Uttarakhand Election 2022: हरिद्वार ग्रामीण सीट पर बसपा ने बिगाड़ा कांग्रेस का समीकरण, हरीश रावत की बेटी की बढ़ीं चुनौतियां
Uttarakhand Election 2022: बसपा ने पहले दर्शन शर्मा को इस सीट पर टिकट दिया था मगर बाद में पार्टी ने टिकट बदलते हुए पार्टी के पुराने सिपाही युनूस अंसारी को चुनाव मैदान में उतार दिया है।
Uttarakhand Election 2022: उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Election 2022) में हरिद्वार ग्रामीण सीट (Haridwar Rural Seat) पिछले चुनाव की तरह इस बार भी हॉट मानी जा रही है। पिछले चुनाव में इस सीट पर खुद हरीश रावत (Harish Rawat) चुनाव मैदान में उतरे थे जबकि इस बार उनकी बेटी अनुपमा रावत (Daughter Anupama Rawat) कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। पिछले चुनाव में यहां हार का सामना करने वाले हरीश रावत के लिए इस बार यह सीट प्रतिष्ठा का जंग बन गई है। इस सीट पर बसपा का प्रत्याशी (BSP candidate seat) बदले जाने को हरीश रावत सियासी खेल बता रहे हैं।
बसपा (BSP) ने पहले दर्शन शर्मा (Darshan Sharma) को इस सीट पर टिकट दिया था मगर बाद में पार्टी ने टिकट बदलते हुए पार्टी के पुराने सिपाही यूनुस अंसारी (Yunus Ansari) को चुनाव मैदान में उतार दिया है। हरीश रावत का आरोप है कि भाजपा प्रत्याशी स्वामी यतीश्वरानंद की जीत की राह आसान करने के लिए ही बसपा की ओर से प्रत्याशी बदलकर सियासी खेल खेला गया है। स्वामी यतीश्वरानंद दो बार इस सीट पर चुनाव जीतने के बाद इस बार हैट्रिक लगाने के लिए चुनाव मैदान में उतरे हैं। कांग्रेस ने इस सीट पर जीत हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है।
हरीश रावत ने बसपा को घेरा
अपनी बेटी अनुपमा रावत के प्रचार के लिए पहुंचे हरीश रावत ने बसपा पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि पिछली बार भी इस पार्टी ने कांग्रेस को हराने के लिए ही प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारा था और इस बार भी भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए ही प्रत्याशी को बदला गया है। बसपा को इस सवाल का जवाब देना चाहिए कि उसका लक्ष्य भाजपा को हराना है या कांग्रेस को।
दरअसल हरिद्वार ग्रामीण सीट पर बसपा ने नामांकन के आखिरी दिन अपना प्रत्याशी बदल दिया था। पहले सीट पर पार्टी की ओर से दर्शन शर्मा को टिकट दिया गया था मगर क्षेत्र से बाहर का होने के कारण उनका जोरदार विरोध किया जा रहा था।
नामांकन के आखिरी दिन बसपा नेतृत्व ने इस सीट पर प्रत्याशी बदलते हुए युनूस अंसारी को चुनाव मैदान में उतारने की घोषणा कर दी। मुस्तफाबाद पदार्था के रहने वाले अंसारी बसपा के पुराने सिपाही हैं और उनकी इस क्षेत्र पर अच्छी पकड़ मानी जाती है। इस सीट पर सपा की ओर से साजिद अली ने भी नामांकन किया है।
क्या है हरीश रावत की चिंता का कारण
उत्तराखंड में मुस्लिमों की आबादी करीब 14 फ़ीसदी है और सबसे ज्यादा मुस्लिम हरिद्वार जिले में ही हैं। उत्तराखंड में सपा की अपेक्षा बसपा ज्यादा मजबूत स्थिति में है और बसपा की ओर से मुस्लिम उम्मीदवार उतारे जाने के बाद कांग्रेस के वोट बैंक में सेंधमारी की आशंका प्रबल हो गई है। बसपा के इस सियासी दांव ने ही कांग्रेस खेमे की चिंताएं बढ़ा दी हैं। यही कारण है कि हरीश रावत बसपा को घेरने की कोशिश में लगे हैं और उनका आरोप है कि बसपा भाजपा को जीत दिलाने में मदद कर रही है।
हैट्रिक लगाने उतरे हैं भाजपा उम्मीदवार
हरिद्वार ग्रामीण सीट पर इस बार भाजपा के स्वामी यतीश्वरानंद जीत की हैट्रिक लगाने के लिए उतरे हैं। 2012 के विधानसभा चुनाव में यतीश्वरानंद ने कांग्रेस के इरशाद अली को हराया था। यतीश्वरानंद को 25,159 मत हासिल हुए थे जबकि कांग्रेस के इरशाद अली 21,284 मत ही हासिल कर सके थे। बसपा के शेषराज सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे और उन्हें 19,158 मत मिले थे।
इस सीट पर 2017 के विधानसभा चुनाव में यतीश्वरानंद ने कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत को हराकर सनसनी फैला दी थी। हरीश रावत की इस हार की मीडिया में खूब चर्चा हुई थी। इस चुनाव में यतीश्वरानंद को 44,964 मत हासिल हुए थे जबकि कांग्रेस उम्मीदवार हरीश रावत 32,686 मत ही हासिल कर सके थे। बसपा के उम्मीदवार मुकर्रम तीसरे स्थान पर रहे थे और उन्हें 18,383 मत मिले थे।
अनुपमा रावत के लिए प्रतिष्ठा की जंग
पिछले चुनाव में पिता की हार का बदला लेने के लिए उतरी अनुपमा रावत क्षेत्र में चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा प्रत्याशी और राज्य के कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद पर तीखे हमले बोल रही हैं। उनका आरोप है कि पिछला दो चुनाव जीतने के बावजूद भाजपा उम्मीदवार की ओर से क्षेत्र में विकास का कोई काम नहीं कराया गया। क्षेत्र में किसी के बीमार होने पर इलाज कराने के लिए उसे 20 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है।
वे क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने और शिक्षा और रोजगार के अवसर मुहैया कराने का वादा कर रही हैं। दूसरी ओर भाजपा उम्मीदवार यतीश्वरानंद की क्षेत्र पर मजबूत पकड़ मानी जाती है और वे एक बार फिर अपनी इस पकड़ को साबित करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। इस बार चुनाव क्षेत्र में कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद जताई जा रही है।