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच कड़ा मुकाबला हुआ था। उस समय राज्य की 70 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस (Congress) ने 32 सीटें जीती थी जबकि भाजपा (BJP) भी कड़ा संघर्ष करते हुए 31 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Shreya
Update:2022-02-13 21:39 IST

(फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Uttarakhand Election 2022: उत्तराखंड का दिलचस्प सियासी इतिहास रहा है। अलग राज्य बनने के बाद 2002 से अभी तक चार विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Vidhan Sabha Chunav) हो चुके हैं और इन चुनावों में हर पांच साल पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सत्ता परिवर्तन होता रहा है। अब यह देखने वाली बात होगी कि यह सियासी मिथक इस बार टूटता है या नहीं। 2012 के विधानसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच कड़ा मुकाबला हुआ था। उस समय राज्य की 70 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस (Congress) ने 32 सीटें जीती थी जबकि भाजपा (BJP) भी कड़ा संघर्ष करते हुए 31 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी।

इस बार भी दोनों दलों के बीच कड़ा मुकाबला दिख रहा है और सियासी जानकार भी कोई स्पष्ट निष्कर्ष निकालने से कतरा रहे हैं। ऐसे में कुछ लोगों का मानना है कि इस बार भी 2012 जैसे नतीजे सामने आ सकते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 57 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत से सरकार बनाई थी।

भाजपा के 5 साल के राज में तीन नेताओं ने मुख्यमंत्री के रूप में काम किया। अब राज्य की कमान युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) के हाथों में है मगर इस बार भाजपा को कांग्रेस (BJP vs Congress) की ओर से कड़ी चुनौती मिल रही है। हालत यह है कि दिग्गज नेता भी अपनी सीट को लेकर आश्वस्त नहीं हैं। ऐसे में हर किसी की दिलचस्पी चुनावी नतीजे में है जिसका खुलासा 10 मार्च को ही हो सकेगा।

रावत की रणनीति मगर ताजपोशी एनडी की

उत्तराखंड के गठन के बाद 2002 में हुए चुनाव में कांग्रेस को जबर्दस्त संजीवनी मिली थी। कांग्रेस 70 विधानसभा सीटों में से 36 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही थी। नया राज्य बनने के बाद 2 साल तक राज्य की सत्ता संभालने वाली बीजेपी 19 सीटों पर ही अटक गई थी। कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भी राज्य में इतनी जबर्दस्त जीत का अंदाजा नहीं था। उस समय प्रदेश कांग्रेस की कमान हरीश रावत (Harish Rawat) के ही हाथों में थी और इस जीत में उनकी रणनीति का बड़ा योगदान माना गया था। हालांकि जब मुख्यमंत्री उत्तर करने का समय आया तो कांग्रेस हाईकमान ने हरीश रावत की जगह नारायण दत्त तिवारी (Narayan Datt Tiwari) के नाम पर मुहर लगा दी थी।

हालांकि इसे लेकर काफी बवाल हुआ था मगर बाद में हाईकमान ने रावत और उनके समर्थकों को बातचीत करके शांत कर दिया था। इस तरह उत्तराखंड बनने के बाद पहले चुनाव के बाद मुख्यमंत्री बनने का गौरव नारायण दत्त तिवारी (Narayan Datt Tiwari) को मिला था जबकि रावत हाथ मलते रह गए थे। तिवारी ने मुख्यमंत्री के रूप में अपना कार्यकाल भी पूरा किया था।

2007 में भाजपा ने दिया था झटका

2002 में बड़ी जीत हासिल करने वाली कांग्रेस 2007 के विधानसभा चुनाव में पिछड़ गई थी। 2007 के चुनाव में कांग्रेस से 21 सीटें ही जीत सकी जबकि भाजपा ने 35 सीटों पर जीत हासिल करके कांग्रेस को भारी झटका दिया था। बहुजन समाज पार्टी ने भी 2007 में अच्छा प्रदर्शन किया था और पार्टी को 8 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। अन्य उम्मीदवार 6 सीटें जीतने में कामयाब हो गए थे। इस चुनाव के बाद राज्य में भाजपा सरकार का गठन हुआ था।

भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला

2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला हुआ था। दोनों दलों ने एक दूसरे के जबर्दस्त घेराबंदी की थी जिसका नतीजा यह हुआ कि कोई भी पार्टी पूर्ण बहुमत हासिल करने में कामयाब नहीं हो सकी। कांग्रेस को 32 सीटों पर जीत हासिल हुई थी जबकि भाजपा ने 31 सीटों पर कब्जा किया था।

एक सीट से पिछड़ने के बाद भाजपा विपक्ष में बैठने को मजबूर हो गई जबकि कांग्रेस ने सरकार का गठन किया था। बसपा को 3 सीटों पर जीत हासिल हुई थी जबकि अन्य उम्मीदवार 4 सीटें जीतने में सफल हुए थे। कांग्रेस ने पहले विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बनाया था मगर बाद में हरीश रावत विधायक दल के नेता चुने गए थे। 

बीजेपी (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

2017 में भाजपा को प्रचंड बहुमत

2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने प्रचंड बहुमत हासिल करते हुए कांग्रेस को पूरी तरह बैकफुट पर धकेल दिया था। उत्तर प्रदेश के चुनावी नतीजों की तरह ही उत्तराखंड में भी भाजपा को जबर्दस्त कामयाबी मिली थी। भाजपा ने 70 में से 57 सीटों पर जीत हासिल की थी। राज्य की सियासत में भाजपा से दो-दो हाथ करने वाली कांग्रेस से सिर्फ 11 सीटों पर सिमट गई थी। अन्य उम्मीदवार 2 सीटें जीतने में कामयाब हुए थे।

2017 के विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया था। कार्यकाल के अंतिम वर्ष में उन्हें हटाकर तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया मगर अपने विवादित बयानों के कारण वे ज्यादा दिनों तक पद पर नहीं रह सके। पिछले साल जुलाई में युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को राज्य की कमान सौंपी गई।

2012 जैसे जनादेश की आशंका

अब 2022 के चुनावी नतीजों पर सबकी नजरें टिकी हुई है। इस बार फिर भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा सियासी मुकाबला हो रहा है। आम आदमी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और उत्तराखंड क्रांति दल के उम्मीदवार भी ताल ठोक रहे हैं। कड़े मुकाबले को देखते हुए सबकी दिलचस्पी इस बात में है कि इस बार सत्ता परिवर्तन का मिथक टूटेगा या नहीं। कुछ लोग 2012 जैसे चुनावी नतीजे की आशंका भी जता रहे हैं। इस बार के चुनाव में दोनों दलों के कई सियासी दिग्गज भी कड़े मुकाबले में फंसे हुए हैं। अब सबकी नजरें 10 मार्च को होने वाले चुनावी नतीजे पर टिकी हुई हैं। 

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